बिहार के बाद अब पूरे देश में होगा एसआईआर

राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने 10 को बुलाई राज्यों के सीईओ की बैठक

बिहार के बाद अब पूरे देश में होगा एसआईआर

प. बंगाल, असमकेरल और तमिलनाडु में पहले होगा एसआईआर

नई दिल्ली, 07 सितंबर (एजेंसियां)। राष्ट्रीय चुनाव आयोग जल्द ही पूरे देश में मतदाता सूची को संशोधित करने के लिए एक विशेष गहन संशोधन (एसआईआरशुरू करने जा रहा है। यह प्रक्रिया बिहार में चल रहे पायलट प्रोजेक्ट के बाद अब पूरे भारत में एक महीने तक चलेगी। इसका मकसद है मतदाता सूची को साफ-सुथरा करनाताकि कोई अनधिकृत या फर्जी वोटर मतदाता सूची शामिल न रहे और हर योग्य नागरिक का नाम सूची में हो। राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने 10 सितंबर को सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई हैजिसमें इसकी तैयारियों पर चर्चा होगी। राष्ट्रीय चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची की शुद्धता के लिए जरूरी है। बिहार के बाद असमकेरलतमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में 2026 के चुनावों से पहले एसआईआर होगा। एसआईआर शुरू होने से पहले ही बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल के जिलों में अफरा-तफरी मची हुई है।

चुनाव आयोग के तहत होने वाला विशेष गहन संशोधन (एसआईआरएक ऐसी प्रक्रिया हैजिसमें मतदाता सूची की गहन जांच की जाती है। बिहार में यह जून से जुलाई 2025 तक चलाजहां 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 90.84% की जांच पूरी हो चुकी है। राष्ट्रीय चुनाव आयोग के मुताबिकइस प्रक्रिया से डुप्लिकेटमृत या स्थानांतरित हो चुके वोटरों के नाम हटाए जाते हैं। बिहार में 65 लाख नाम हटाए गएजिनमें 22 लाख मृत, 7 लाख डुप्लिकेट और 36 लाख प्रवासी थे। अब यही प्रक्रिया पूरे देश में लागू होगीताकि 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए सटीक मतदाता सूची तैयार हो।

राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने 10 सितंबर को सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई हैजिसमें इसकी तैयारियों पर चर्चा होगी। इसमें घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी सत्यापित की जाएगी। मतदाताओं को अपनी पहचान और नागरिकता साबित करने के लिए 11 दस्तावेजों में से एक देना होगाजैसे पासपोर्ट या जन्म प्रमाण पत्र। सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर आधार कार्ड को भी मान्य किया गया है। बिहार में एक अगस्त को ड्राफ्ट सूची जारी हुई थीऔर 30 सितंबर तक अंतिम सूची आएगी। देशभर में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

इस प्रक्रिया पर विपक्ष ने सवाल उठाए थे। कांग्रेस और अन्य दलों का कहना है कि यह जल्दबाजी में हो रहा है और गरीबप्रवासी या अल्पसंख्यक समुदायों के वोटरों को सूची से हटाया जा सकता है। बिहार में 65 लाख नाम हटने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर हुईं। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इससे मताधिकार छिन सकता है। राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और कोई भी योग्य वोटर छूटेगा नहीं। आरोप लगाने वाली विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग के बार-बार आग्रह के बावजूद औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज नहीं कराई। यहां तक कि चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को हलफनामा के जरिए शिकायत दर्ज कराने को कहा, लेकिन राहुल गांधी उससे कन्नी काट गए। वे बिहार में अधिकार यात्रा करते-करते पिकनिक यात्रा पर विदेश यात्रा पर निकल गए।

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