बिजली लाइन परियोजना से फसल को हुए नुकसान के खिलाफ किसानों ने विरोध मार्च निकाला

बिजली लाइन परियोजना से फसल को हुए नुकसान के खिलाफ किसानों ने विरोध मार्च निकाला

मेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| बड़ी संख्या में किसानों ने स्टरलाइट पावर कंपनी के खिलाफ विरोध मार्च और सभा की| उन्होंने कंपनी पर उडुपी-कासरगोड 440 केवी बिजली लाइन परियोजना के निर्माण के दौरान कृषि भूमि को नष्ट करने और किसानों पर पुलिस बल का प्रयोग करके अत्याचार करने का आरोप लगाया|

आक्रोशित किसान अश्वत्थपुरा सीताराम मंदिर के पास एकत्र हुए और कंपनी के खिलाफ नारे लगाए| बाद में वे ओंटीमार स्थित भास्कर शेट्टी के खेत तक गए, जिनकी फसलें परियोजना से क्षतिग्रस्त हो गई थीं| इसके बाद उनके आवास पर एक विरोध सभा आयोजित की गई, जहां किसानों ने अपना गुस्सा व्यक्त किया| प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए, केमर संदीपनी मठ के श्री ईशा विट्ठलदास स्वामीजी ने कहा कि अविभाजित दक्षिण कन्नड़-उडुपी क्षेत्र में जनविरोधी और किसान-विरोधी कॉर्पोरेट परियोजनाएं उभरने लगी हैं| उन्होंने कहा ऐसे संघर्षों को दबाने के लिए, कंपनियां अग्रणी नेताओं को धन या जमीन का लालच देती हैं|

लेकिन ये संघर्ष खत्म नहीं होंगे| सरकारें दक्षिण कन्नड़ को कूड़ाघर समझती हैं, यहाँ अनावश्यक उद्योग लगा रही हैं और लोगों की शांति भंग कर रही हैं| यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है| उन्होंने कहा आजकल ज्ञान की जगह लूटपाट हावी हो गई है| किसानों के साथ अन्याय हो रहा है| किसानों का विकास ही राष्ट्र का विकास है| जब कृषि फलती-फूलती है, तो सभी जीव-जंतु‡ मनुष्य, पशु-पक्षी‡ फलते-फूलते हैं| अगर खेती नष्ट हो जाती है, तो मानवता से जुड़ी हर चीज नष्ट हो जाएगी| बाद में, कतील दुर्गापरमेश्वरी मंदिर के वंशानुगत पुजारी अनंत असराणा ने सभा को संबोधित किया| इसके बाद भास्कर शेट्टी के आवास पर एक बैठक हुई, जिनकी फसलें बर्बाद हो गई थीं| इस अवसर पर बोलते हुए, किसान नेता नारायण स्वामी ने कहा एक किसान की समस्या सभी किसानों की समस्या है| हमें एकजुट होकर संघर्ष करना होगा| सरकार अपने फायदे के लिए किसानों की सहमति के बिना जमीनें जब्त करके और फसलें नष्ट करके परियोजनाएं चला रही है| कंपनी को अवैध रूप से खेतों में घुसकर फसलें नष्ट करने की इजाजत किसने दी है? उन्होंने सवाल किया अगर किसान खेती करना छोड़ देंगे, तो लोग क्या खाएँगे? हमें ऐसा विकास नहीं चाहिए जो किसानों को रौंद डाले| सरकार के अवैज्ञानिक फैसलों के कारण किसान खेती छोड़कर मजदूर बन रहे हैं| यह परियोजना खेतों से दूर लागू की जानी चाहिए| किसान कंपनी को अपनी एक इंच जमीन भी नहीं लेने देंगे|

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