उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड खत्म  

अल्पसंख्यक शिक्षा अधिनियम को मिली मंजूरी

 उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड खत्म  

मदरसा बोर्ड समाप्त करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड

देहरादून, 07 अक्टूबर (एजेंसियां)। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025 को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अब समाप्त हो जाएगा। अब राज्य के सभी मदरसों को उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (उत्तराखंड बोर्ड) से जुड़ना जरूरी होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे समानता और आधुनिकता की ओर एक ऐतिहासिक कदम बताया है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने मदरसा बोर्ड को खत्म कर दिया है।

उत्तराखंड में जो नया कानून (विधेयक) लागू हुआ हैउससे मदरसों के चलाने के तरीके में तीन बड़े बदलाव आ रहे हैं। पहले मदरसे एक अलग बोर्ड (उत्तराखंड मदरसा बोर्ड) के तहत काम करते थे। अब ऐसा नहीं होगा। अब राज्य में चल रहे हर मदरसे को सबसे पहले उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से सरकारी मान्यता लेनी होगी। इसके बादउन्हें उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (उत्तराखंड बोर्ड) के साथ संबद्ध होना जरूरी होगा। यह वही बोर्ड है जिससे राज्य के बाकी सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल जुड़े हुए हैं। इसका मतलब है कि अब मदरसों को अपनी पहचान और काम-काज के लिए दोहरी सरकारी मंजूरी लेनी होगीऔर वे सीधे राज्य की मुख्य शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बन जाएंगे।

नया नियम मदरसों को बाकी स्कूलों की तरह ही बना देगा। इस कदम से अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान अब राज्य की मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली से जुड़ जाएंगे। यानीउनका पाठ्यक्रमपढ़ाई का तरीका और परीक्षाएं अब सामान्य स्कूलों की तरह ही होने लगेंगीजैसा कि मुख्यमंत्री ने बताया है कि 2026 से राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और नई शिक्षा नीति लागू होगी। मदरसे के छात्रों को भी वही शैक्षिक लाभ और अवसर मिल पाएंगे जो राज्य के बाकी बच्चों को मिलते हैं। इसका मतलब है कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक और सामान्य शिक्षा भी उसी स्तर पर मिल सकेगीजैसी अन्य स्कूलों में मिलती है।

नया नियम शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर और साफ-सुथरा बनाने में मदद करेगा। जब मदरसे मुख्य बोर्ड से जुड़ेंगेतो उनके फंड (पैसे)शिक्षकों की भर्तीऔर परीक्षा के तरीकों में पारदर्शिता आएगी। सब कुछ खुलकर और नियमों के हिसाब से होगा। अगर पढ़ाई के स्तर या नियमों के पालन में कोई कमी होती हैतो उनकी जवाबदेही तय करना आसान होगा। उन्हें बताना होगा कि वे नियमों का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं। यह नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि मदरसों में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी हो और सरकारी मदद का सही इस्तेमाल होजिससे बच्चों का भविष्य बेहतर बन सके।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहाअल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025 को मंजूरी प्रदान करने के लिए माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह जी का हार्दिक आभार करता हूं। जुलाई 2026 सत्र से प्रदेश में एक बड़ा बदलाव आएगा। उस सत्र से सभी अल्पसंख्यक विद्यालयों में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम लागू होगा। इसके अलावानई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा दी जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य है कि प्रदेश के हर बच्चे को समान शिक्षा मिले। लक्ष्य है कि सभी को समान अवसर मिलेचाहे वे किसी भी वर्ग या समुदाय के हों। सरकार चाहती है कि हर बच्चा आधुनिक शिक्षा के साथ आगे बढ़े।

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