अशोक स्तंभ तोड़ने को लेकर कश्मीर में मचा है बवाल
हजरतबल दरगाह में सत्ता संरक्षण में हुई राष्ट्र विरोधी करतूत
पुलिस ने 25 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया
श्रीनगर, 07 सितंबर (ब्यूरो)। हजरतबल दरगाह में सत्ता संरक्षण में कट्टरपंथी इस्लामिक तत्वों द्वारा अशोक चिन्ह तोड़े जाने पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने 26 लोगों को हिरासत में लिया है। इस घटना के बाद राजनीतिक विवाद भी छिड़ गया है। कुछ नेताओं ने मस्जिद में राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह को तोड़े जाने को राष्ट्र द्रोह बताया तो कुछ ऐसे भी सियासी तत्व हैं जिन्हें मस्जिद परिसर में राष्ट्रीय चिन्ह लगाने पर ही आपत्ति हो, जैसे कि मस्जिद परिसर भारत में नहीं पाकिस्तान में हो।
दरगाह में हुए इस अपवित्र करतूत को जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने हजरतबल में एक प्रेस कांफ्रेंस में पूछा कि यह घटना पत्थर पर दाग नहीं है, यह मेरे दिल पर दाग है। यह संविधान पर एक दाग है, जिसे यहां के चुने हुए नेता उभारते हैं। क्या यहां के नेता प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल नहीं करते? क्या हमारे चुने हुए मुख्यमंत्री प्रतीक चिन्ह साथ नहीं ले जाते? अंद्राबी ने कहा कि जिन लोगों को अशोक स्तंभ के इस्तेमाल से समस्या है, उन्हें दरगाह जाते समय प्रतीक चिन्ह वाले नोट नहीं ले जाने चाहिए। इसी के साथ उन्होंने शिलापट्टी को तोड़ने वालों को आतंकवादी तक कह दिया। उन्होंने कहा, कि इस कृत्य को अंजाम देने वाले किसी आतंकवादी से कम नहीं हैं।
दरअसल 5 सितंबर को पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन पर जम्मू कश्मीर की हजरतबल दरगाह में भी सजावट की गई थी। यहां लगाई गई शिलापट्ट में अशोक स्तंभ उकेरा गया था। नमाज के बाद लोग शिलापट्ट के पास एकत्रित हो गए। अशोक स्तंभ को लेकर विरोध करने लगे। शुरुआत में लोगों ने नारेबाजी की। इसके बाद कुछ लोगों ने शिलापट्टी को ईंट-पत्थर से तोड़ दिया। उन्होंने शिलालेख पर पत्थर फेंके। हजरतबल दरगाह में हुई इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। विवाद के बाद दरगाह पर बड़ी तादाद में पुलिस तैनात की गई है। सीसीटीवी और वायरल वीडियो के आधार पर पुलिस ने 26 लोगों को गिरफ्तार किया है। पूरे मामले में पुलिस की तरफ से जांच की जा रही है। आगे और भी गिरफ्तारियां की जा सकती हैं।
अब भारत के राज्य जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का हाल देखिए। उमर अब्दुल्ला ने अशोक चिन्ह तोड़े जाने पर कोई सवाल नहीं उठाया बल्कि उन्होंने दरगाह में प्रतीक चिन्ह लगाए जाने पर ही सवाल उठाया। उन्होंने तोड़फोड़ में शामिल लोगों को हिरासत में लिए जाने पर भी आपत्ति जताई और कहा कि प्रतीक चिन्ह को मस्जिद में लगाने की क्या जरूरत थी? जबकि जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी ने कहा कि तोड़फोड़ के पीछे के लोग सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे और उनके साथ कानून तोड़ने वालों जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए। दरख्शां अंद्राबी ने राष्ट्रीय प्रतीक को तोड़ने वालों को गुंडा तत्व कहा और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की। यहां तक कि उन्होंने सख्त सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज करने की बात भी कही। प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी तोड़फोड़ की निंदा की और कहा कि वह इस कृत्य से बहुत व्यथित हैं।
विवाद के तूल पकड़े जाने पर जम्मू कश्मीर पुलिस ने हजरतबल दरगाह में अशोक चिन्ह तोड़े जाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर संख्या 76/2025 के तहत नगीन पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है।
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