एनसीईआरटी सिलेबस में होंगे फील्ड मार्शल मानेकशॉ

नई पीढ़ी को महापुरुषों से अवगत कराने की नायाब पहल

एनसीईआरटी सिलेबस में होंगे फील्ड मार्शल मानेकशॉ

ब्रिगेडियर उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा भी शामिल

नई दिल्ली, 08 अगस्त (एजेंसियां)। कक्षा सात और आठ के छात्रों को फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा की जीवनी पढ़ाई जाएगी। सरकार ने इसी शैक्षणिक वर्ष से एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में तीनों सैन्य अधिकारियों के बलिदान की कहानी शामिल करने का फैसला लिया है। कक्षा आठ (उर्दू और अंग्रेजी)कक्षा सात (उर्दू) में यह अध्याय जोड़े गए हैं।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में नए अध्यायों को शामिल करने का उद्देश्य छात्रों को साहस और कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणादायक कहानियों से परिचित कराना है। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल अधिकारी थेजिन्हें असाधारण नेतृत्व और रणनीतिक कौशल के लिए याद किया जाता है। उनकी भूमिका 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की जीत के लिए महत्वपूर्ण थीजो 13 दिनों तक चला। पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण और स्वतंत्र बांग्लादेश का निर्माण होने के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ था। मानेकशॉ को भारत के दो सर्वोच्च नागरिक सम्मानों 1968 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कार्रवाई में बलिदान हुए भारतीय सेना के सर्वोच्च रैंकिंग अधिकारी थे। एक मुस्लिम के रूप में उस्मान भारत की समावेशी धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक बन गए। भारत के विभाजन के समय उन्होंने कई अन्य मुस्लिम अधिकारियों के साथ पाकिस्तान सेना में जाने से इंकार कर दिया और भारतीय सेना के साथ सेवा जारी रखी। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सैनिकों से लड़ते हुए 3 जुलाई1948 में वह बलिदान हो गए थे। उन्हें दुश्मन के सामने बहादुरी के लिए भारत के दूसरे सबसे बड़े सैन्य पदक महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

मेजर सोमनाथ शर्मा ने 1947 में भारत-पाक युद्ध लड़ा और 03 नवम्बर1947 को श्रीनगर विमान क्षेत्र से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बेदखल करते समय वीरगति को प्राप्त हो गये। राष्ट्र की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले मेजर शर्मा को परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था।यह पहली बार था जब इस पुरस्कार की स्थापना के बाद किसी बलिदानी को सम्मानित किया गया था। मेजर शर्मा के भाई की पत्नी सावित्री बाई खानोलकर परमवीर चक्र की डिजाइनर थी ।

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राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को प्रमुख राष्ट्रीय स्थल के रूप में स्थापित करने के प्रयासों के तहत रक्षा मंत्रालय ने स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के साथ साझेदारी की है। इस स्मारक की स्थापना सभी नागरिकों में देशभक्तिउच्च नैतिक मूल्योंत्यागराष्ट्रीय भावना और अपनत्व की भावना जगाने के साथ-साथ राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे वीर सैनिकों को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए की गई थी। बलिदानियों की कहानियों को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्रों को न केवल भारत के सैन्य इतिहास की जानकारी मिलेगीबल्कि राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर महत्वपूर्ण जीवन के सबक भी सीखेंगे।

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