दंगाई मौलाना पर होगी सख्त कार्रवाई: एसएसपी
पुराना दंगाई है तौकीर रजा, 2010 के दंगे का भी है आरोपी
मौलाना पर दर्ज पांच मुकदमों की फाइल कोर्ट से गायब
बरेली, 28 सितंबर (एजेंसियां)। मार्च 2010 को बरेली के लोग नहीं भूलेंगे। पूरे महीने शहर दंगों की आग में झुलसता रहा था। उस समय प्रेमनगर, कोतवाली, बारादरी और किला थाना क्षेत्रों में कई दिन तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था। पुलिस ने 42 मुकदमों में 183 लोगों को नामजद किया, लेकिन एफआईआर में मौलाना तौकीर रजा खां का नाम शामिल नहीं किया गया था। तत्कालीन बसपा सरकार ने साजिशकर्ता की पहचान की जिम्मेदारी आईजी सिक्योरिटी आरपी सिंह को दी। उनकी जांच रिपोर्ट पर मौलाना को आठ मार्च को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, लेकिन उसे 11 मार्च को जमानत मिल गई। इसके बाद शहर फिर से धधक उठा था।
दो मार्च 2010 को जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान प्रेमनगर थाना क्षेत्र के गुद्दड़बाग इलाके से शुरू हुए दंगे ने पूरे शहर को चपेट में ले लिया था। हिंसा, आगजनी, फायरिंग और पथराव के बीच चार थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाना पड़ा था। मौलाना की गिरफ्तारी के बाद उनके खानदान के लोग धरने पर बैठ गए थे। जिले में गिरफ्तारियां दी जाने लगी थीं। हिंसक घटनाएं, आगजनी भी होने लगी थी। तत्कालीन डीजीपी करमवीर सिंह और प्रमुख सचिव गृह फतेह बहादुर कई दिन बरेली में डेरा डाले रहे। मौलाना की रिहाई के बाद 12 और 13 मार्च को फिर शहर में हिंसा और आगजनी हुई थी।
आईजी सिक्योरिटी आरपी सिंह बरेली में डीआईजी रह चुके थे। दंगों के बीच वह पांच मार्च को ही साजिशकर्ताओं की पहचान करने बरेली पहुंच गए थे। तीन दिन की गोपनीय जांच में मौलाना समेत उसके 22 करीबियों के नाम प्रकाश में आए थे। उन्होंने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। इसके बाद ही पहली बार मौलाना की गिरफ्तारी हुई थी। दो दिन बाद ही जमानत मिलने के बाद मौलाना और उसके समर्थकों के हौसले बुलंद हो गए थे। आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां के दबदबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन पर दर्ज पांच मुकदमों से संबंधित पत्रावलियां ही अदालत से गायब हैं। इसका खुलासा तब हुआ, जब शनिवार को मौलाना की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उनका आपराधिक इतिहास खंगालना शुरू किया।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, मौलाना के खिलाफ पहला मुकदमा वर्ष 1982 में कोतवाली थाने में दंगा सहित अन्य आरोपों में दर्ज हुआ था। फिर वर्ष 1987 से 2000 तक आपराधिक विश्वासघात, महिला से दुष्कर्म करने के इरादे से उस पर हमला करने, दंगा और मारपीट सहित अन्य आरोपों में चार मुकदमे दर्ज किए गए। वर्ष 1982 से लेकर 2000 तक मौलाना पर दर्ज पांच मुकदमों से संबंधित फाइलें ही अदालत से गायब हैं। वर्ष 2019 में कोतवाली थाने में मौलाना पर लोकसेवक का आदेश न मानने और आपराधिक धमकी देने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मुकदमे की विवेचना छह साल बाद भी अधूरी है। वर्ष 2023 में धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में दर्ज मुकदमे के मामले में शासन की अनुमति मिलनी शेष है। शेष चार मुकदमे अदालत में विचाराधीन हैं। इनमें से वर्ष 2010 के बरेली दंगों से संबंधित मुकदमे में हाईकोर्ट से कार्यवाही पर स्थगन आदेश है। सुनवाई की अगली तिथि 14 अक्टूबर है। मौलाना पर दर्ज मुकदमों पर कार्रवाई के संबंध में पूछे जाने पर एसएसपी अनुराग आर्य ने कहा कि सभी मामलों की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट तलब कर प्रभावी तरीके से कार्रवाई कराई जाएगी। पुलिस सभी मामलों में अदालत में प्रभावी तरीके से पैरवी कर आरोप साबित करेगी।
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