सिद्धारमैया की सफाई: “मेरे बेटे ने किसी को मुख्यमंत्री बनाने की बात नहीं कही” — कर्नाटक कांग्रेस में सियासी गर्मी तेज़

सिद्धारमैया की सफाई: “मेरे बेटे ने किसी को मुख्यमंत्री बनाने की बात नहीं कही” — कर्नाटक कांग्रेस में सियासी गर्मी तेज़

बेंगलुरु, 24 अक्टूबर (एजेंसियां)। कर्नाटक की राजनीति एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की संभावित उत्तराधिकार की अटकलों से गरमा उठी है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि उनके बेटे और कांग्रेस विधायक डॉ. यतींद्र सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री पद के उत्तराधिकारी को लेकर किसी भी नाम का समर्थन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मीडिया और विपक्ष द्वारा इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है, जबकि इसमें कोई सच्चाई नहीं है।

मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, “मेरे बेटे ने कभी यह नहीं कहा कि अमुक व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनना चाहिए। यह सब बेबुनियाद अटकलें हैं। ऐसे राजनीतिक अंदाज़ों को ज़्यादा महत्व देने की आवश्यकता नहीं है। यतींद्र कांग्रेस पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं और वह पार्टी की विचारधारा के अनुसार ही काम करते हैं।”

दरअसल, यह विवाद तब शुरू हुआ जब बेलगावी ज़िले में एक कार्यक्रम के दौरान यतींद्र सिद्धारमैया ने यह बयान दिया कि “मंत्री सतीश जारकीहोली जैसे नेताओं को नेतृत्व की भूमिका के लिए देखा जा सकता है।” इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा फैल गई कि मुख्यमंत्री के बेटे ने अप्रत्यक्ष रूप से अगला मुख्यमंत्री तय करने का संकेत दे दिया है। सोशल मीडिया और विपक्षी दलों ने इस बयान को हवा दी और कांग्रेस के भीतर गुटबाजी की बात उछाल दी।

राज्य की सियासत में यह बयान तुरंत ही सुर्खियों में आ गया। भाजपा और जनता दल (सेक्युलर) ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर अंदरूनी खींचतान जारी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता सीटी रवि ने कहा, “कांग्रेस सरकार में सत्ता संघर्ष अपने चरम पर है। अब मुख्यमंत्री के बेटे ही तय कर रहे हैं कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। यह पार्टी के अंदर लोकतंत्र की हालत बताता है।”

Read More  राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज

वहीं सिद्धारमैया ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह विपक्ष की राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “यह एक साजिश है ताकि कांग्रेस सरकार के भीतर भ्रम पैदा किया जा सके। मेरा बेटा विधायक है, लेकिन उसने कभी कोई राजनीतिक पद या शक्ति का दावा नहीं किया। वह मेरे काम में हस्तक्षेप नहीं करता और न ही मैं उसे राजनीतिक निर्णयों में शामिल करता हूं।”

Read More जनरल बिपिन रावत की संदेहास्पद मौत की जांच हुई या लीपापोती?

सिद्धारमैया ने साथ ही कहा कि पार्टी का नेतृत्व तय करेगा कि भविष्य में मुख्यमंत्री कौन होगा। उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस एक संगठित पार्टी है और किसी भी बड़े निर्णय का निर्धारण केवल उच्च नेतृत्व द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी में कोई व्यक्ति स्वयं को मुख्यमंत्री घोषित नहीं कर सकता। चाहे वह मेरा बेटा ही क्यों न हो। हमारा नेतृत्व सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे अनुभवी नेताओं के हाथों में है। वे जो निर्णय करेंगे, वही अंतिम होगा।”

Read More राहुल गांधी की नागरिकता पर फैसला टला:गृह मंत्रालय ने लखनऊ हाईकोर्ट से 8 सप्ताह का समय मांगा

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सिद्धारमैया का यह बयान दोहरे उद्देश्य से दिया गया है — एक ओर अपने बेटे को विवादों से दूर रखने के लिए और दूसरी ओर पार्टी में यह संदेश देने के लिए कि वह अभी भी पूरी तरह नियंत्रण में हैं। कांग्रेस के भीतर यह भी चर्चा है कि सतीश जारकीहोली, डीके शिवकुमार और एमबी पाटिल जैसे वरिष्ठ नेता भविष्य में नेतृत्व की दौड़ में माने जाते हैं। ऐसे में यतींद्र का नाम उनके समर्थन में जोड़ना पार्टी के भीतर अनावश्यक तनाव बढ़ा सकता था।

इस विवाद के बाद कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी सफाई दी कि पार्टी में किसी प्रकार का “सीएम रेस” नहीं चल रही। राज्य के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा, “कांग्रेस सरकार मजबूत है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार दोनों के बीच तालमेल पूरी तरह ठीक है। ऐसे बयान केवल अफवाहें फैलाने का काम करते हैं।”

दूसरी ओर, भाजपा ने इस मौके को विपक्षी हमले के लिए इस्तेमाल करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार अंदर से अस्थिर है और सत्ता संतुलन की लड़ाई लंबे समय से चल रही है। भाजपा प्रवक्ता मालविका अविनाश ने कहा, “यह बात अब साफ हो चुकी है कि कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री पद के लिए गुटबाजी गहराई तक पहुंच चुकी है। यह सरकार जनता की नहीं, सत्ता के लिए बनी है।”

सिद्धारमैया, जो 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री बने थे, फिलहाल अपनी सरकार की स्थिरता बनाए रखने में जुटे हैं। पार्टी के भीतर डीके शिवकुमार के समर्थक खेमे को भी यह भरोसा देने की कोशिश की जा रही है कि सत्ता का केंद्र केवल मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि समूची कैबिनेट है।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, सिद्धारमैया का यह बयान कांग्रेस के भीतर एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि “नेतृत्व तय करने का अधिकार केवल पार्टी आलाकमान को है।” हालांकि इस विवाद ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि कर्नाटक की राजनीति में सत्ता की सुगंध हमेशा अस्थिरता की बहस को जन्म देती है।

#Siddaramaiah, #KarnatakaPolitics, #YathindraSiddaramaiah, #SatishJarkiholi, #Congress, #BJPKarnataka, #DKShivakumar, #ChiefMinisterRace, #KarnatakaNews, #PoliticalControversy, #CMKarnataka