हां, भारत ने नूर खान समेत कई एयरबेस नष्ट किए
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का कबूलनामा
हमले की रात ढाई बजे ही आया था जनरल मुनीर का फोन
बलूचिस्तान आजाद होने की घोषणा से भी शहबाज चिंतित
इस्लामाबाद, 17 मई (एजेंसियां)। तमाम झूठ बोलने और गढ़ने के बाद पाकिस्तान ने भारत द्वारा पाकिस्तानी एयरबेस और अन्य आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की बात आखिरकार स्वीकार कर ली है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कबूल किया है कि भारत की सेना ने रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस समेत कई स्थानों को तबाह किया।
पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पहले पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर उन्हें तबाह किया। इसके बाद पाकिस्तान ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय भारत पर ही मिसाइल और ड्रोन दागे, जिनमें से अधिकांश मार गिराए गए। इसके बाद भारत ने कार्रवाई कर पाकिस्तान के कई एयरबेस ध्वस्त कर डाले। भारत ने रावलपिंडी के नूर खान, पंजाब के रहीम यार खान, सरगोधा समेत 11 प्रमुख एयरबेस पर बैलिस्टिक मिसाइलों से जवाब दिया। भारतीय हमले में पाकिस्तान के नौ एयरबेस को भारी नुकसान पुहंचा। लेकिन पाकिस्तान इसे लगातार नकार रहा था। यहां तक कि संसद में वहां के विदेश मंत्री समेत कई नेताओं ने झूठ बोले और भारत को ही भारी नुकसान पहुंचाने की बात कहते रहे।
लेकिन अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नूर खान एयरबेस पर भारत के हमले की बात स्वीकार कर ली है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया है कि 10 मई की रात को करीब ढाई बजे सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने सेफ लाइन से उन्हें कर बताया था कि भारत की बैलिस्टिक मिसाइलों ने नूर खान एयरबेस समेत कई इलाकों को भारी नुकसान पहुंचाया है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के हमलों में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों के लिए पाकिस्तान में आयोजित धन्यवाद दिवस (यौम-ए-तशाकुर) पर प्रधानमंत्री शहबाज ने कहा, सिपहसालार असीम मुनीर ने मुझे 9 और 10 मई की दरमियानी रात को करीब 2:30 बजे सिक्योर्ड लाइन पर फोन कर बताया कि हिंदुस्तान ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च किए हैं। इनमें से एक नूर खान एयरपोर्ट पर गिरा है और दूसरे कुछ अन्य इलाकों में गिरे हैं।
शहबाज शरीफ का कबूलनामा पाकिस्तान के खुद के झूठ का पर्दाफाश करता है क्योंकि वह लगातार यह दावा करता रहा है कि भारत के हमले में उसका खास नुकसान नहीं हुआ है। यहां तक कि वह अपने वायुसेना अड्डों को भी किसी तरह के नुकसान से इन्कार करता रहा है। पाकिस्तान अब धीरे-धीरे भारत के हाथों हुए नुकसान को लोगों के सामने कबूल कर रहा है। भारत के सैन्य बलों ने हमले के अगले दिन ही यह जानकारी दी थी कि उन्होंने पाकिस्तान के 8 सैनिक अड्डों को निशाना बनाया है और सभी निशाने सटीक थे।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अब भले ही वार्ता की बात कर रहे हों, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान से अब सिर्फ पीओके और आतंकवाद पर ही बात होगी। जब तक आतंकवाद पर रोक नहीं लगती तब तक पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि भी स्थगित ही रहेगी। पाकिस्तान की असली चिंता अभी यही संधि है क्योंकि भले ही भारत अभी पानी को स्थायी रूप से नहीं रोक सकता लेकिन एक द्विपक्षीय संधि की स्थिति में पाकिस्तान के सिर पर हमेशा पानी नहीं मिलने का खतरा मंडराता रहेगा।
दूसरी तरफ, पाकिस्तान की नाकाम और दमनकारी नीतियों तथा फौज की ज्यादतियों की वजह से 54 साल पहले जिस तरह बांग्लादेश उससे कटकर अलग हुआ था, वैसे ही अब अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर एक और देश किसी भी वक्त सामने आ जाए, तो कोई बड़ी बात नहीं। प्रचुर प्राकृतिक संपदा से सम्पन्न, करीब छह करोड़ की आबादी और 3,47,190 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले पाकिस्तान के कब्जे वाले इस हिस्से को नए राष्ट्र के रूप में नाम दिया गया है, रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान। नए राष्ट्र की घोषणा की है बलूचिस्तान मुक्ति संग्राम से जुड़े युवा लेखक, पत्रकार और एक्टिविस्ट मीर यार बलूच ने। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय मिसाइलें जब पाकिस्तान में स्थित आंतकी अड्डों पर काल बनकर टूट रही थीं और उसके दुस्साहस के जवाब में भारतीय सेना की कार्रवाइयों के बीच नौ मई को जब इस युवा ने सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान की आजादी का शंखनाद किया, तो पाकिस्तानी हुकूमत और उसकी तानाशाह फौज की चूलें बुरी तरह हिल गईं। बलूचों के हितों की बात करने भर से ही, जो पाकिस्तानी फौज उनका अपहरण कराकर हत्या तक कर देती हो, उसके सामने सीना तान कर उसके कब्जे वाले क्षेत्र को नए राष्ट्र का नाम देने का साहस रखने वाले इस युवा की शख्सियत को समझा जा सकता है।
आतंकवाद के पोषक और अपने ही लोगों का शोषण करने वाले पाकिस्तान को इस्लाम के नाम पर धब्बा बताने वाले मीर यार बलूच पेशे से लेखक, स्वतंत्र पत्रकार और एक्टिविस्ट हैं। वह बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले प्रमुख युवा आंदोलनकारियों में शुमार हैं। वह कहते हैं कि 1947 में जब ब्रिटिश उपनिवेश से भारत और पाकिस्तान अलग हुए थे, तब उससे पहले बलूच राष्ट्र ने भी 11 अगस्त 1947 को अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी, लेकिन पाकिस्तान ने हमारे ऊपर अवैध रूप से कब्जा कर लिया। वह बलूचों को पाकिस्तान के खिलाफ जागृत करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए राष्ट्र के लिए समर्थन जुटाने की मुहिम में लगे हुए हैं, जिससे यह युवा एक्टिविस्ट अब पाकिस्तानी फौज के लिए नासूर बन चुका है। वह पाकिस्तान को न केवल बलूचिस्तान और भारत, बल्कि अफगानिस्तान समेत पूरी दुनिया के खतरा मानते हैं।
हाल ही में रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान की घोषणा करने के साथ ही भारत से समर्थन मांगते हुए मीर यार ने कहा, हम भारत और बलूचिस्तान की मैत्री के समर्थक हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा, जिस तरह भारत ने 1971 में बांग्लादेश अलग करवाकर पाकिस्तान से बंगालियों को मुक्ति दिलवाई थी, उसी तरह हमें भी मुक्त कराएं। मीर यार प्रधानमंत्री मोदी के कट्टर प्रशंसक हैं, तो पाकिस्तान के धुर विरोधी, जिसे वह आतंकवादियों का संरक्षक कहते हैं। बलूचिस्तान क्षेत्र में स्थित हिंगलाज माता मंदिर की रक्षा की दुहाई देते हुए वह भारत-बलूच मैत्री का सबसे अच्छा उदाहरण बताते हैं।
मीर यार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शहीद भगत सिंह को अपना आदर्श मानते हैं। वह बलूचों में जोश भरते हुए कहते हैं कि जिस तरह से ब्रिटिश हुकूमत के सामने ये स्वतंत्रता सेनानी नहीं झुके थे, उसी तरह से हम भी पाकिस्तान की हुकूमत और उसकी तानाशाह फौज से लड़कर नया राष्ट्र लेकर रहेंगे। उनका विश्वास है कि जिस तरह क्रांतिकारी भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर किसी को नुकसान पहुंचाए बगैर असेंबली में बम फोड़ा था, उसी तरह हम भी सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से पाकिस्तान की गूंगी-बहरी, तानाशाह और शोषणकारी हुकूमत के खिलाफ अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए आजादी हासिल करके रहेंगे।