फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर एमबीबीएस में लिया दाखिला
71 आवेदन किए गए निरस्त, दर्ज होगी एफआईआर
लखनऊ, 30 अगस्त (एजेंसियां)। प्रदेश के राजकीय एवं स्वशासी मेडिकल कॉलेजों एवं चिकित्सा संस्थानों में पहले चरण में 4442 सीटों पर दाखिले की प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी सामने आई। फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर एमबीबीएस में दाखिला लिए जाने के करीब सौ मामले पकड़ में आए। नीट यूजी 2025 की काउंसिलिंग में सतर्कता के बाद भी सेंध लग गई। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर 79 अभ्यर्थियों ने सीटों पर आवंटन पा लिया। इनमें 71 ने प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर दाखिला भी ले लिया। मामला पकड़ में आया तो जिलाधिकारियों से सत्यापन कराया गया। जांच में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित के प्रमाण पत्र फर्जी मिले। इसके बाद शुक्रवार को सभी 71 का दाखिला निरस्त कर दिया गया है। इन छात्रों के खिलाफ केस भी दर्ज कराया जाएगा।
प्रदेश के राजकीय एवं स्वशासी मेडिकल कॉलेजों एवं चिकित्सा संस्थानों में पहले चरण में 4442 सीटों पर दाखिले की प्रक्रिया शुरू हुई। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित उपश्रेणी के तहत दो प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था है। इस श्रेणी में 88 सीटें आवंटन के लिए तय थीं। 79 सीटें ऑनलाइन काउंसलिंग के जरिए आवंटित की गईं। इनमें 71 अभ्यर्थियों ने संबंधित कॉलेजों में प्रवेश ले लिया। प्रवेश प्रकिया के दौरान स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, फिरोजाबाद में एक छात्र का प्रमाण पत्र संदिग्ध मिला।
आगरा से जारी हुए इस प्रमाण पत्र का आगरा जिलाधिकारी से सत्यापन कराया गया। जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में प्रमाण पत्र को फर्जी बताया। इसके बाद अन्य मेडिकल कॉलेजों में इस श्रेणी में सीटें हासिल करने वाले अभ्यर्थियों के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित उपश्रेणी के प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया गया। आगरा, गाजीपुर, बलिया, भदोही, मे
काउंसिलिंग बोर्ड ने यह भी निर्णय लिया है कि प्रथम चक्र के साथ ही आगामी चक्रों की काउंसलिंग में शामिल होने वाले सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित के प्रमाण पत्रों का जिलाधिकारी द्वारा सत्यापन कराया जाएगा। जिनके प्रमाण पत्र गलत मिलें, उन्हें आगामी सभी चक्रों की काउंसलिंग से प्रतिबंधित किया जाएगा। एमबीबीएस में दाखिले की प्रक्रिया के दौरान प्रमाण पत्रों की जांच के लिए कई चरण बनाए गए हैं। फिर भी धांधली करने वाले अपने मकसद में कामयाब हो रहे हैं। ऑनलाइन आवेदन के बाद प्रदेशभर में बनाए गए 11 नोडल सेंटरों पर प्रमाण पत्रों की जांच होती है। फिर आवंटित कॉलेज में भी दाखिले के वक्त जांच की व्यवस्था है। इसके बाद भी फर्जीवाड़ा हो रहा है।