मुवक्किल के अपराधों पर वकील से नहीं होगी पूछताछ

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

मुवक्किल के अपराधों पर वकील से नहीं होगी पूछताछ

वकीलों को बिना जायज कारण बुलाना नहीं कर सकती जांच एजेंसियाँ

नई दिल्ली, 2 नवंबर (एजेंसियां)। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि अब देश की किसी भी जांच एजेंसी को किसी वकील को केवल इस आधार पर पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जा सकता कि उसने किसी आरोपी का बचाव किया या कानूनी सलाह दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि वकील और मुवक्किल के बीच की बातचीत गोपनीय और पेशेवर दायरे में आती है, जिसे बिना विशेष कारण के उजागर नहीं किया जा सकता।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वकील-मुवक्किल का संबंध न्याय प्रणाली की बुनियाद है। यदि वकील को हर बार अपने मुवक्किल के अपराधों पर जवाब देना पड़े, तो यह न केवल वकीलों की स्वतंत्रता बल्कि न्याय के मूल सिद्धांतों पर भी चोट करेगा। कोर्ट ने कहा कि “वकील को इसलिए नहीं बुलाया जा सकता कि उसने अपने मुवक्किल का पक्ष रखा या उसे कानूनी सलाह दी। जब तक यह सिद्ध न हो कि वकील ने अपराध में सक्रिय रूप से भाग लिया है, समन जारी नहीं किया जा सकता।”

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि अगर किसी वकील को समन जारी करना आवश्यक हो, तो संबंधित जांच अधिकारी को लिखित रूप से यह बताना होगा कि किस कानूनी अपवाद के तहत उसे बुलाया जा रहा है। समन जारी करने से पहले वरिष्ठ अधिकारी, जैसे एसपी या उससे ऊपर के स्तर का अधिकारी, मामले की गंभीरता और सबूतों की जांच कर लिखित स्वीकृति देगा।

फैसले में कहा गया है कि किसी वकील की डिजिटल सामग्री जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप या दस्तावेज को सीधे जांच एजेंसी नहीं खंगाल सकती। पहले न्यायालय के समक्ष सामग्री प्रस्तुत की जाएगी, फिर वकील और उसके मुवक्किल को सूचना दी जाएगी ताकि वे अपनी बात रख सकें।

Read More उत्तरपूर्वी समुद्र तट पर फंसी रोहिंग्याओं की नौका, श्रीलंकाई नौसेना ने 25 बच्चों समेत 102 की बचाई जान

अदालत ने यह भी दोहराया कि यदि कोई वकील मुवक्किल के अपराध को बढ़ावा देने में या अपराध की योजना में शामिल पाया जाता है, तो उसे इस सुरक्षा का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे मामलों में एजेंसियां उचित कारणों के साथ उसे पूछताछ के लिए बुला सकती हैं।

Read More सांसदों को धक्का देने पर राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर

कोर्ट ने माना कि वकील-मुवक्किल संवाद की गोपनीयता भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत सुरक्षित है, और यह सुरक्षा तब तक बनी रहेगी जब तक कोई ठोस प्रमाण यह न दिखाए कि वकील ने पेशेवर मर्यादा का उल्लंघन किया है।

Read More सुशासन का प्रतीक माने जाते हैं अटल : मुख्यमंत्री योगी

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल वकीलों के अधिकारों की रक्षा करता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को भी मजबूत करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से वकीलों पर अनावश्यक दबाव कम होगा और न्यायालय में बचाव-पक्ष अधिक स्वतंत्रता और विश्वास के साथ अपनी दलीलें रख सकेगा।