लाठी पकड़ने से सिर्फ डर पैदा होता है, उम्मीद नहीं: हरिप्रसाद

लाठी पकड़ने से सिर्फ डर पैदा होता है, उम्मीद नहीं: हरिप्रसाद

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कांग्रेस विधान परिषद सदस्य बी.के. हरिप्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा है कि हाथ में डंडा लेकर लोगों में डर पैदा किया जा सकता है, लेकिन उम्मीद जगाकर नहीं| इस बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय संगठन सचिव बी.एल. संतोष पर पलटवार किया|

उन्होंने कहा बाबा साहब द्वारा दिए गए संविधान की बदौलत ही देश के लोगों में आत्मविश्वास, साहस और उम्मीद का संचार हुआ है| नफरत की गली में जहां जुलूस निकल रहे हों, वहाँ प्यार कैसे पैदा हो सकता है? उन्होंने कहा कि लाठी, लाठियों और बूटों से जुलूस निकालकर समाज में डर और नफरत का माहौल बनाया जा रहा है| यह स्पष्ट है कि इन जुलूसों का उद्देश्य डर का माहौल बनाना है| अगर आरएसएस कोई पैसा देकर बनाया गया संगठन नहीं है, तो फिर देश-विदेश से आने वाले पैसे का जिम्मेदार कौन है? आरएसएस न तो कोई सरकारी संगठन है और न ही कोई गैर-सरकारी संगठन, कम से कम पंजीकृत तो नहीं, जो समाज की सेवा करता हो| तो क्या यह एक भूमिगत संगठन नहीं है? क्या सिर्फ आरएसएस को विदेश से पैसा मिलने की वजह से ही एनजीओ के लिए विदेशी चंदा बंद कर दिया गया है? अपने सौ साल के इतिहास में लाठी लेकर किए गए पथ संचलन से समाज को क्या फायदा हुआ है| क्या पथ संचलन में लाठी लेकर शांति-व्यवस्था भंग करना कोई उपलब्धि है? लाठी लोगों के हाथ में न आने दें और उनकी सेवा करें| अगर आप जल्द नहीं जागे तो संघ जिंदा नहीं बचेगा|

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