जेल में दाख़िल होते ही बंदी ने मोबाइल पर की बात, वीडियो वायरल — जेल प्रशासन और पुलिस पर उठे सवाल

जेल में दाख़िल होते ही बंदी ने मोबाइल पर की बात, वीडियो वायरल — जेल प्रशासन और पुलिस पर उठे सवाल

अंबिकापुर, 24 अक्टूबर (एजेंसियां)। छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले की केंद्रीय जेल से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने जेल सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ताज़ा घटना में जिलाबदर अपराधी जय आदित्य तिवारी उर्फ़ अंश पंडित का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह जेल के मुख्य गेट के पास आराम से मोबाइल फोन पर बात करते हुए दिखाई दे रहा है।

सूत्रों के अनुसार, अंश पंडित को हाल ही में एक एएसआई के घर में घुसकर मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में कोतवाली पुलिस ने उसे जेल दाखिल कराने के लिए सरगुजा की केंद्रीय जेल पहुंचाया था। लेकिन जेल में दाख़िल होने से पहले ही आरोपी को जेल कैंपस के भीतर मोबाइल पर बातचीत करते हुए देखा गया, जिससे पूरे प्रशासन में हड़कंप मच गया।

घटना का वीडियो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि आरोपी जेल के अंदर, मुख्य द्वार के पास, बिना किसी रोकटोक के मोबाइल से बातचीत कर रहा है। इस वीडियो के सामने आने के बाद जेल प्रशासन और जिला पुलिस की साख पर गंभीर दाग लग गया है।

घटना पर संज्ञान लेते हुए जेल अधीक्षक सरगुजा ने एसपी सरगुजा को एक औपचारिक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि आरोपी वास्तव में जेल परिसर के अंदर मोबाइल से बात कर रहा था। पत्र में अधीक्षक ने यह भी लिखा है कि ऐसी घटनाएं जेल प्रशासन और पुलिस दोनों की छवि को नुकसान पहुंचा रही हैं और सुरक्षा प्रोटोकॉल की साख को कमजोर कर रही हैं।

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पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि वायरल वीडियो प्रमाण के रूप में मौजूद है, जिससे यह साबित होता है कि अपराधी जेल परिसर में मोबाइल का उपयोग कर रहा था। अधीक्षक ने एसपी से आग्रह किया है कि इस मामले की गहन जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

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घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं —
क्या जेल प्रशासन अपराधियों को विशेष सुविधा दे रहा है?
क्या यह किसी बड़ी लापरवाही या मिलीभगत का परिणाम है?
और सबसे अहम — यदि जेल में दाख़िल होते ही अपराधी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो जेल के अंदर सुरक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा?

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स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस पूरे मामले पर कड़ी नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि जेल एक अनुशासन और नियंत्रण का प्रतीक है, लेकिन यदि वहां अपराधी आराम से मोबाइल पर बात कर रहे हैं, तो यह न केवल जेल नियमों की धज्जियां उड़ाने जैसा है, बल्कि यह प्रशासनिक भ्रष्टाचार और उदासीनता का भी संकेत देता है।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और जेल परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ की जा रही है। जांच में यह भी देखा जाएगा कि बंदी के पास मोबाइल फोन कैसे पहुंचा और क्या इसमें किसी जेलकर्मी की संलिप्तता है।

वहीं, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस तरह की घटनाएं जेल में प्रतिबंधित वस्तुओं की निगरानी पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई कैदी जेल में दाखिल होते ही मोबाइल फोन का उपयोग करता है, तो यह “सिस्टम की बड़ी असफलता” है, जिसे किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

इस बीच, जेल अधीक्षक ने संबंधित कर्मचारियों को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा हुई तो जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

यह पूरा मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि जेलों में स्मार्टफोन और बाहरी संपर्क के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त निगरानी, डिजिटल ब्लॉकर और नियमित औचक जांच आवश्यक हो गई है।

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