कैबिनेट ने मुडा घोटाले और कमीशन घोटाले पर चर्चा की
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मुख्यमंत्री सिद्धरामैया की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुडा घोटाला और बीबीएमपी आयोग के भ्रष्टाचार समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई| कैबिनेट बैठक में राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज ६२ आपराधिक मामलों को अभियोजन से हटाने का प्रस्ताव रखा गया| किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों सहित कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने पर भी विचार-विमर्श किया गया|
बेंगलूरु महानगर निगम के कार्यों में कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के आरोपों पर न्यायमूर्ति एच.एन. नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट कैबिनेट बैठक में पेश की गई और आगे की कार्रवाई पर चर्चा की गई| मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण में भूखंड आवंटन में लगे आरोपों के संबंध में सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी.एन. देसाई की एकल सदस्यीय जाँच आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट पर भी चर्चा की गई|
मुडा घोटाले ने राज्य में भारी हलचल मचा दी थी| एक समय तो इसने मुख्यमंत्री सिद्धरामैया को दुविधा में डाल दिया था| आरोप थे कि सिद्धरामैया की पत्नी पार्वती को १३ भूखंड अवैध रूप से आवंटित किए गए थे| एक ओर, सिद्धरामैया ने मुडा भूखंडों के आवंटन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों की व्यापक जाँच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया था| इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी है और कैबिनेट में इस पर चर्चा हो चुकी है| कोविड-१९ के दौरान चामराजनगर जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से २० से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी| उस समय विपक्ष के नेता सिद्धरामैया और केपीसीसी अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने घटनास्थल का दौरा किया और मृतकों के परिजनों को सांत्वना दी|
उन्होंने इसे एक विशेष मामला मानते हुए, परिजनों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी देने की माँग की| लेकिन भाजपा सरकार ने इस पर विचार नहीं किया| कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने के बाद ही उसने अपने पहले के वादों पर अमल करना शुरू किया है| कैबिनेट बैठक में मृतकों के परिवारों के पात्र आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने के प्रावधान पर चर्चा की गई|