हम अंग्रेजो के जमाने के जेलर हैं

हम अंग्रेजो के जमाने के जेलर हैं


मुंबई, 20 अक्टूबर (एजेंसियां)। बॉलीवुड में असरानी को एक ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जायेगा, जिन्होंने अपने जबरदस्त कॉमिक अभिनय से दर्शकों के दिलो में पांच दशक तक अपना दीवाना बनाया।


एक जनवरी 1941 को जयपुर में जन्में गोवर्धन असरानी बचपन के दिनों से हीं अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे।असरानी के पिता 1936 में कराची से जयपुर आ गए थे। असरानी के बड़े भाई नंद कुमार असरानी जयपुर की न्यू कॉलोनी में पिछले "लक्ष्मी साड़ी स्टोर्स' नाम से दुकान चलाते थे।असरानी की पढ़ाई जयपुर के सेंट जेवियर स्कूल और राजस्थान कॉलेज में हुई। जयपुर में वह मित्रों के बीच "चोंच' नाम से मशहूर थे। असरानी बचपन से ही जयपुर में रेडियो से जुड़ गए थे।

बाद में उन्होंने रेडियो में नाटक भी किए। जब उन्होंने मुंबई जाने का फैसला किया तो जयपुर में रंगकर्मी दोस्तों ने उनकी मदद के लिए दो नाटक किए-"जूलियस सीजर' और पीएल देशपांडे का "अब के मोय उबारो'। - इसमें मदन शर्मा, गंगा प्रसाद माथुर, नंदलाल शर्मा आदि लोगों ने हिस्सा लिया और नाटकों के टिकट से जो थोड़ी-बहुत आय प्राप्त हुई, वह असरानी को मुंबई जाने के लिए दे दी गई।असरानी वर्ष 1962 में मुंबई पहुंचे। असरानी की मुलाकात 1963 में किशोर साहू और ऋषिकेश मुखर्जी से हुई। उन्होंने असरानी को फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया पुणा से अभिनय का कोर्स करने की सलाह दी।


वर्ष 1966 में फिल्म इंस्टीच्यूट से अभिनय की पढ़ाई पूरी करने के बाद असरानी को शुरुआती संघर्ष का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने एफटीआईआई में प्रशिक्षक की नौकरी कर ली। काम की तलाश में, वह हर शुक्रवार को मुंबई जाते थे। एक बार ऋषिकेश मुखर्जी, गुलजार के साथ इंस्टीच्यूट में पहुंचे। उन्हें देखकर असरानी ने उनसे कहा-"दादा, आपने मुझे काम देने के लिए कहा था।' इस पर मुखर्जी बोले-"देगा, काम देगा।
वर्ष 1967 में प्रदर्शित फिल्म हरे कांच की चूडि़यां से असरानी ने अभिनय जीवन की शुरूआत की।इन सबके बीच असरानी ने कुछ गुजराती फिल्मों में भी काम किया। वर्ष 1971 में प्रदर्शित फिल्म मेरे अपने के जरिये असरानी कुछ हद तक नोटिस किये गये।

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वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म अभिमान के जरिये असरानी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये।ऋषिकेष मुखर्जी के निर्देशन में बनी फिल्म अभिमान में असरानी ने अमिताभ बच्चन के दोस्त की भूमिका निभायी थी। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये असरानी सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामांकित भी किये गये। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म शोले असरानी के सिने करियर के लिये मील का पत्थर साबित हुयी।रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी फिल्म शोले में असरानी ने एक जेलर की भूमिका निभायी थी।इस फिल्म में असरानी का बोला गया यह संवाद..हम अंग्रेजो के जमाने के जेलर है..आज भी सिनेप्रेमी नही भूल पाये है।

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असरानी ने फिल्म "शोले' में अपनी चर्चित भूमिका अंग्रेजों के जमाने का जेलर' के लिए बड़ी तैयारी की थी। उन्हें सलीम-जावेद ने एक पुस्तक लाकर दी-"वर्ल्ड वॉर सेकेंड' जिसमें अडोल्फ हिटलर की तस्वीरें थीं। उन्हें वैसा ही लुक बनाने के लिए कहा गया। कॉस्ट्यूम तैयार करने के लिए अकबर गब्बाना और विग बनाने वाले कबीर को बुलाया गया। पुणे के फिल्म इंस्टीट्यूट में हिटलर की रिकॉर्डेड आवाज थी, जो छात्रों को ट्रेनिंग देने के काम आती थी। इसमें हिटलर जिस अंदाज में कहता है-"आई एम आर्यन।' ठीक उसी अंदाज में असरानी ने डायलॉग बोला-"हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं।'

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बाद में "हा हा' भी इसमें वैसे ही आता था। हिटलर अपनी आवाज के इस घुमाव से पूरे देश को हिप्नोटाइज कर देता था।
वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म चला मुरारी हीरो बनने के जरिये असरानी ने फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रख दिया।इस फिल्म में असरानी ने मुख्य अभिनेता की भूमिका निभायी थी।इस फिल्म में असरानी के अपोजिट बिंदिया गोस्वामी थी।कॉमेडी से भरपूर इस फिल्म को दर्शको ने बेहद पसंद किया था।

चला मुरारी हीरो बनने की सफलता के बाद असरानी ने सलाम मेम साब.हम नही सुधरगें,दिल ही तो है और उड़ान जैसी फिल्मों का निर्देशन किया ।असरानी दो बार सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।उन्हें फिल्म "बालिका वधू' (1977) और "आज की ताजा खबर' (1973) के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिले। "आज की ताजा खबर' और "नमक हराम' में काम करते हुए उन्हें मंजु बंसल से इश्क हो गया, जिनसे उन्होंने बाद में शादी की।

वर्ष 1982 में, असरानी ने साथी कलाकारों दिनेश हिंगू , हरीश पटेल और सलीम परवेज़ (प्रसिद्ध सहायक अभिनेता यूनुस परवेज़ के बेटे ) के साथ मिलकर एक छोटी गुजराती प्रोडक्शन कंपनी स्थापित की । 1996 में यह कंपनी भारी मुनाफे के साथ बंद हो गई। असरानी ने अपने दौर के सभी दिग्गज कलकारो के साथ काम किया।असरानी ने सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ 25 फिल्मों में काम किया।बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ भी असरानी ने कई फिल्मों में काम किया।असरानी ने अपने सिने करियर में लगभग 400 फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया ।

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