जांच हो कि बवाल के पीछे असली चेहरा किसका?
भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की
बरेली बवाल में 350 आरोपियों के फोन नंबर सर्विलांस पर
बरेली, 04 अक्टूबर (एजेंसियां)। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने शुक्रवार शाम को मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि शहर के हालिया बवाल और अतीत की घटनाओं का रिकॉर्ड खंगालते हुए किसी राष्ट्रीय एजेंसी से जांच कराई जाए। तभी यह सच उजागर हो सकेगा कि आखिर किसकी शहर पर शहर में बवाल हुआ? जिस शख्स को बवाल का मास्टरमाइंड मानकर गिरफ्तार किया गया, उसके पीछे कौन है? किसकी शह थी? यह भी साफ होना चाहिए। तभी शहर में दंगों का सिलसिला थमेगा।
श्री अग्रवाल ने कहा कि बरेली बवाल के मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रजा को राष्ट्र विरोधी रास्ते पर लाने के लिए जिम्मेदार कांग्रेस पार्टी है। तौकीर के पिता को कांग्रेस ने एमएलसी बनाया था। इसके बाद ही सियासत की आड़ में मौलाना तौकीर ने धर्म के आधार पर समाज को बांटने की राजनीति शुरू की। मौलाना तौकीर स्वयं को मुसलमानों का मसीहा बताकर धर्म के नाम पर भीड़ को भड़काने का कार्य करने लगा। तौकीर ने साल 2010 में बरेली को दंगों की आग में झोंकने की सुनियोजित साजिश की। कर्फ्यू के दौरान इस्लामिया इंटर कॉलेज में 20–25 हजार और आजाद इंटर कॉलेज में 10–12 हज़ार लोगों की भीड़ इकट्ठा की गई थी। योजना थी, आधी बरेली को रातों-रात फूंक देने की। स्थिति भयावह हो गई थी। प्रशासनिक अधिकारियों ने टेलीफोन तक बंद कर लिए थे। शहर में भय का वातावरण था। लेकिन समाज की सजगता से परिस्थिति बदली। क्षेत्र के लोधी समाज के युवाओं और महिलाओं ने आह्वान पर एकजुट होकर बिना किसी हथियार के बेलन, चकला और जो कुछ भी उपलब्ध था, लेकर मोर्चा संभाला। मात्र आधे घंटे में 35–40 हजार लोग, जिनमें 5–7 हज़ार महिलाएं शामिल थीं, एकत्रित हो गए। उनकी इस एकजुटता के सामने उपद्रवियों को पीछे हटना पड़ा और तभी प्रशासन भी सक्रिय हुआ।
उस घटना के बाद उच्च न्यायालय ने 28 जुलाई 2010 को स्पष्ट आदेश जारी किया कि संबंधित पक्ष किसी भी असामाजिक या राष्ट्रविरोधी गतिविधि में शामिल न हों। लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण मामला वर्षों तक दबा रहा। बरेली के तत्कालीन एडीजे ने स्वतः संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज करवाई और तौकीर विरुद्ध वाद आरम्भ हुआ। लेकिन राजनीति सक्रिय हुई और केस को अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया। न्यायाधीश का भी तबादला बरेली से चित्रकूट कर दिया गया।
श्री अग्रवाल ने कहा कि अभी तक प्रदेश सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से ज्ञात होता है कि इस कांड के तार प्रदेश से तो जुड़े ही थे साथ ही देश और विदेश से भी जुड़े पाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार इसकी गहनता से जांच भी करा रही है। इस जांच में केंद्रीय एजेंसियों का भी सहयोग लिया जाए तो निश्चित रूप से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और वे चेहरे जो राजनीतिक और व्यक्तिगत रोटियां सेंक रहे थे, उजागर होंगे।
उधर, बरेली बवाल मामले में पुलिस ने 350 आरोपियों के फोन नंबर सर्विलांस पर लगाए हैं, जो बवाल के बाद से फरार हैं। आरोपियों की लोकेशन पता की जा रही है ताकि जल्द गिरफ्तारी की जा सके। पुलिस उन सोशल मीडिया अकाउंट की भी जांच कर रही है, जिन पर भड़काऊ सामग्री पोस्ट की गई थी। बरेली में 26 सितंबर को बवाल करके भागे मौलाना तौकीर के करीबियों व समर्थकों की तलाश तेज हो गई है। ऐसे 350 आरोपियों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाकर उनकी लोकेशन पता की जा रही है। साथ ही, भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने वाले 117 सोशल मीडिया अकाउंट की जांच भी की जा रही है। पुलिस के मुताबिक आईएमसी के पदाधिकारियों, सक्रिय सदस्यों और मौलाना के करीबियों ने बवाल के दौरान भीड़ का नेतृत्व किया था। बवाल के मुकदमे में इनमें से कुछ नामजद हैं तो फोटो-वीडियो से पहचान के बाद कुछ के नाम मुकदमों में शामिल किए गए हैं। इसकी भनक लगते ही वे भाग निकले। उधर, बवाल के आरोपियों और उनके मददगारों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की तैयारी है।
पुलिस के मुताबिक ऐसे 350 लोगों के नंबर सर्विलांस पर लगाए गए हैं। इनमें से कुछ के फोन लिसनिंग पर लेकर भी उनकी गतिविधियों की टोह ली जा रही है। उनके परिवार के सदस्यों को उठाकर भी दबाव बनाया जा रहा है। साथ ही 117 सोशल मीडिया अकाउंट की जांच की जा रही है। इनमें 32 एक्स और बाकी फेसबुक अकाउंट हैं, जिनके जरिए बवाल के पहले से विवादित पोस्ट किए जा रहे थे। कुछ अकाउंट ऐसे भी हैं, जिनसे बवाल के बाद भी विवादित सामग्री शेयर की गई।
पुलिस का मानना है कि बवाल के बाद ज्यादातर खुराफाती कारों व बाइक से शहर से भागे होंगे। उनकी तलाश में टोल प्लाजा के सीसी कैमरे खंगाले जा रहे हैं। कुछ आरोपियों के ट्रेन या बस से भागने की आशंका है। इसलिए एसएसपी ने रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों पर लगे सीसी कैमरों की फुटेज चेक कराने का आदेश दिया है। पुलिस ने कई मुकदमों में आरोपियों पर लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम के तहत भी धाराएं लगाई हैं। बवाल के दिन पुलिस की एंटी राइट गन, वायरलेस आदि की तोड़फोड़ व चोरी की गई थी। कई बैरिकेड भी तोड़ दिए गए थे। एक दंत चिकित्सक की दुकान के शीशे व दो बाइकें भी तोड़ी गई थीं। कोतवाली पुलिस अब इस नुकसान का आकलन कर रही है। कोतवाल अमित पांडेय ने बताया कि आईएमसी की ओर से भीड़ बुलाई गई थी, ऐसे में इस तरह के सभी नुकसान की भरपाई इसी पार्टी से की जाएगी।
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