भारत की दृढ़ता से प्रभावित रूस और चीन
ट्रंप के रवैये से आईआरसी के अस्तित्व में आने की संभावना बढ़ी
मोदी के चीन जाने और पुतिन के भारत आने से बौखलाए ट्रंप
नई दिल्ली, 08 अगस्त (एजेंसियां)। दुनियाभर में अपनी दादागीरी दिखाने की कोशिश कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगे भारत ने झुकने से इंकार कर दिया है। 60 से अधिक देशों पर टैरिफ के जरिए हमला कर रहे ट्रंप की हरकतों के आगे भारत की दृढ़ता ने तीन महाशक्तियों भारत रूस और चीन को और अधिक करीब लाने का काम किया है।
वैश्विक राजनीति में मची हलचल के बीच ही एससीओ समिट में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन जाने वाले हैं और जल्द ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी भारत आने की तैयारी में हैं। यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत से नाराज हैं और रूस से तेल न खरीदने के लिए भारत पर टैरिफ-आतंक का दबाव बना रहे हैं। ट्रंप के इस रवैये ने रूस, भारत और चीन (आरआईसी) के एक साथ आने का मौका दे दिया है।
पीएम मोदी इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने चीन जाएंगे। यह उनकी सात साल बाद पहली चीन यात्रा होगी। 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच तनाव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई थी। लेकिन हाल ही में ब्रिक्स समिट में मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद रिश्तों में कुछ गर्मजोशी दिखी। इस दौरे में मोदी और शी के बीच द्विपक्षीय बातचीत की भी संभावना है। एससीओ समिट 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में होगा, जहां पुतिन भी मौजूद होंगे। मोदी इससे पहले जापान भी जा सकते हैं।
दूसरी तरफ, रूस के राष्ट्रपति पुतिन इस साल के अंत तक भारत आने वाले हैं। यह जानकारी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मॉस्को में दी। डोभाल अभी रूस दौरे पर हैं और वहां रूस से तेल खरीद और एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी जैसे मुद्दों पर बात हो रही है। भारत और रूस के बीच लंबे समय से गहरी दोस्ती है, और पुतिन का यह दौरा इसे और मजबूत करने वाला है।
रूस से तेल खरीदने से बौखलाए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। वे चाहते हैं कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करे, ताकि यूक्रेन युद्ध में रूस पर दबाव बढ़े। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी नीतियों पर अडिग रहेगा। समय और ट्रंप के कारण पैदा हुई परिस्थिति का तकाजा है कि भारत, रूस और चीन मिलकर आरआईसी फॉर्मेट की कोई रणनीति बना सकें जिससे ट्रंप के दबाव का माकूल जवाब दिया जा सके।
भारत अपनी विदेश नीति में स्वायत्तता पर जोर देता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत के रूस और अन्य देशों के साथ रिश्ते स्वतंत्र हैं और इन्हें किसी तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। ट्रंप के टैरिफ के बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीद जारी रखने और अपनी आर्थिक नीतियों को मजबूत करने का फैसला किया है।
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