भारत और आसियान की होगी 21वीं सदी: मोदी

आसियान सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की वर्चुअल मौजदूगी

भारत और आसियान की होगी 21वीं सदी: मोदी

आसियान-भारत साझेदारी मजबूत करने की जरूरतवियतनाम

 

क्वालालम्पुर, 27 अक्टूबर (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मलेशिया में हो रहे आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने मलेशिया के पीएम अनवर इब्राहिम को आसियान के सफल अध्यक्षता की बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और आसियान मिलकर दुनिया की एक चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम सिर्फ पड़ोसी नहींबल्कि गहरे इतिहाससंस्कृति और मूल्यों से जुड़े हैं। व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक पार्टनर भी हैं। आसियान भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का मुख्य हिस्सा है। भारत हमेशा आसियान की केंद्रियता और इंडो-पैसिफिक विजन का पूरा समर्थन करता रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि अनिश्चित समय में भी भारत-आसियान स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप मजबूत हो रही है। ये वैश्विक शांति और विकास का आधार बनेगी। समिट की थीम इनक्लूसिविटी और सस्टेनेबिलिटी हैजो हमारे काम में दिखती है। डिजिटल शामिल करनाखाने की सुरक्षा या सप्लाई चेन मजबूत करनासबमें भारत साथ है। हर मुसीबत में आसियान दोस्तों के साथ खड़े रहे। सहयोग हर क्षेत्र में बढ़ रहा है। इसलिए 2026 को आसियान-इंडिया मैरिटाइम कोऑपरेशन ईयर घोषित किया।

पीएम मोदी ने कहा कि आसियान देश शिक्षाटूरिज्मसाइंसखेलग्रीन एनर्जीसाइबर सिक्योरिटी में और मजबूती देंगे। सांस्कृतिक विरासत बचाएँगेलोगों के रिश्ते मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी हमारी हैभारत और आसियान की। आसियान विजन 2045 और विकसित भारत 2047 से पूरी दुनिया को बेहतर भविष्य मिलेगा। पीएम मोदी ने तिमोर-लेस्ते को नए सदस्य के रूप में स्वागत किया और थाईलैंड की राजमाता के निधन पर संवेदना जताई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी समिट में शामिल हुए हैं।

आसियान सम्मेलन में वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह ने आसियान-भारत साझेदारी को मजबूत करने के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों का प्रस्ताव रखा। उन्होंने आर्थिक संबंधोंशिक्षास्वास्थ्यसंस्कृति और पर्यटन में सहयोग बढ़ाने तथा समुद्री सहयोग और टिकाऊ नीली अर्थव्यवस्था विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि विकासशील देशों की आवाज को सशक्त बनाने में भारत ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की जरूरत है और स्थायी और समावेशी विकास के लिए आपसी लाभों का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए। दूसराउन्होंने शिक्षास्वास्थ्यसंस्कृति और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में लोगों के बीच संपर्क और सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। तीसराउन्होंने समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने और एक टिकाऊ ब्लू इकॉनमी यानी नीली अर्थव्यवस्था विकसित करने के महत्व पर जोर दिया।

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वियतनामी प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यवसायोंखासकर छोटे और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) की भूमिका को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आसियान-भारत व्यापार परिषद का पुनर्गठन करनेउच्च प्रौद्योगिकीनवीकरणीय उर्जाबुनियादी ढांचालॉजिस्टिकआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में निवेश की जरूरत है। साथ ही मेकांग-गंगा उपक्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिए समुद्री परिवहनविज्ञान और उद्योग में सहयोग को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने आसियान के पूर्वी सागर (दक्षिण चीन सागर) पर रुख का समर्थन जारी रखनेनौहवन सुरक्षास्वतंत्रता और शांति सुनिश्चित करने व अंतरराष्ट्रीय कानूनखासतौर पर 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के अनुसार विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करने की आवश्यकता है।

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उन्होंने कहा कि भारत ने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और वैश्विक एजेंडा में विकासशील देशों की आवाज को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने वियतनाम की ओर से भारत की एक्ट ईस्ट नीति और आसियान के साथ व्यापक व ठोस सहयोग को मजबूत करने के प्रयासों के लिए समर्थन दोहराया। उन्होंने जोर देकर कहा कि तेजी से बदलते और बदलते वैश्विक परिदृश्य में आसियान और भारत के पास संयुक्त रूप से दो अरब से अधिक की आबादी और करीब आठ ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की कुल जीडीपी है।

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मलयेशिया में आयोजित 47वें आसियान शिखर सम्मेलन में आसियान-भारत संयुक्त नेताओं का बयान ऑन सस्टेनेबल टूरिज्म को अपनाया गया। इस बयान में सभी देशों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि पर्यटन को इस तरह विकसित किया जाए जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहेसमाज को समान लाभ मिले और स्थानीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिले। भारत और आसियान देशों ने रविवार को कहा कि टिकाऊ पर्यटन का मकसद सिर्फ पर्यावरण की रक्षा नहींबल्कि स्थानीय समुदायों की आर्थिक नींव को मजबूत करना भी है। आसियान-भारत संयुक्त नेताओं का बयान जारी किया गया है। भारत और आसियान का यह साझा कदम न केवल पर्यटन के क्षेत्र में नई दिशा देगाबल्कि आर्थिक स्थिरता और सामाजिक समानता को भी मजबूती से आगे बढ़ाएगा।

संयुक्त बयान में कहा गया कि आर्थिक स्थिरता टिकाऊ पर्यटन की बुनियाद है। इसमें चार प्रमुख बिंदु शामिल हैं, आर्थिक रूप से व्यवहारिक और टिकाऊ गतिविधियों को बढ़ावा देना। सभी हितधारकों को सामाजिक-आर्थिक लाभ समान रूप से उपलब्ध कराना। स्थायी रोजगार और आय के अवसर पैदा करना और आर्थिक लाभ का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना।

नेताओं ने यह भी कहा कि पर्यटन के विकास में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भूमिका जरूरी है। इसके लिए कौशल प्रशिक्षणउद्यमिता को बढ़ावा देने और समुदाय-आधारित पर्यटन योजनाओं पर काम करने की बात कही गई। उद्देश्य यह है कि पर्यटन से होने वाली आय सीधे लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करे। बयान में महिलाओं और युवाओं को पर्यटन उद्योग में अधिक भागीदारी देने पर भी जोर दिया गया। इको-टूरिज्म को बढ़ावा देकर भीड़भाड़ और प्राकृतिक स्थलों के अत्यधिक उपयोग को रोकने की योजना है। नेताओं ने कहा कि पर्यटन को डेटा आधारित और तकनीक समर्थ बनाना होगा। इसके लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनानेपर्यटकों की आवाजाही का विश्लेषण करने और नई तकनीकों से अनुभव को बेहतर करने की आवश्यकता बताई गई।

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