कश्मीर डूब चुका है, पर राहत और सहायता अभी कोसों दूर
जम्मू, 05 सितंबर (ब्यूरो)। बाढ़ में कश्मीर पूरी तरह से डूब चुका है। पर राहत और सहायता अभी कोसों दूर है। जम्मू कश्मीर में बारिश और बाढ़ के चलते आम लोग परेशान हैं और सरकार से मदद की उम्मीद और गुहार लगा रहे हैं। कल पंपोर के चक-शालीना में झेलम के तटबंध के टूट जाने के बाद पुलवामा, बडगाम और श्रीनगर के कई इलाके बाढ़ के पानी में डूब गए। तटबंध के टूटने के 48 घंटे बाद भी भारी मात्रा में पानी इन इलाकों में घुस रहा है। बाढ़ के पानी में तीन जिलों के करीब 112 गांव डूब चुके हैं और यहां पर मकान, दुकान, फैक्ट्री और वेयरहाउस पानी के नीचे आ चुके हैं। अब प्रभावित लोग सिर्फ नुकसान का आकलन कर सकते हैं। क्या गरीब और क्या अमीर सब बाढ़ के विनाश का शिकार हो चुके हैं।
बाढ़ के पानी ने कटाई के लिए तैयार खेतों को बर्बाद कर दिया है। श्रीनगर के बाहरी इलाके में तटबंध टूटने के कारण 5-6 हजार एकड़ पर खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है। राजधानी श्रीनगर से महज 10 किमी की दूरी पर भी चक-शाली के यह इलाके विकसित नहीं हो पाए हैं। सरकारी दस्तावेजों में यह पूरा इलाका फ्लड चैनल, मतलब झेलम के फ्लड एरिया के तौर पर घोषित है, इसीलिए यहां निर्माण नहीं हो सकता। लेकिन सच यह है कि मकान, दुकान, कारोबारी अनुष्ठान और यहां तक कि सरकारी दफ्तर, हाईवे और रेलवे भी इसी जमीन के बीच से बनाए गए हैं। विडंबना यह है कि जिस समय बाढ़ आई, तब जम्मू कश्मीर सरकार का बिजली विभाग इलाके में स्मार्ट मीटर लगा रहा था। मुख्यमंत्री ने जब शुक्रवार को इलाके में आई बाढ़ के बाद दौरा किया, तो लोगों को मदद देने का आश्वासन भी दिया।
केंद्र सरकार से कश्मीर के बाढ़ प्रभावित लोगों को हुए नुकसान के लिए रिलीफ पैकेज की मांग भी उठाई। लेकिन साथ-साथ पिछले 11 सालों में झेलम फ्लड मिटिगेशन प्लान पर काम न होने का ठीकरा बिना नाम लिए पीडीपी-भाजपा सरकार और उपराज्यपाल शासन पर डाल दी। लेकिन सच यह है कि सरकार की अनदेखी के बिना इतना बड़ा इलाका बस नहीं सकता था, और न ही इतना बड़ा नुकसान भी होता।
कश्मीर के प्रमुख स्थानों पर झेलम नदी के खतरनाक स्तर से ऊपर उठने के साथ ही एक और जलप्रलय की आशंका पैदा हो गई है। साल 2014 की विनाशकारी त्रासदी के बाद से अब तक 7 बार बाढ़ की आशंकाएं सामने आई हैं। इससे स्थानीय लोग सुरक्षा के आश्वासन न मिलने से चिंतित और निराश हैं। बुधवार शाम को, अनंतनाग के संगम पर नदी का जलस्तर सुबह 11 बजे 22 फीट से बढ़कर शाम 6 बजे 27 फीट हो गया। यह 25 फीट के खतरे के निशान से काफी ऊपर था। श्रीनगर के राम मुंशी बाग में, आधी रात को पानी 22.25 फीट तक पहुंच गया, जो 21 फीट के बाढ़ के निशान को पार कर गया। ताजा बाढ़ की घटना आपदा की श्रृंखला में नवीनतम है। इसने सितंबर 2014 से घाटी में कदम रखा था, जब 300 से अधिक लोगों की जान गई थी। साथ ही बड़े पैमाने पर विनाश हुआ था। तब से झेलम ने कम से कम 7 बार खतरे के स्तर को छुआ या पार किया है। इसमें मार्च 2015, जुलाई 2017, जुलाई
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