गोल्ड से इंपोर्ट ड्यूटी घटी, केरल की ब्लैक इकॉनमी फटी
नई दिल्ली, 11 अगस्त (एजेंसियां)। देश में सोने के आयात पर शुल्क 15 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत करने के भारत सरकार के फैसले का सबसे अधिक असर केरल पर पड़ा। केरल में वर्षों से सोने के अवैध कारोबार के जरिए समानांतर अर्थव्यवस्था (पैरलल इकॉनमी) मजबूत हो रही थी। यानि, पैसों का लेन-देन तो हो रहा था, लेकिन वह सिस्टम में दर्ज नहीं हो रहा था और वह काले धन में शामिल हो रहा था।
केरल के चार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, कोझिकोड और कन्नूर खाड़ी देशों से सोने की तस्करी करने वाले मुख्य रास्ते रहे हैं। केरल को होने वाली सोने की तस्करी का सीधा कनेक्शन दुबई से था। खाड़ी देशों से संबंध बेहतर करने के चलते ही केरल तस्करों का स्वर्ग बनता गया। साल 2020 से 2023 तक केरल में 3,100 से अधिक सोना तस्करी के मामले सामने आए, इन सभी मामलों में करीब 200 से 400 टन अवैध सोना बरामद किया गया। लेकिन इससे भी हैरानी की बात यह है कि केरल में हर साल 1,31,586 करोड़ (15 अरब डॉलर) की कीमत के सोने की तस्करी होती थी।
केरल में सोना तस्करी का कारोबार तब तक बढ़ता गया जब तक सोने के आयात में अच्छा शुल्क था। उस समय एक किलो सोने पर करीब 9 लाख का मुनाफा होता था, जिसमें से कुछ कैरियर शुल्क भी दिया जाता था। इस मुनाफे ने केवल तस्करों को अमीर बनाया बल्कि केरल की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था (जिसका कागजों में कोई आंकड़ा नहीं है) को भी गति दी। इस काले धन से बिना हिसाब-किताब के रीयल एस्टेट डील, ज्वैलरी नेटवर्क और हवाला कारोबार चलाया गया। इससे जुड़ा एक मामला भी सामने आया था, जिसमें एक ज्वेलरी चेन के 4000 निवेशक थे, जो सेबी के नियमों का सीधा उल्लंघन है। ऐसी कंपनियां मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराध में भी सक्रिय थीं।
लेकिन केंद्र सरकार ने जब से सोने के आयात पर शुल्क घटाने का फैसला लिया, तभी से यह व्यवस्था पूरी तरह ढह गई। एक किलो पर मुनाफा घटकर अब करीब 3 लाख रह गया। कैरियर की फीस भी कम हो गई और यहां तक की खाड़ी देशों से केरल आने वाला सोना भी काफी कम हो गया। इसकी आधिकारिक पुष्टि हुई है।
एयर ट्रैफिक के आंकड़े बताते हैं कि खाड़ी देशों से आने वाले यात्रियों की संख्या भी भारत में कम हुई है। यहां तक कि गल्फ एयर ने डिमांड कम होने के चलते साल 2025 में कालीकट की उड़ानें बंद कर दीं। इससे साफ है कि तस्करी के तार टूटने लगे हैं। केंद्र सरकार के फैसले से सोने का कानूनी व्यापार जरूर बढ़ा और वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने साल 2024 की तीसरी तिमाही में हर साल 18 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की। लेकिन अवैध नगदी के अचानक गायब होने से केरल की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा। 2024-25 में प्रदेश की जीएसडीपी ग्रोथ 6.19 प्रतिशत रह गई, जो दक्षिण भारत में सबसे कम थी। रियल एस्टेट, निर्माण और लग्जरी रिटेल जैसे सभी क्षेत्रों में गिरावट साफ दिखने लगी। इस मंदी ने साफ कर दिया केरल की अर्थव्यवस्था अब तक काले धन पर निर्भर थी। केरल में प्रॉपर्टी डील 18 प्रतिशत घटी, लग्जरी हाउसिंग की कीमतें 25 प्रतिशत तक नीचे आईं और निर्माण क्षेत्र की वृद्धि राष्ट्रीय औसत से पीछे रह गई। खाड़ी से आने वाले रेमिटेंस में भी 2024 में 10 प्रतिशत की कमी आई, जिससे प्रदेश में काला धन लाने वाले कानूनी और अवैध सोर्स दोनों की कमजोर हो गए।
यह कदम महज एक टैक्स सुधार नहीं था बल्कि एक रणनीतिक प्रहार था, जिसने आतंकवाद फंडिंग और राजनीतिक भ्रष्टाचार से जुड़े एक अपराधिक नेटवर्क को कमजोर कर दिया। लेकिन इस कहानी का राजनीतिक पहलू अभी भी जीवित है। साल 2020 के केरल गोल्ड स्मगलिंग केस की मुख्य आरोपियों में से एक स्वप्ना सुरेश ने 2023 में सनसनीखेज दावा किया कि उन्हें मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का नाम केस से हटाने के लिए 30 करोड़ रुपए की पेशकश हुई थी। स्वप्ना सुरेश ने आरोप लगाया कि खुद मुख्यमंत्री ने उन्हें देश छोड़ने की धमकी दी और सीपीएम के प्रदेश सचिव गोविंदन मास्टर के कहने पर पार्टी के लोग उन्हें डराने-धमकाने लगे। यहां तक कि उन्हें हरियाणा या जयपुर भेजने की योजना बनाई गई थी, जिसमें सरकार की तरफ से फ्लैट और फर्जी पासपोर्ट की भी व्यवस्था की जा रही थी।
स्वप्ना ने कई बार सीएम विजयन और उनके परिवार के सदस्यों और तीन कैबिनेट मंत्रियों के नाम हवाला और तस्करी से जुड़े मामलों में लिए हैं। उन्होंने पहले भी गवाही में कहा था कि 2016 में दुबई में मौजूद सीएम को भेजे जा रहे नगदी से भरे बैग को एयरपोर्ट स्कैनिंग में पकड़ा गया था, जो कांसुलर प्रोटोकॉल के तहत भेजा जा रहा था। उन्होंने यह भी दावा किया कि तब के प्रिंसिपल सेक्रेटरी एम. शिवशंकर के निर्देश पर यूएई कॉन्सुलेट से मेटल से भरे बिरयानी के बर्तन मुख्यमंत्री के सरकारी आवास क्लिफ हाउस में ले जाए गए थे। ये आरोप 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले सामने आए थे और 2024 में फिर से चर्चा में आ गए, जब केंद्र सरकार के इस राजकोषीय प्रहार ने उस आर्थिक जड़ को काट दिया, जिस पर यह पूरा अवैध साम्राज्य खड़ा था।