विदेश की जमीन से भारत पर प्रहार: राहुल गांधी ने फिर दिखाया राष्ट्रवाद विरोधी चेहरा
कोलंबिया से मोदी सरकार और भारतीय लोकतंत्र पर निशाना, विपक्षी नेता का बयान देश की छवि पर प्रहार के रूप में देखा जा रहा है
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (एजेंसियां)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर विदेश की धरती से भारत पर निशाना साधकर विवादों में आ गए हैं। इस बार उनका बयान कोलंबिया से आया, जहां उन्होंने भारतीय लोकतंत्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि “भारत में लोकतंत्र पर हमला हो रहा है और यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।” राहुल गांधी के इस बयान ने न सिर्फ भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या एक विपक्षी नेता को लगातार विदेश से बैठकर अपने ही देश की छवि को धूमिल करना चाहिए?
राहुल गांधी का यह ताजा बयान उस प्रवृत्ति का हिस्सा है जिसमें वे बार-बार विदेश जाकर भारतीय लोकतंत्र, संस्थाओं और सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना था कि भारत में लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है और संस्थाओं को दबाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र की मोदी सरकार नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचल रही है।
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने विदेश की धरती से भारतीय लोकतंत्र पर हमला बोला हो। इससे पहले भी ब्रिटेन, अमेरिका और कई अन्य जगहों से उन्होंने भारतीय लोकतंत्र और सरकार के खिलाफ बयानबाजी की थी। विपक्षी नेता का यह रुख बार-बार सवाल खड़ा करता है कि आखिर वे अपनी बात रखने के लिए भारत की संसद और मंचों का उपयोग क्यों नहीं करते? क्या यह देश के लोकतांत्रिक ढांचे को कमतर दिखाने की कोशिश नहीं है?
केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि भारत की संस्थाओं को कैद कर लिया गया है और विपक्षी नेताओं की आवाज़ को दबाने का काम किया जा रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां हर नागरिक को अपनी बात रखने की पूरी स्वतंत्रता है। यही वजह है कि विपक्ष लगातार संसद से लेकर सड़कों तक सरकार पर तीखे हमले करता रहा है। इसके बावजूद राहुल गांधी का अंतरराष्ट्रीय मंचों से देश पर प्रहार करना विरोधियों को राजनीतिक लाभ से ज्यादा देश की छवि को नुकसान पहुँचाने वाला कदम माना जा रहा है।
राहुल गांधी की आलोचना करने वालों का कहना है कि विपक्षी राजनीति करना उनका अधिकार है, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दों को विदेशी मंचों से उठाना भारत की छवि को नुकसान पहुंचाता है। जब दुनिया भारत को एक उभरती हुई शक्ति के रूप में देख रही है, ऐसे में देश का नेता ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लोकतंत्र को कमजोर बताकर कहीं न कहीं राष्ट्रवाद विरोधी छवि गढ़ रहा है।
मोदी सरकार के समर्थकों का मानना है कि राहुल गांधी बार-बार विदेश से बयानबाजी कर एक तरह से भारत की साख को चुनौती देते हैं। लोकतंत्र में असहमति और आलोचना का अधिकार हर किसी को है, लेकिन इसे देश की सीमाओं के भीतर लोकतांत्रिक तरीके से रखना ही उचित है।
राहुल गांधी के इन बयानों ने कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि भाजपा इन्हीं विदेशी बयानों को देश में चुनावी मुद्दा बनाती है और इसे राष्ट्रवाद बनाम विपक्ष के रूप में प्रस्तुत करती है। राहुल गांधी का हालिया बयान भी ठीक उसी तरह का है, जिससे कांग्रेस की छवि कमजोर होती है और विपक्ष की राजनीति पर सवाल उठते हैं।
भारतीय लोकतंत्र की साख केवल नेताओं के बयानों से तय नहीं होती, बल्कि देश की जनता और उसकी भागीदारी से तय होती है। भारत में आज भी चुनाव निष्पक्ष होते हैं, सत्ता परिवर्तन होता है और विपक्ष को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। ऐसे में राहुल गांधी का “लोकतंत्र खतरे में” वाला बयान न केवल अतिरंजित है, बल्कि विदेशी मंचों से इसे बार-बार दोहराना सीधे-सीधे राष्ट्रहित के खिलाफ माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, राहुल गांधी ने एक बार फिर विदेश से मोदी सरकार और लोकतंत्र पर सवाल उठाकर यह साबित कर दिया कि उनके लिए राजनीतिक लाभ और सरकार पर हमला, देश की छवि से कहीं अधिक अहम है। यही कारण है कि उनके आलोचक उन्हें राष्ट्रवाद के खिलाफ चेहरा बताने लगे हैं।
#RahulGandhi, #DemocracyInIndia, #ModiGovernment, #Congress, #Nationalism, #RahulAttacksIndia, #IndiaPolitics, #RahulGandhiControversy, #BharatKiChhavi, #IndianDemocracy