राज्यसभा में भाजपा पहुंची सौ के पार
उपराष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए को मिलेगा फायदा
राज्यसभा में एनडीए के हुए 134 सदस्य
नई दिल्ली, 02 अगस्त (एजेंसियां)। उपराष्ट्रपति के पद के लिए होने वाले चुनाव के बीच ही भाजपा राज्यसभा में सौ के पार पहुंच गई है। राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के सांसदों की संख्या 102 हो गई है। हाल ही में तीन नए सांसदों उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला और सी. सदानंदन मास्टर के पदभार ग्रहण करने के बाद भाजपा ने राज्यसभा में संख्या बल की मजबूती हासिल की है। इस तरह राज्यसभा में एनडीए के 134 सदस्य हो गए हैं। यानि, राज्यसभा में एनडीए को बहुमत हासिल हो चुका है। सदन में बहुमत के लिए 123 सांसदों का संख्या-बल होना जरूरी है।
भारत की राजनीति में भाजपा ऐसा दूसरा राजनीतिक दल बन गया है जिसने राज्यसभा में 100 का आंकड़ा पार किया है। इससे पहले 1988 और 1990 के बीच कांग्रेस ने ऐसा कर दिखाया था। हालांकि भाजपा इससे पहले मई, 2022 में भी ऐसा कर चुकी है और तब उसके राज्यसभा में 101 सदस्य थे। एनडीए के पास राज्यसभा में 134 सदस्य हैं। इसमें से पांच मनोनीत सांसद हैं। सदन में बहुमत के लिए 123 सांसदों का संख्या-बल होना जरूरी है। राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं और यह अधिकतम 250 हो सकते हैं। इसमें से 238 निर्वाचित और 12 मनोनीत होते हैं। उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। आयोग ने कहा है कि 21 अगस्त तक उपराष्ट्रपति के पद के लिए नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे। 9 सितंबर को वोट डाले जाएंगे।
संख्या बल के लिहाज से उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास विपक्ष से काफी ज्यादा सांसद हैं। अभी यह भी तय नहीं है कि विपक्ष उपराष्ट्रपति के चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारेगा या नहीं हालांकि उसने 2017 और 2022 के चुनाव में पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ा था। उपराष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद होते हैं। भाजपा के लोकसभा में 240 और राज्यसभा में 102 सदस्य हैं। संसद के दोनों सदनों में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार के पास 457 से ज़्यादा सदस्य हैं। कांग्रेस के लोकसभा में 99 और राज्यसभा में 27 सदस्य हैं। इंडी गठबंधन और इससे जुड़ी पार्टियों के दोनों सदनों में मिलाकर 300 से ज्यादा सदस्य हैं।
2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष बुरी तरह हारा था। तब चुनाव में कुल 725 वोट पड़े थे। इनमें से धनखड़ को 528 वोट मिले थे और विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे। 15 वोट अवैध पाए गए थे। इस तरह धनखड़ ने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 346 मतों से पराजित किया था। भाजपा के लिए यह बड़ी राहत है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे झटका लगा था और उसकी सीटें 2019 के मुकाबले काफी गिर गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे 302 सीटें मिली थी जबकि 2024 में वह 240 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई। उसने अकेले दम पर 370 सीटें जीतने का दावा किया था लेकिन वह बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटों से भी काफी पीछे रह गई।
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