अंबानी समूह ने रूस से 33 अरब डॉलर का तेल खरीदा

मुकेश अंबानी से खीझ भी रहा और रिश्ते भी बढ़ा रहा ट्रंप

 अंबानी समूह ने रूस से 33 अरब डॉलर का तेल खरीदा

रिलायंस ने ट्रंप-लाइसेंस के लिए दिए 1 करोड़ डॉलर

नई दिल्ली/वाशिंगटन, 25 सितंबर (एजेंसियां)। भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तन-बदन में आग लगी हुई है। जबकि यूरोपीय देश भी रूस से तेल खरीद रहे हैं और अमेरिका के भी रूस के साथ व्यापारिक संबंध बने हुए हैं। ट्रंप-पुतिन की मुलाकात में साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यह खुलासा किया था कि यूक्रेन-रूस संघर्ष के बीच भी अमेरिका का व्यापारिक संबंध कायम है। पुतिन के इस वक्तव्य का डोनाल्ड ट्रंप खंडन नहीं कर पाए थे। भारतीय पूंजीपति मुकेश अंबानी का रिलायंस कंपनी समूह रूस से बड़े पैमाने पर तेल की खरीद कर रहा है। इससे भी अमेरिकी प्रशासन को बड़ी बेचैनी हो रही है और ट्रंप की तरह बेसिर पैर बयान देने वाली चौकड़ी रिलायंस इंडस्ट्रीज के खिलाफ भी बेजा वक्तव्य दे रही है।

अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने पिछले महीने कहा कि भारत के कुछ सबसे अमीर परिवार यूक्रेन युद्ध से मुनाफ़ा कमा रहे हैं। सहमे हुए बेसेंट ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा मुकेश अंबानी की ही तरफ था। अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट कहता है कि मुकेश अंबानी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैंजिनकी अनुमानित कुल सम्पत्ति 100 अरब डॉलर से अधिक है। अंबानी के साम्राज्य का मुकुट रत्न वह संस्थान है जो कच्चे तेल को ईंधन उत्पादों में परिशोधित (रिफाइन) करता है और भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के साथ-साथ दुनियाभर में निर्यात भी करता है। हाल के वर्षों मेंरिलायंस ने अधिकांश कच्चा तेल रूस से रियायती दामों पर खरीदा है। अमेरिका कहता है कि यह अंबानी के लिए वरदान और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय अलगाव के दौर में मास्को के लिए जीवन रेखा है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूसी तेल खरीदने के लिए भारत को दंडित करने और भारत से अपनी ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाने का दबाव बनाने के चक्कर में खुद ही कूटनीतिक संकट में बुरी तरह फंस गए हैं। अमेरिका सरकार द्वारा हासिल की गई सूचना के मुताबिक रिलायंस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण आक्रमण के बाद से रूस से लगभग 33 अरब डॉलर का तेल खरीदा। इस खरीद पर ब्रिटिश थिंक टैंकरॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के वित्त एवं सुरक्षा केंद्र के निदेशक टॉम कीटिंग को बहुत मिर्ची लगी। उसने कहायह 33 अरब डॉलर क्रेमलिन को जाता है। आप युद्ध को वित्तपोषित कर रहे हैं। इस बयान पर रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि रूसी तेल की उसकी खरीद यूक्रेन-रूस संघर्ष पर किसी राजनीतिक रुख को नहीं दर्शाती है। यह खरीदारी हमेशा अंतरराष्ट्रीय नियमों का पूरी तरह से पालन करती रही है। रूसी ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े होने के कारण यूरोपीय संघ और ब्रिटेन द्वारा प्रतिबंधित किए गए कम से कम 17 बड़े तेल टैंकर पश्चिमी गुजरात राज्य के सिक्का में रिलायंस के स्वामित्व वाले बंदरगाह पर रुके। इस पर यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने बहुत चिल्लपों मचाने की कोशिश की। इस पर रिलायंस ने करारा जवाब देते हुए कहा कि ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के प्रतिबंध बाहरी क्षेत्र में लागू नहीं होते हैं। रिलायंस ने यह भी कहा कि यह प्रतिबंध स्पष्ट रूप से गैर-ब्रिटिश और गैर-यूरोपीय संघ संस्थाओं पर लागू नहीं होते हैं। इसी वजह से रिलायंस समूह तेल की आपूर्ति के लिए ऐसे जहाजों को सेवा में ले रहा है।

आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में रूस-यूक्रेन संघर्ष से पहले रिलायंस ने केवल 85 मिलियन डॉलर मूल्य का रूसी तेल खरीदा था। अगले वर्षजब रूस ने यूक्रेनी प्रांतों पर कब्जा कर लिया और प्रमुख शहरों पर बमबारी कीतो यह आंकड़ा बढ़कर 5.5 बिलियन डॉलर हो गया। रिलायंस की खरीदारी 2023 में 11.7 बिलियन डॉलर के शिखर पर पहुंचीजो 2024 में घटकर 9.8 बिलियन डॉलर रह गई। इस वर्ष यानि 2025 में 1 जनवरी से 12 अगस्त तकरिलायंस कंपनी की रूस से तेल की खरीद 6.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई।

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पिछले महीने ट्रंप ने कहा था कि भारतीय तेल खरीद रूसी युद्ध मशीन को ईंधन देती है और उन्होंने देश की टैरिफ दर को दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया। वही ट्रंप अपना विरोधाभासी चरित्र प्रदर्शित करते हुए अलास्का में पुतिन का स्वागत कर रहे थे। रूस से तेल खरीद पर भारत सरकार का साफ-साफ कहना है कि उसकी खरीद अवैध नहीं है। दिलचस्प यह है कि अमेरिकी अधिकारियों ने ही पहले वैश्विक ऊर्जा कीमतों को स्थिर करने के लिए भारत को रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ट्रंप के टैरिफ अनुचितअन्यायपूर्ण और अतार्किक हैं और भारत द्वारा रूसी तेल खरीदना बाजार के कारकों पर आधारित है।

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जहाज ट्रैकिंग कंपनी केप्लर के आंकड़ों के अनुसारभारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और आने वाले वर्षों में भी ऐसा ही रहने की संभावना है। रिलायंस कंपनी ने रूस की प्रतिबंधित सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट के साथ 10 साल का समझौता किया है। रोसनेफ्ट रिलायंस को प्रतिदिन 5,00,000 बैरल कच्चा तेल प्रदान करती हैजिसका वार्षिक मूल्य 13 अरब डॉलर है। रिलायंस कंपनी के 125.3 अरब डॉलर के राजस्व में लगभग 58 प्रतिशत का योगदान तेल परिशोधन से आता है। सिक्का बंदरगाह से कुछ ही दूरी पर स्थित जामनगर रिफाइनरी परिसर में रिलायंस कच्चे तेल को डीजल और पेट्रोल में बदलता है, जिससे भारत को ईंधन मिलता है और यूरोप तथा दुनिया के अन्य हिस्सों को निर्यात किया जाता है। सस्ता रूसी कच्चा तेल इसके संचालन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है।

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2022 के अंत मेंयूक्रेन में पुतिन के युद्ध के जवाब मेंग्रुप ऑफ सेवन और यूरोपीय संघ ने रूसी कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा लागू कर दीजिससे कच्चे तेल का प्रवाह तो जारी रहालेकिन मास्को का मुनाफा सीमित हो गया। पश्चिमी सहयोगियों ने भारत को कम कीमतों का लाभ उठाने और वैश्विक तेल बाजार में उथल-पुथल को रोकने में मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया। तत्कालीन अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट एल. येलेन ने नवंबर 2022 में कहा था कि उन्हें खुशी है कि भारत को यह सौदा मिला। लेकिन अमेरिका ने अपना सुर बदल दिया, जिसमें वह माहिर है।

केप्लर के अनुसारइस साल अगस्त तक रिलायंस के कच्चे तेल के आयात का लगभग आधा हिस्सा रूस से आया है। और इस मार्जिन ने मुनाफे को तेजी से बढ़ाया है। फाइनेंशियल टाइम्स ने हाल ही में बताया कि 2022 से रिलायंस ने रूसी कच्चे तेल पर छूट के कारण 6 अरब डॉलर की अतिरिक्त कमाई की है। रिलायंस ने अपने बयान में कहा कि 2022 के बाद भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की बढ़ी हुई खरीद से वैश्विक तेल बाजारों को स्थिर करने और आपूर्ति संबंधी झटकों को रोकने में मदद मिली है। मुनाफाखोरी के आरोप निराधार हैं।

रूस से जुड़े होने के कारण प्रतिबंधित किए गए 17 टैंकरों ने नवंबर से सिक्का बंदरगाह की 29 बार आवागमन किया है। ये टैंकर कोमोरोसगिनी-बिसाऊ और सिएरा लियोन जैसे देशों के झंडों के नीचे आवागमन कर रहे थे। पुराने तेल टैंकर रूसी तेल पर पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए इन झंडों का इस्तेमाल करते हैं। प्रत्येक टैंकर पर एक विशिष्ट जहाज पंजीकरण कोड (आईएमओ) रहता है, जिससे यह पता चलता है कि ये टैंकर प्रतिबंध (सैंक्शन) की परिधि में नहीं आते।

रिलायंस ने कहा भी है कि रिलायंस को तेल की आपूर्ति में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे जहाज की पहचान से बचा जा सके। हम किसी भी विपरीत अनुमान को अस्वीकार करते हैं। हिल्गेनस्टॉक ने कहा कि एक भारतीय कंपनी होने के नातेरिलायंस संबंधित जहाजों पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से कानूनी रूप से बाध्य नहीं है। रिलायंस के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करने वाला अमेरिकी प्रशासन और उसके मुखिया डोनाल्ड ट्रंप मुकेश अंबानी के साथ नजदीकी संबंध बनाने में लगे हैं। ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में मुकेश अंबानी को आमंत्रित किया था। फिर मुकेश अंबानी ने अपने बेटे के विवाह में ट्रंप परिवार को आमंत्रित किया। ट्रंप की बेटी इवांका और उनके पति जेरेड भव्य शादी में मेहमान के रूप में हाजिर थे। रिलायंस की रियल एस्टेट इकाई ने मुंबई में ट्रंप के नाम का लाइसेंस लेने के लिए 1 करोड़ डॉलर का भुगतान किया है। इस परियोजना का विवरण अभी रहस्य में है।

रिलायंस ने कहा है कि उसकी सबसे बड़ी प्रतिबद्धता भारत सरकार की उस नीति के अनुरूप काम करना है जो विभिन्न स्रोतों से किफायती और विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति के माध्यम से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देती है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के अनुसारयूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रूस ने लगभग 410 अरब डॉलर मूल्य का कच्चा तेल निर्यात किया है। चीन मास्को का सबसे बड़ा ग्राहक बना हुआ हैलेकिन भारत 2023 से समुद्री रूसी कच्चे तेल का प्रमुख खरीदार रहा है। रिलायंस का 33 अरब डॉलर का तेल-व्यापार एक कंपनी के लिए काफी बड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि रूसी तेल पर भारत की निर्भरता कम करने की ट्रंप की रणनीति नाकाम साबित हो रही है। सभी क्षेत्रों पर टैरिफ लगाना अमेरिका का कुंद हथियार साबित हुआ है। इसने अमेरिका को नुकसान ही पहुंचाया है।

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