राज्य में नवंबर में राजनीतिक क्रांति, मंत्री सतीश जारकीहोली दिल्ली पहुंचे
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| नवंबर क्रांति की राजनीतिक चर्चाओं के बीच, कैबिनेट के प्रभावशाली मंत्रियों के दिल्ली दौरे और बढ़ गए हैं| उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के दिल्ली जाकर वरिष्ठ विश्वासपात्रों से मिलने और वापस लौटने के बाद, लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली भी दिल्ली रवाना हो गए हैं| शिवकुमार ने दिल्ली में सोनिया गांधी की करीबी अंबिका सोनी से मुलाकात की थी|
उन्होंने कुछ वरिष्ठ नेताओं से भी बातचीत की थी| नवंबर क्रांति को लेकर तरह-तरह की अफवाहें फैल रही हैं| डी.के. शिवकुमार की इस खामोश रणनीति ने मुख्यमंत्री सिद्धरामैया गुट में चिंता पैदा कर दी है| इसलिए, चर्चा है कि सिद्धरामैया के करीबी मंत्री सतीश जारकीहोली तीन दिनों तक दिल्ली में डेरा डालकर अपनी रणनीति अपनाएंगे| मुख्यमंत्री सिद्धरामैया सत्ता बंटवारे समेत किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर सीधे मैदान में नहीं उतरेंगे| बल्कि, वे अपने करीबियों को पहले छोड़कर एक पूरक मंच बनाने की रणनीति अपना रहे हैं| इस बात पर संदेह होने लगा है कि क्या सिद्धरामैया अब भी उसी तरह की राजनीति कर रहे हैं| शिवकुमार राज्य के किसी भी नेता पर भरोसा किए बिना सीधे दिल्ली के नेताओं के संपर्क में हैं|
डी.के. शिवकुमार राज्य में सौ कांग्रेस कार्यालयों के निर्माण परियोजना के उद्घाटन में वरिष्ठ नेताओं समेत राहुल गांधी और सोनिया गांधी को बुलाने की कोशिश कर रहे हैं| ऐसी भी खबरें हैं कि उन्होंने इसी सिलसिले में सोनिया गांधी से इस बारे में चर्चा की थी| लेकिन सिद्धरामैया गुट इस बात पर यकीन नहीं करता| सतीश जारकीहोली अपने विभाग की कार्ययोजना पर चर्चा के लिए दिल्ली जा रहे हैं, यह कहते हुए पर्दे के पीछे एक और रणनीति अपनाई जा रही है| कहा जा रहा है कि सतीश जारकीहोली राज्य में चल रही उलझनों की रिपोर्ट आलाकमान को देकर सारी उलझनें सुलझाएंगे और अपील करेंगे| दिल्ली में सत्ता बंटवारे को लेकर सहमति बन गई है| कांग्रेस सरकार 20 नवंबर को ढाई साल पूरे कर लेगी|
सिद्धरामैया अपने पद से इस्तीफा देकर बाकी कार्यकाल डी.के. शिवकुमार को सौंप देंगे| ऐसी भी मांगें उठ रही हैं कि ऐसा इसी तरह किया जाना चाहिए| इस मुद्दे पर तरह-तरह की चर्चाएँ चल रही हैं| सिद्धरामैया को पद से नहीं हटाया जाना चाहिए, क्योंकि राज्य में पिछड़े वर्गों का उनका एक बड़ा वोट बैंक है| इसलिए, सतीश जारकीहोली दिल्ली के नेताओं के सामने यह तर्क रख सकते हैं कि मौजूदा व्यवस्था को जारी रखा जाना चाहिए| सतीश जारकीहोली ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने का समय माँगा है, और एआईसीसी अध्यक्ष कार्यालय से उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने से इस बहस को और हवा मिल गई है| कहा जा रहा है कि सतीश जारकीहोली के बाद, पूर्व मंत्री के.एन. राजन्ना समेत सिद्धरामैया गुट के कई नेता दिल्ली जाने की योजना बना रहे हैं| नवंबर क्रांति में अभी 20 दिन बाकी हैं| उससे पहले ही कांग्रेस में भारी हलचल मच गई है|
शिवकुमार और सिद्धरामैया गुटों के बीच खूब बहस-मुबाहिसे हुए हैं| एक-दूसरे के तर्क दिए जा रहे हैं| इस सारी उलझन को खत्म करने के लिए, आलाकमान पर स्पष्ट संदेश देने का दबाव है| ऐसी अफवाहें हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात के पीछे बिहार चुनाव का हाथ है| विपक्षी दल इसी बहाने गंभीर आरोप लगा रहे हैं कि राज्य की कांग्रेस सरकार बिहार विधानसभा चुनावों के लिए वित्तीय सहायता दे रही है| लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली के दिल्ली दौरे को गलत न समझा जाए| सभी दौरे राजनीतिक कारणों से नहीं होते| उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा कि वह भी दिल्ली जा रहे हैं| पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मंत्री सतीश जारकीहोली विभागीय कारणों से भी दिल्ली जा सकते हैं|
-हमारे लिए मंदिर के समान
वहां का कांग्रेस कार्यालय हमारे लिए मंदिर के समान है| दिल्ली जाकर वरिष्ठों से मिलने के बाद पार्टी कार्यालय जाना सामान्य बात है| उन्होंने कहा कि इसका अलग अर्थ निकालने की कोई जरूरत नहीं है| मंत्री और विधायक सहित कोई भी दिल्ली जा सकता है| मुझे 5 या 7 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव में भी जाना है| इस बीच, केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली में एक बैठक बुलाई है| इसके अलावा, कावेरी विवाद पर अदालत में सुनवाई होनी है| उन्होंने उस मामले से जुड़ी सारी जानकारी हासिल कर ली है और दिल्ली में वकीलों से इस पर चर्चा करनी है| उन्होंने कहा कि विवाद और तमिलनाडु में हमारी याचिकाओं का विवरण दिया जाना चाहिए| कुछ मामलों में, राज्य के विधायकों को अलग-अलग राज्यों के पार्टी संगठन और चुनाव प्रभारी नियुक्त किया जाता है| हमारे राज्य के विधायक रिजवान अरशद, श्रीनिवास माने, सांसद श्रेयस पटेल, ई. तुकाराम और कई अन्य को ओडिशा का प्रभारी बनाया गया है।
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