वांगचुक की रिहाई हो तभी होगी वार्ता : एलएबी
लद्दाख मसले पर वार्ता के लिए केंद्र सरकार तैयार
लद्दाख हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग
नई दिल्ली/लद्दाख, 30 सितंबर (एजेंसियां/ब्यूरो)। लद्दाख मामले में केंद्र सरकार ने वार्ता के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं। गृह मंत्रालय ने कहा है कि लद्दाख एपेक्स बाडी यानि एलएबी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस यानि केडीए के साथ कभी भी बातचीत हो सकती है। वार्ता के लिए 6 अक्टूबर की तारीख पहले से तय है, लेकिन एलएबी और अन्य संगठनों ने भी वांगचुक समेत अन्य गिरफ्तार लोगों की रिहाई के पहले बातचीत से दूर रहने की घोषणा की है। संगठनों का कहना है कि गिरफ्तार नेताओं की रिहाई हो, उसके बाद ही वार्ता होगी। प्रशासन ने लेह में कर्फ्यू में चार घंटे की ढील देने की घोषणा की है। आवश्यक सेवाएं सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक जारी रहेंगी। प्रशासन ने किराना दुकानों, सब्जी विक्रेताओं, हार्डवेयर की दुकानों और अन्य आवश्यक सेवा प्रदाताओं को चार घंटे के लिए अपनी दुकानें खोलने की अनुमति दी है।
गृह मंत्रालय का कहना है कि लद्दाख पर बनी समिति (एचपीसी) या ऐसे किसी भी मंच के माध्यम से एबीएल और केडीए के साथ चर्चा का स्वागत करते रहेंगे। लद्दाख पर एचपीसी के माध्यम से सर्वोच्च निकाय लेह (एबीएल) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ बातचीत पहले भी हुई है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। वार्ता के बाद ही लद्दाख की अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण में वृद्धि, एलएएचडीसी में महिलाओं के लिए आरक्षण और स्थानीय भाषाओं को संरक्षण दिया गया केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 1800 सरकारी पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लेह एपेक्स बाडी (एलएबी) का कहना है कि लद्दाख में जब तक सामान्य स्थिति बहाल नहीं होती है, वह वार्ता से दूर रहेगा। अगर स्थिति सामान्य करने के लिए सही कदम उठाए जाते हैं, तभी वह 6 अक्टूबर को होनेवाली अगले दौर की बातचीत में शामिल हो सकता है।
इस तरह, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने जैसी मांगों के साथ केंद्र के साथ बातचीत कर रही लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) ने गृह मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ बातचीत से इन्कार कर दिया है। एलएबी के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग और सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने कहा कि बातचीत फिर से शुरू करने से पहले लद्दाख में अनुकूल माहौल की बहाली आवश्यक है। एलएबी ने 4 प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद अपना रुख कड़ा कर लिया है। एलएबी नेताओं ने कहा, हम सर्वसम्मति से इस बात पर सहमत हुए हैं कि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर जब तक लद्दाख में शांति बहाल नहीं हो जाती, हम किसी भी वार्ता में भाग नहीं लेंगे। छेवांग ने गृह मंत्रालय और प्रशासन से शांति बहाली के कदम उठाने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि बीते 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई थी और 50 से अधिक लोग घायल हुए थे। इसके बाद पुलिस ने एक्टविस्ट सोनम वांगचुक समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया। एलएबी ने मांग की है कि हिंसा की जांच हो, प्रदर्शनकारियों पर दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएं और हिरासत में लिए गए सभी लोगों को बिना शर्त रिहा किया जाए। एलएबी ने लद्दाखी प्रदर्शनकारियों को देश विरोधी कहने के लिए केंद्र से माफी मांगने के लिए भी कहा है। करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने भी केंद्र से बातचीत न करने की घोषणा की। केडीए नेता सज्जाद करगिली ने गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग की है।
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और क्षेत्र की पहचान को कायम रखने के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपाय करने की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। इसका नेतृत्व कर रहे लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) ने पुलिस गोलीबारी की न्यायिक जांच शुरू होने और सोनम वांगचुक सहित सभी कार्यकर्ताओं को बिना शर्त रिहा किए जाने तक बातचीत में शामिल नहीं होने की घोषणा की। एलएबी ने कहा कि अगर सरकार सु्प्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच का आदेश देने और सभी कैदियों को रिहा करने की मांगें मान लेती है तो वह बैठक में शामिल नहीं होने के अपने फैसले पर विचार करेगी और 6 अक्टूबर को वार्ता में शामिल होगी। दोनों नेताओं ने कहा, हम गृह मंत्रालय और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से आग्रह करेंगे कि वे वहां व्याप्त भय, गम और आक्रोश के माहौल को दूर करने के लिए कदम उठाएं।’ बातचीत का बहिष्कार करने की घोषणा प्रदर्शन में हुई हिंसा के दौरान मारे गए चौथे मृतक का कर्फ्यूग्रस्त लद्दाख की राजधानी में भारी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार किए जाने के कुछ घंटों बाद की गई। मृतक पूर्व सैनिक था।
गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि सरकार लद्दाख मामलों पर एलएबी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ बातचीत के लिए हमेशा तैयार है। इसमें कहा गया, हम लद्दाख पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति या ऐसे किसी भी मंच के माध्यम से लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ चर्चा का स्वागत करते रहेंगे। बयान में क्षेत्र में विकास और रोजगार लाने वाले पिछले नतीजों की ओर इशारा किया गया। इसके मुताबिक, लद्दाख को लेकर संवाद करने के लिए गठित तंत्र से अब तक अच्छे परिणाम मिले हैं, जैसे लद्दाख की अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण में वृद्धि, एलएएचडीसी में महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान करना और स्थानीय भाषाओं को संरक्षण प्रदान करना। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 1800 सरकारी पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। हमें विश्वास है कि निरंतर बातचीत से निकट भविष्य में सही नतीजे हासिल होंगे।
एबीएल ने लद्दाखियों पर लगे राष्ट्र-विरोधी ठप्पे और सोनम वांगचुक समेत सभी गिरफ्तार लोगों को जेल से रिहा करने की मांग की है। एबीएल का आरोप है कि सोनम वागंचुक को एबीएल में शामिल होने के बाद निशाना बनाया गया। एबीएल राजनीतिक और धार्मिक समूहों का प्रतिनिधित्व करता है। यह संगठन लद्दाख के लिए छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों और राज्य के दर्जे की मांग कर रहा है। एबीएल के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे लाक्रुक ने कहा कि हमें राष्ट्र-विरोधी बताना हमारी देशभक्ति पर एक धब्बा है। उन्होंने आगे कहा कि हम बंदूक की नोक पर बातचीत नहीं कर सकते।
लद्दाख के प्रतिनिधियों ने मांग की है कि प्रदर्शनकारियों के मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करें। इसके साथ ही प्रतिनिधियों ने सरकार से सोनम वांगचुक और सभी गिरफ्तार लोगों को रिहा करने की भी मांग की है। इन्हीं मांग को लेकर प्रतिनिधियों ने सरकार से 6 अक्टूबर को होने वाली बातचीत से इनकार कर दिया है।
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