कांग्रेस के पप्पू अब कहां चला रहे चप्पू?
बिहार के चुनावी माहौल से राहुल गांधी लापता
बिहार के मतदाता पूछ रहे तरह-तरह के सवाल
बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत तमाम नेता बिहार में ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां कर रहे हैं, लेकिन बिहार के चुनावी सीन से कांग्रेस के नायब राहुल गांधी गायब हैं। बिहार के मतदाताओं के बीच यह सवाल तेजी से उछल रहा कि कांग्रेस के पप्पू अभी कहां चप्पू चला रहे हैं? उनकी बिहार से गुमशुदगी कहीं उनके पलायन का संकेत तो नहीं है? चुनाव में होने वाली बुरी गत के फीडबैक से राहुल गांधी ने कहीं सरेंडर तो नहीं कर दिया?
बिहार पर चुनावी रंग चढ़ा हुआ है। 6 नवंबर को पहले फेज का मतदान होने वाला है। पहले फेज के लिए चुनाव प्रचार 4 नवंबर तक चलेगा। बस एक ही हफ्ता बाकी है। महागठबंधन खेमे में बहस और सवालों का घमासान मचा हुआ है। सब पूछ रहे हैं कि एक तरफ एनडीए के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान समेत कई अन्य नेता रोज रैलियां कर रहे हैं, लेकिन इंडी गठबंधन के लिए राहुल गांधी सीन से बिल्कुल सफाचट हैं। दो महीने से बिहार आए ही नहीं। न रैली की, न सड़क पर उतरे, न संविधान का वास्ता देते नजर आए। विदेश में भारत विरोधी बयान देते जरूर दिखे। राहुल गांधी का पिछला बिहार आगमन एक सितंबर को हुआ था, जब वे वोटर अधिकार यात्रा का समापन करने पटना आए थे। बिहार के लोग पूछते हैं कि क्या राहुल गांधी अब बिहार के वोट समापन के बाद ही अवतरित होंगे?
दूसरी तरफ बिहार के लोगों में यह आम चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो बिहार को अपना दूसरा घर ही बना लिया है। हर दूसरे दिन रैली, हर रैली में विपक्ष पर जोरदार हमला। लेकिन राहुल गांधी का गायब होना उनके आत्मसमर्पण या पलायन की सनद है। वोटर अधिकार यात्रा के दौरान बिहार के कोने-कोने में घूमने वाले राहुल गांधी का अचानक नदारद होना यहीं संकेत और संदेश दे रहा है। चुनाव का बिगुल बज चुका है, पहले चरण का नामांकन तक खत्म हो गया, लेकिन राहुल साहब कहीं नजर नहीं आ रहे। ये सवाल अब सिर्फ बिहार के मतदाता ही नहीं पूछ रहे, बल्कि कांग्रेस के कार्यकर्ता भी परेशान होकर यही पूछ रहे हैं। बिहार चुनाव के ठीक बीच में राहुल गांधी का गायब होना किसी ठीक वैसा ही ऊटपटांग लग रहा है, जैसा राहुल गांधी का बोलना। कांग्रेस के अंदर काफी बेचैनी है। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, राहुल जी ने वोटर अधिकार यात्रा से पार्टी में जान डाली थी, लेकिन अब उनकी अनुपस्थिति महंगी पड़ रही है। वे दिल्ली में तो इमरती बनाते दिखे, लेकिन बिहार में नहीं दिख रहे।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की इस बैचनी पर पर्दा डालते हुए कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल कहते हैं, राहुल छठ पूजा के बाद बिहार जाएंगे। 29 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में तेजस्वी के साथ संयुक्त रैली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों 28 को बिहार पहुंचेंगे। लेकिन आज 27 तारीख हो चुकी, बिहार में राहुल गांधी के आने की कोई सुगबुगाहट नहीं है। इसी सिलसिले में बात उस वोटर अधिकार यात्रा की, जिसने बिहार में हंगामा खड़ा कर दिया था। सितंबर में शुरू हुई वह यात्रा गांव-गांव गई, राहुल गांधी ने आदतन ईवीएम पर सवाल उठाए, वोट चोरी का हाइड्रोजन बम फोड़ने की बात की। लेकिन सारा बम फुस्स साबित हुआ। एक सितंबर को पटना में राहुल गांधी को न तो मनचाहा समापन मिल पाया और न ही किसी जनसभा को वे संबोधित कर पाए। उसके बाद क्या हुआ? राहुल गांधी दिल्ली चले गए और बिहार वाले अकेले रह गए। कांग्रेस कार्यकर्ता परेशान हैं। यहां तक कि इंडी गठबंधन के पोस्टरों से राहुल गांधी की तस्वीरें तक गायब कर दी गई हैं।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी ने कहा, वोटर अधिकार यात्रा से पार्टी में नई जान आई, लेकिन राहुल की अनुपस्थिति से वह जोश ठंडा पड़ गया। यह अनुपस्थिति महागठबंधन को नुकसान पहुंचा रही है। कांग्रेस के नेता राहुल को बुलाने की मांग कर रहे। लेकिन अब काफी देर हो चुकी है। दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री का चेहरा तय करने में भी देरी लगी। लालू दबाव डालते रहे, तेजस्वी का नाम दो। लेकिन कांग्रेस टालती रही, फिर गहलोत भेजे गए। आखिरकार 23 अक्टूबर को घोषणा की गई कि तेजस्वी यादव ही सीएम पद का चेहरा होंगे, लेकिन इसके बाद से कांग्रेस पूरी तरह ठंडी पड़ गई। अब 29 अक्टूबर को राहुल-तेजस्वी की साझा रैली है, लेकिन साफ दिख रहा है कि इसका सारा क्रेडिट साफ तौर पर आरजेडी को मिलने वाला है। कांग्रेस उम्मीदवार परेशान हैं। एक प्रत्याशी ने बताया, हम पोस्टर लगवा रहे हैं, घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। लोग पूछते हैं, राहुल जी कहां हैं? उनका भाषण सुनना चाहते हैं। बिना उनके मंच खाली लगता है। कई सीटों पर तैयारी आधी-अधूरी ही रह गई है। बिहार में कांग्रेस का जोश ठंडा पड़ चुका है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश जगाने के बजाय कांग्रेस नेता राहुल गांधी दिल्ली में इमरती छानते दिखे। कांग्रेस के अंदर कोहराम मचा हुआ है। उम्मीदवार राज्य के नेताओं पर टिकट के बदले उगाही का आरोप लगा रहे हैं। यहां तक कि पप्पू यादव पर भी कई लोगों को टिकट बांटने का आरोप लग रहा है। ऐसे में राहुल गांधी हैं कहां? पार्टी को एकजुट करने के लिए वे क्या कर रहे हैं? ये सवाल बिहारियों के दिमाग में है।
सियासी जानकार कहते हैं, यह राहुल की स्टाइल है। भारत जोड़ो यात्रा जैसा मेगा इवेंट करते हैं, फिर अचानक ब्रेक लेकर गायब हो जाते हैं। तफरीह करने विदेश चले जाते हैं। यह अलग बात है कि यह चुनाव में कांग्रेस को काफी महंगा पड़ता है। लेकिन राहुल गांधी अपनी स्टाइल नहीं छोड़ पाते। इस बार भी राहुल गांधी वही रास्ता अपना रहे हैं। हारेंगे तो फिर से ईवीएम का रोना रोएंगे। अब जनता तो छोड़िए, खुद कांग्रेस भी इस रुदाली से आजिज आ चुके हैं। राहुल गांधी की विदेश यात्राओं की संख्या लगातार बढ़ती रही है। पिछले नौ महीनों में उन्होंने कम से कम छह विदेश यात्राएं की हैं, जिनमें अमेरिका, इटली, वियतनाम, दुबई, कतर, मले
बहरहाल, बिहार चुनाव के प्रसंग में राहुल गांधी अपनी प्रासंगिकता पूरी तरह खो चुके हैं। बिहार के मतदादा कहते हैं, राहुल गांधी को बिहार के मतदाताओं पर भरोसा नहीं और बिहार के मतदाता कहते हैं कि उन्हें राहुल गांधी पर भरोसा नहीं। राहुल गांधी की अनुपस्थिति बिहार में अब इस तरह की चर्चा का विषय बन चुकी है।
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