भारत का ‘अंतरिक्ष प्रहरी’ तैयार
इसरो ने ‘बाहुबली’ रॉकेट से नौसेना का सबसे उन्नत संचार उपग्रह लॉन्च किया
नौसेना को मिलेगा ‘स्पेस कम्युनिकेशन का कवच’
कठिन मौसम में भी सफल प्रक्षेपण : इसरो प्रमुख
नई दिल्ली/श्रीहरिकोटा, 2 नवंबर (एजेंसियां)। भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए नौसेना का सबसे अत्याधुनिक संचार उपग्रह सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। इसरो ने रविवार देर रात अपने शक्तिशाली ‘बाहुबली’ रॉकेट LVM3-M5 के जरिए GSAT-NAVCOM-03 उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया। इसे भारत के “अंतरिक्ष प्रहरी” की उपाधि दी जा रही है, क्योंकि यह देश की समुद्री सुरक्षा और संचार प्रणाली को नई दिशा देगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक, लगभग 4,410 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह देश का अब तक का सबसे उन्नत नौसैनिक संचार उपग्रह है। यह उपग्रह हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना को सुरक्षित, उच्च गति वाला और निर्बाध संचार प्रदान करेगा। इससे जहाजों, पनडुब्बियों और तटीय सुरक्षा ठिकानों के बीच रीयल टाइम डेटा ट्रांसफर और कमांड नेटवर्किंग संभव हो सकेगी।
इसरो प्रमुख ने कहा कि यह मिशन अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में पूरा किया गया, क्योंकि प्रक्षेपण के समय मौसम प्रतिकूल था। उन्होंने बताया कि रॉकेट ने निर्धारित समय पर उड़ान भरी और उपग्रह को सटीक कक्षा में स्थापित किया। प्रक्षेपण की सफलता के साथ भारत ने समुद्री सुरक्षा और अंतरिक्ष संचार दोनों क्षेत्रों में एक नई ऊँचाई छू ली है।
‘बाहुबली’ रॉकेट की खासियतें
यह वही रॉकेट है जिसने चंद्रयान और आदित्य मिशन जैसे अभियानों को सफलता दिलाई थी। LVM3-M5 की यह उड़ान इसकी पांचवीं सफल उड़ान मानी जा रही है। इसमें लगे क्रायोजेनिक इंजन ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और 36 मिनट के भीतर उपग्रह को उसकी निर्धारित भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर दिया।
उपग्रह की तकनीकी क्षमता
GSAT-NAVCOM-03 में हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रांसपोंडर और उन्नत नेविगेशन मॉड्यूल लगाए गए हैं, जो समुद्री सीमाओं में मौजूद नौसैनिक इकाइयों को सटीक संचार और पोजिशनिंग सहायता देंगे। यह उपग्रह 15 वर्ष तक सेवाएं देने में सक्षम है और कठिन समुद्री मौसम या तूफान जैसी स्थितियों में भी अबाध संपर्क बनाए रखेगा।
इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार, इस उपग्रह से भारत की नौसेना न केवल समुद्री सीमाओं की निगरानी बेहतर ढंग से कर सकेगी, बल्कि मित्र देशों के साथ सुरक्षित संचार नेटवर्क भी स्थापित कर सकेगी। यह उपग्रह भविष्य में रक्षा सहयोग के तहत साझा मिशनों में भी भूमिका निभा सकता है।
प्रधानमंत्री ने इस उपलब्धि पर इसरो वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि “भारत ने अंतरिक्ष से अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए नया प्रहरी तैयार किया है।” रक्षा मंत्रालय ने भी इसे नौसेना की परिचालन क्षमता में बड़ा सुधार बताया है।
इस सफल प्रक्षेपण के साथ भारत ने अंतरिक्ष रक्षा और समुद्री संचार दोनों क्षेत्रों में एक सशक्त कदम रखा है। अब भारत की नौसेना न केवल समुद्र की गहराइयों में, बल्कि अंतरिक्ष की ऊँचाइयों से भी अपने सुरक्षा कवच को मजबूत रख सकेगी।
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