कर्नाटक के मुख्यमंत्री इन दिनों अपना संयम क्यों खो रहे हैं?
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मुख्यमंत्री सिद्धरामैया इन दिनों अक्सर अपना आपा खोते जा रहे हैं| शुक्रवार को एक पत्रकार ने जब संभावित नेतृत्व परिवर्तन और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के उनकी जगह लेने के बारे में पूछा, तो वे परेशान दिखे|
जब एक मीडियाकर्मी ने उन खबरों पर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया मांगी, जिनमें दावा किया गया था कि केपीसीसी प्रमुख ने अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए 21 नवंबर की तारीख तय की है, तो सिद्धरामैया ने पलटवार करते हुए कहा कि क्या उन्होंने (शिवकुमार) आपको बताया है? जब उन्होंने जवाब दिया कि उन्होंने यह बात अखबार में पढ़ी है, तो मुख्यमंत्री ने तुरंत जवाब दिया कौन सा अखबार? मैंने इसे कहीं नहीं देखा, हालाँकि मैंने सभी अखबार पढ़े हैं|
यह सवाल संभावित नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के संदर्भ में था, क्योंकि कांग्रेस सरकार 20 नवंबर को अपने पांच साल के कार्यकाल का आधा कार्यकाल पूरा कर रही है| हाल के दिनों में, मुख्यमंत्री तथाकथित ‘नवंबर क्रांति‘ और संभावित सत्ता हस्तांतरण पर पूछे गए सवालों से स्पष्ट रूप से चिढ़े हुए हैं| जहां सिद्धरामैया दावा कर रहे हैं कि वे पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री रहेंगे, वहीं उनके उपमुख्यमंत्री शिवकुमार मई 2023 में सरकार गठन के समय हुए अनौपचारिक सत्ता-साझेदारी समझौते का पालन करने के लिए पार्टी आलाकमान से कड़ी मोलभाव कर रहे हैं|
दूसरी ओर शिवकुमार मुख्यमंत्री पद पाने के लिए पार्टी आलाकमान पर अपनी उम्मीदें लगाए हुए हैं और अपने समर्थकों से शांत और निश्चिंत रहने की अपील कर रहे हैं|
पहले भी कई मौकों पर, जब पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछे, तो मुख्यमंत्री अपना संयम खो बैठे, उदाहरण के लिए, जब उनसे मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण भूमि आवंटन घोटाले में उनकी कथित भूमिका के बारे में पूछा गया|
फिर, 22 सितंबर को मैसूरु में दशहरा उत्सव के उद्घाटन के दौरान, मुख्यमंत्री उस समय नाराज हो गए जब कुछ बेचैन दर्शक समारोह से बाहर निकलते हुए पाए गए| उन्होंने समारोह बीच में ही छोड़कर जा रहे लोगों को डांटा और पुलिस को हस्तक्षेप करने का आदेश दिया|

