फैयाज मंसूरी के जेहादी बयान पर सुप्रीम कोर्ट तल्ख
आपराधिक मामला रद्द करने से किया इनकार
नई दिल्ली/लखीमपुर खीरी, 28 अक्टूबर (एजेंसियां)। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को लेकर सोशल मीडिया पर जेहादी बयान पोस्ट करने वाले फैयाज मंसूरी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने से इन्कार कर दिया है। याचिकाकर्ता फैयाज मंसूरी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से आपराधिक केस रद्द किए जाने की दरख्वास्त की थी।
फैयाज मंसूरी ने कहा था कि बाबरी मस्जिद एक दिन तुर्की की सोफिया मस्जिद की तरह फिर से बनाई जाएगी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता की दलील से असहमति जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की पोस्ट और उसके बयान की जांच की है। सुप्रीम कोर्ट आपराधिक मामला रद्द करने से इन्कार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए सभी तर्कों पर ट्रायल कोर्ट द्वारा उनके गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा।
लखीमपुर खीरी के रहने वाले फैयाज मंसूरी के खिलाफ 6 अगस्त 2020 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए, 292, 505 (2), 506, 509 और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 (आईटी एक्ट) की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी ने फैयाज के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 (एनएसए) के तहत निरोध आदेश पारित किया था, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद फैयाज मंसूरी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद ही मंसूरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी।
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