फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वाले वकील को 10 साल की कैद
लखनऊ, 17 मई (एजेंसियां)। फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वाले वकील को कोर्ट ने 10 साल कैद की सजा सुनाई। साथ ही ढाई लाख का जुर्माना भी लगाया है। जांच में सामने आया कि वकील द्वारा लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
राजधानी लखनऊ में जमीन के विवाद में विरोधियों पर हत्या की कोशिश, जानमाल की धमकी और एससी-एसटी एक्ट का फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वाले वकील लाखन सिंह को एससी-एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने 10 साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही 2.51 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि यदि रमेश को एससी-एसटी के तहत मुकदमा दर्ज कराने के लिए कोई राहत राशि दी गई हो, तो उसे तत्काल वापस ले लिया जाए। साथ ही लाखन के खिलाफ दर्ज मुकदमों की सूची बार काउंसिल को भेजने का आदेश दिया है।
सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि लाखन का सुनील दुबे से जमीन का विवाद चल रहा था। लाखन ने 15 फरवरी 2014 को कोर्ट के जरिये सुनील दुबे और उसके अन्य साथियों के खिलाफ विकासनगर थाने में हत्या का प्रयास, जानमाल की धमकी, तोड़फोड़, गाली गलौज और एससी-एसटी एक्ट की रिपोर्ट दर्ज करा दी। विवेचना के दौरान विवेचक को पता चला कि आरोपी सुनील दुबे और उसके साथी उस घटना में शामिल नहीं थे। विवेचक ने कोर्ट को रिपोर्ट देकर बताया कि पूरी विवेचना के दौरान लाखन सिंह के दर्ज मुकदमे के मूल तथ्य वास्तविक परिस्थितियों से अलग हैं। विवेचक ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी और लाखन के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की मांग की। इस रिपोर्ट पर कोर्ट ने परिवाद दर्ज करने के बाद सुनवाई कर सजा सुनाई।