चीन और भारत को साथ आने की जरूरत : जिनपिंग

मोदी और जिनपिंग ने दिया भारत-चीन एकता का संदेश

चीन और भारत को साथ आने की जरूरत : जिनपिंग

 ट्रंप के टैरिफ-ट्रिक का जोरदार जवाब

हमारी साझेदारी से पूरी मानवता का कल्याण होगा: मोदी

मोदी ने आतंकवाद और उसकी चुनौतियों का भी मुद्दा रखा

एससीओ समिट के दरम्यान मोदी-पुतिन की भी होगी भेंट

यूक्रेन युद्ध खत्म करने हेतु मोदी ने की जेलेंस्की से वार्ता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 31 अगस्त को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के नेताओं के शिखर सम्मेलन के अवसर पर चीन (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। दोनों देशों के प्रमुखों की मौजूदगी में प्रतिनिधिमंडल स्तर की द्विपक्षीय वार्ता हुई। दोनों नेताओं ने भारत-चीन संबंधों में फिर से गर्माहट लाने के लिए पहल शुरू की है। दोनों नेताओं ने अपनी बैठक में भारत-चीन के एक बार फिर से साथ आने पर जोर दिया है। पीएम मोदी ने जिनपिंग के समक्ष आतंकवाद और उससे उत्पन्न चुनौतियों का मुद्दा भी उठाया और उनसे समर्थन की अपेक्षा की।

पीएम मोदी ने पिछले कुछ समय में दोनों देशों के संबंधों में आई प्रगति का जिक्र किया और कहा कि सीमा पर तनातनी खत्म के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना हुआ है। पीएम मोदी ने कहा, हमारे विशेष प्रतिनिधियों के बीच सीमा प्रबंधन (बॉर्डर मैनेजमेंट) के संबंध में सहमति बनी है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को रेखांकित किया कि भारत-चीन का आपसी सहयोग कितना जरूरी है। पीएम मोदी ने कहाहमारे सहयोग से दोनों देशों के 2.8 बिलियन लोगों के हित जुड़े हुए हैं। इससे पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा। परस्पर विश्वाससम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर हम अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही रणनीतिक स्वायत्तता के पक्षधर हैं और उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। साथ हीपीएम मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को 2026 में भारत द्वारा आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आमंत्रित भी किया। पीएम मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर राष्ट्रपति जिनपिंग का साथ मांगा है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएम मोदी का चीन में स्वागत किया है। जिनपिंग ने कहा, चीन और भारत को साथ आने की जरूरत है। दुनिया परिवर्तन की ओर बढ़ रही है और ऐसे समय में भारत और चीन की भूमिका बेहद अहम है। जिनपिंग ने कहा, भारत और चीन दुनिया की दो सबसे पुरानी सभ्यताएं हैं और सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं और ग्लोबल साउथ का हिस्सा हैं। ऐसे में मित्र बने रहनाअच्छे पड़ोसी बनना और दोनों देशों का साथ आना जरूरी है। जिनपिंग ने कहाचीन-भारत प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि सहयोगी साझेदार हैं और दोनों देश एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं, बल्कि विकास के अवसर हैं। दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखने और संभालने की आवश्यकता है। जिनपिंग ने कहा कि भारत-चीन को अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। साथ हीसीमा के मुद्दे को पूरे भारत-चीन संबंधों की धुरी नहीं बनने देना चाहिए।

पीएम मोदी और जिनपिंग की इस मुलाकात पर जितनी भारत-चीन के लोगों की नजरें हैंउतनी ही अमेरिका की भी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए बेतुके टैरिफ से दोनों ही देशों को समस्याएं बढ़ी हैं। हालांकिट्रंप के इस टैरिफ वॉर से पहले ही भारत-चीन ने अपने संबंधों में सुधार के संकेत देने शुरू कर दिए थे। नरमी पिछले साल अक्टूबर से ही शुरू हुई जब पीएम मोदी और जिनपिंग ने रूस में ब्रिक्स समिट के दौरान मुलाकात की थी। अमेरिकी राष्ट्रपति की टैरिफ चुनौती के बाद संबंधों के सुधार की दिशा में तेजी आई है।

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विशेषज्ञ भी यह मान रहे हैं कि ट्रंप के बेतुके टैरिफ ने अमेरिकी विदेश नीति को उल्ट-पुल्ट कर दिया है। इससे पहले अमेरिका में भारत को चीन के लिए एक संतुलन के रूप में देखा जाता था। लेकिन भारत के बढ़ते कद ने अमेरिका को भी परेशान किया है। भारत भी एससीओ समिट के जरिए यह साबित कर रहा है कि वह सिर्फ अमेरिकी खेमे में नहीं है। बल्कि दुनिया में उसके पास भी विकल्प मौजूद हैं। फिनोक्रेट टेक्नोलॉजीज के संस्थापक गौरव गोयल ने मिंट से कहा है कि चीन-रूस अपनी अर्थव्यवस्थाओं को भारत के लिए खोल रहे हैंजिससे व्यापार को पुनर्निर्देशित करने और टैरिफ के बोझ को कम करने में मदद मिल रही है। गोयल ने कहाएससीओ शिखर सम्मेलन, एक रणनीतिक मोड़ है जहां भारतचीन और रूस अपनी आर्थिक राह खुद तय करनेसाझेदारी को मजबूत करने और यह संकेत देने के लिए तैयार हैं कि अमेरिकी व्यापार दबाव उनके भविष्य को तय नहीं करेगा।

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प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के सामने आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया और उनसे समर्थन की अपेक्षा की। प्रधानमंत्री मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के महत्व पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने पिछले वर्ष सफल सैन्य वापसी और उसके बाद से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने पर संतोष जताया। पीएम मोदी ने आतंकवाद और उससे उत्पन्न चुनौतियों का मुद्दा उठाया।

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दोनों नेताओं ने अक्टूबर 2024 में कजान में अपनी पिछली बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में हुई सकारात्मक प्रगति का स्वागत किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश विकास भागीदार हैंप्रतिद्वंद्वी नहीं। उनके मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिए। भारत-चीन और उनके 2.8 अरब लोगों के बीच आपसी सम्मानआपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर एक स्थिर संबंध और सहयोग दोनों देशों की वृद्धि और विकास के साथ-साथ 21वीं सदी के रुझानों के अनुरूप एक बहुध्रुवीय विश्व और बहुध्रुवीय एशिया के लिए जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के महत्व पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने पिछले वर्ष सफल सैन्य वापसी और उसके बाद से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने पर संतोष जताया। उन्होंने अपने समग्र द्विपक्षीय संबंधों और दोनों देशों के लोगों के दीर्घकालिक हितों के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से सीमा विवाद के निष्पक्षउचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिए प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में दोनों विशेष प्रतिनिधियों की ओर से अपनी वार्ता में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों को स्वीकार किया  और उनके प्रयासों को और समर्थन देने पर सहमति व्यक्त की। दोनों नेताओं ने कैलाश मानसरोवर यात्रा और पर्यटक वीजा की बहाली के आधार पर सीधी उड़ानों और वीजा सुविधा के माध्यम से लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर ध्यान दिया। आर्थिक और व्यापारिक संबंधों के संदर्भ में उन्होंने विश्व व्यापार को स्थिर करने में अपनी दोनों अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को मान्यता दी। उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों का विस्तार करने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए एक राजनीतिक और रणनीतिक दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही रणनीतिक स्वायत्तता चाहते हैं। उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीयक्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों और चुनौतियों जैसे आतंकवाद और बहुपक्षीय मंचों पर निष्पक्ष व्यापार पर साझा आधार का विस्तार करने आवश्यकता पर सहमति जताई।

प्रधानमंत्री ने एससीओ की चीन की अध्यक्षता और तियानजिन में शिखर सम्मेलन के लिए समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने राष्ट्रपति शी को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी आमंत्रित कियाजिसकी मेजबानी भारत 2026 में करेगा। राष्ट्रपति शी ने निमंत्रण के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया और भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के लिए चीन के समर्थन की पेशकश की। प्रधानमंत्री ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य काई क्वी के साथ भी बैठक की। प्रधानमंत्री ने काई के साथ द्विपक्षीय संबंधों के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा किया और दोनों नेताओं के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए उनका समर्थन मांगा। काई ने द्विपक्षीय आदान-प्रदान का विस्तार करने और दोनों नेताओं के बीच बनी सहमति के अनुरूप संबंधों को और बेहतर बनाने की चीनी पक्ष की इच्छा दोहराई।

तियानजिन में प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की बैठक में दोनों नेताओं ने माना कि भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक व्यापार स्थिर करने में अहम हैं। बातचीत में अमेरिका के टैरिफ फैसलोंआपसी व्यापारनिवेश और लोगों के बीच रिश्तों को मजबूत करने पर चर्चा हुई। दोनों देशों ने वीजासीधी उड़ानें और कैलाश मानसरोवर यात्रा को बढ़ावा देने पर सहमति जताई। तियानजिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा संदेश दिया है। विदेश मंत्रालय ने रविवार को बयान जारी कर बताया कि दोनों नेताओं ने यह स्वीकार किया कि भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाएं विश्व व्यापार को स्थिर करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब दुनिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ निर्णयों से जूझ रही है। विदेश मंत्रालय के अनुसारमोदी और जिनपिंग की बैठक के दौरान वैश्विक व्यापार माहौल पर भी चर्चा हुई।

भारत-चीन वार्ता में सिर्फ व्यापार ही नहींबल्कि लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के उपायों पर भी सहमति बनी। दोनों नेताओं ने सीधे हवाई संपर्क बहाल करनेवीजा प्रक्रिया आसान करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने को अहम कदम बताया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों ने माना कि पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान आपसी भरोसा बढ़ाने में मदद करेंगे। अगस्त में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की यात्रा के दौरान ही दोनों देशों ने जल्द ही सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने और एयर सर्विस एग्रीमेंट को अपडेट करने पर सहमति दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा कि भारत और चीन दोनों रणनीतिक स्वायत्तता का पालन करते हैं और उनके रिश्तों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि दोनों देशों को द्विपक्षीयक्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर साझा जमीन तैयार करनी होगी। इसमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और बहुपक्षीय मंचों पर न्यायसंगत व्यापार जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों नेताओं ने आपसी व्यापार घाटा कम करने और निवेश बढ़ाने के लिए राजनीतिक और रणनीतिक दिशा में काम करने पर भी सहमति जताई।

मोदी-जिनपिंग की यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से पहले हुई है। एससीओ में भारत समेत 10 सदस्य देश हैंजिनमें बेलारूसचीनईरानकजाखस्तान, किर्गिस्तानपाकिस्तानरूसताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत 2005 से पर्यवेक्षक और 2017 से पूर्ण सदस्य है। 2020 में भारत ने एससीओ परिषद प्रमुखों की बैठक की अध्यक्षता की थी और 2022-23 में राष्ट्राध्यक्ष परिषद का नेतृत्व किया। शिखर सम्मेलन से पहले मोदी रूसी राष्ट्रपति पुतिन से भी द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे।

राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात से पहले पीएम मोदी ने की यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलदिमिर जेलेंस्की से बातचीत की और रूस-यूक्रेन संघर्ष खत्म कराने के भारत के प्रयास की प्रतिबद्धता जताते हुए जल्द ही शांति बहाली का आश्वासन दिया। दोनों नेताओं ने रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर बात की। पीएम मोदी ने कहा कि भारत हर कदम पर यूक्रेन के साथ है। साथ ही पीएम ने जल्द शांति बहाली का आश्वासन भी दिया। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत इस दिशा में सभी जरूरी सहायता उपलब्ध कराएगा। जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार जताया है।

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