122 फर्जी फर्मों के जरिए 341 करोड़ की जीएसटी चोरी
पंजाब और गुजरात के सफेदपोशों से जुड़े मास्टरमाइंड के तार
मुरादाबाद, 02 नवंबर (एजेंसियां)। देशभर में 122 फर्जी फर्म बनाकर 341 करोड़ की जीएसटी चोरी के मामले की जांच स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) करेगी। एसएसपी ने सीओ क्राइम के नेतृत्व में गठित एसआईटी में साइबर सेल प्रभारी और सर्विलांस टीम प्रभारी को शामिल किया है।
एसआईटी जिले में जीएसटी के संबंधित सभी आठ मुकदमों की जांच करेगी। इसमें लोहे के अलावा लकड़ी से जुड़े सिंडिकेट शामिल हैं। राज्य कर विभाग ने 341 करोड़ की टैक्स चोरी के मामले में शुक्रवार को सिविल लाइंस थाने में दो मुकदमे दर्ज कराए हैं। दो अलग-अलग एफआईआर में मास्टरमाइंड लोहा कारोबारी अंकित कुमार समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा एफआईआर में दो ट्रांसपोर्ट फर्मों को शामिल किया गया है। देशभर में बोगस फर्मों को खोलकर केंद्र और प्रदेश सरकार को करोड़ों का चूना लगाने वाले अंकित कुमार के तार पंजाब और गुजरात के सफेदपोशों के जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है। इस मामले में मास्टरमाइंड अंकित और उसके साथियों के ईमेल को खंगाला जा रहा है। एसएसपी सतपाल अंतिल के मुताबिक यह मामला काफी संवेदनशील है। इसकी जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है। एआईटी में सीओ क्राइम, साइबर सेल प्रभारी और सर्विलांस टीम के प्रभारी को शामिल किया गया है। एसआईटी बैंक, सर्विलांस के माध्यम से आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाकर कार्रवाई करेगी। इसके अलावा जिले में जीएसटी से जुड़े छह अन्य मुकदमों की भी जांच एसआईटी करेगी।
राज्य कर विभाग ने लखनऊ-मुरादाबाद हाईवे पर 24 और 25 अक्टूबर को लोहे से लदे दो ट्रकों को पकड़े थे। यह माल लखनऊ के राजाजीपुरम आवास विकास कॉलोनी निवासी अंकित कुमार का था जिसे मुजफ्फरनगर भेजा जा रहा था। इस मामले में अपर आयुक्त ग्रेड-2 आरए सेठ के साथ 42 अधिकारियों की टीम ने जांच की तो पता चला कि अंकित ने दो मोबाइल नंबरों पर देश के अलग-अलग राज्यों में 122 बोगस फर्मों का सीजीएसटी और राज्य कर विभाग में पंजीयन करा रखा है। तीन दिनों तक चली जांच में 341 करोड़ की टैक्स चोरी का मामला सामने आया है। इन फर्मों पर 1811 करोड़ रुपए का व्यापार किया गया है। इसके बाद विभाग ने मुकदमा दर्ज कराया।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अंकित कुमार सहित अन्य आरोपियों के सही नाम और पता उनके मोबाइल नंबर से चलेगा। पुलिस टीम कॉल डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) के आधार पर आरोपियों तक पहुंचने की तैयारी में है। अभी तक जांच में अंकित कुमार के साथी सौरभ मिश्रा के बारे में राज्य कर अधिकारियों को पता नहीं चला है। लकड़ी कारोबारियों की बोगस फर्मों को खोलकर सरकार को करीब 200 करोड़ का चूना लगाया था। इस मामले में राज्य कर के अधिकारियों ने दो माह पहले कोतवाली, गलशहीद और बिलारी थाने सहित कुल छह केस दर्ज कराया था लेकिन जांच के दौरान कोई आरोपी नहीं पकड़ा गया। इसी कारण एसएसपी ने पूरे मामलों की जांच करने के लिए एसआईटी गठित कर दी है।
अपर आयुक्त ग्रेड-1 अशोक कुमार सिंह ने डाटा विश्लेषण के दौरान लकड़ी कारोबारियों की चोरी पकड़ी थी। इस मामले में विभाग ने जुलाई से बोगस फर्मों के खिलाफ अभियान शुरू किया। जांच में पाया गया कि मंडल की 128 बोगस फर्मों के माध्यम से लकड़ी की खरीद बिक्री की थी। इन फर्मों ने 1300 करोड़ का टर्न ओवर का मामला प्रकाश में आया। आशंका जताई गई कि बोगस फर्मों के माध्यम से करीब 200 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी की गई है। राज्य कर विभाग की रिपोर्ट पर सीजीएसटी ने 95 फर्मों का पंजीयन निरस्त कर दिया।
जांच अधिकारियों ने पाया कि मुरादाबाद जिले के ठाकुरद्वारा और रामपुर से शुरू हुई लकड़ी की बोगस फर्मों ने अमरोहा, बिजनौर और उत्तराखंड तक खरीद फरोख्त की है। सरकार से पैसे हड़पने के लिए कारोबारियों ने फर्जी कागजातों और फर्जी बिलों का इस्तेमाल किया। इस मामले में केस दर्ज होने के बाद शहर के कोतवाली, गलशहीद और कुंदरकी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। राज्य कर विभाग ने बोगस फर्मों से जुड़े 12 संदिग्ध लोगों की सूची तैयार की थी। इस मामले में गोपनीय सूची पुलिस को भी सौंपी गई लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं किया। कोतवाली में दर्ज मुकदमे के अनुसार कारोबारी ने लकड़ी की एक फर्म के लिए कोतवाली क्षेत्र का पता दिया था। उसने पांच करोड़ का टर्नओवर किया था। जांच में कोतवाली क्षेत्र का पता फर्जी निकला था।
देशभर में बोगस फर्मों को खोलकर केंद्र और प्रदेश सरकार को करोड़ों का चूना लगाने वाले अंकित कुमार के तार पंजाब और गुजरात के सफेदपोशों के जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है। इस मामले में मास्टरमाइंड अंकित और उसके साथियों के ईमेल को खंगाला जा रहा है।लखनऊ के राजाजीपुरम का फर्जी पता दर्ज कर मास्टरमाइंड अंकित कुमार ने देशभर में 122 फर्में खड़ी कर दी हैं। देशभर में फैले फर्जीवाड़े को सीजीएसटी के अधिकारी पकड़ नहीं सके। दो साल से मास्टरमाइंड विभाग के सरलीकरण का फायदा उठाते हुए बोगस फर्मों के माध्यम से कारोबार करता रहा। धीरे-धीरे उसने 1811 करोड़ से अधिक का कारोबार किया तो राज्य कर विभाग के अधिकारियों के हत्थे चढ़ गया। जांच अधिकारियों का कहना है कि उसने मुरादाबाद में अपनी एक फर्म का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। उसे पता था कि यहां रजिस्ट्रेशन कराने पर पकड़े जाने की संभावना अधिक है।
मास्टरमाइंड अंकित को विभाग के अधिकारियों के बारे में जानकारी थी। देशभर में कारोबार खड़ा कर उसने सरकार को 341 करोड़ का चूना लगाया। आशंका है कि मास्टरमाइंड से कुछ सफेदपोश भी जुड़े हुए हैं। सीडीआर से इसका खुलासा होने की संभावना है। जांच में सीजीएसटी के अधिकारियों की लापरवाही प्रकाश में आई है। अधिकारियों ने फर्मों का पंजीयन करने के बाद उनका भौतिक सत्यापन नहीं किया। इसी का फायदा उठाते हुए मास्टरमाइंड अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकते हुए करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर दिया।

