जम्मू कश्मीर में 14 कम्पनियों रहेगी तैनात, नक्सलियों के खिलाफ होगी बड़ी कार्रवाई

जम्मू- कश्मीर से 71 सीआरपीएफ कम्पनी वापस बुलाने का आदेश

जम्मू कश्मीर में 14 कम्पनियों रहेगी तैनात, नक्सलियों के खिलाफ होगी बड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली, 23 सितम्बर, (एजेंसियां): जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ की 85 कंपनियों (8500 जवान) में से 71 कंपनियों को वहां हटने के आदेश दिए गए हैं। इन सभी कंपनियों को उनके मूल सेक्टर में वापस जाने को कहा गया है। केवल 14 कंपनियां ही जम्मू-कश्मीर में तैनात रहेंगी। सूत्र इसके पीछे की एक बड़ी वजह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा देश को मार्च 2026 से पहले नक्सलमुक्त करने के ऐलान को भी मान रहे हैं। जिसमें टारगेट पूरा करने के लिए जल्द ही छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और झारखंड जैसे नक्सली प्रभावित राज्यों में नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जा सकता है। जिसकी तैयारियों के तहत यह कदम उठाया गया है।

सूत्रों ने बताया कि सीआरपीएफ की तरफ से यह आदेश इस महीने की शुरूआत में गृह मंत्रालय द्वारा इस मामले में दिए गए आदेशों को ध्यान में रखते हुए आईजी (ऑपरेशंस) द्वारा दिए गए हैं। जिसमें कहा गया है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर में लगाई गई सीएपीएफ के साथ सीआरपीएफ की 85 कंपनियों में से 71 को हटाकर उनके मूल सेक्टर वापस भेजा जाए।

इन कंपनियों को छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और बिहार समेत 10 सेक्टरों में वापस भेजे जाने के आदेश दिए गए हैं। जबकि चार सेक्टर की 14 कंपनियों को अभी जम्मू-कश्मीर में ही तैनात रहने के लिए कहा गया है।

सूत्रों का कहना है कि अमरनाथ यात्रा खत्म होने के बाद सीएपीएफ की कंपनियों को वापस बुलाने के आदेश के पीछे केंद्र सरकार की एक बड़ी मंशा देश को नक्सलमुक्त कराने के टारगेट को पूरा करने की भी है। इसके लिए जल्द ही छत्तीसगढ़ समेत देश के उन राज्यों में सरकार कोई बड़ा अभियान चलाने की योजना बना रही है। जहां-जहां नक्सली अधिक सक्रिय हैं। हालांकि, इस बारे में आधिकारिक रूप से कोई जानकारी साझा नहीं की गई है। लेकिन सूत्र सीआरपीएफ की कंपनियों को वहां से हटाने की एक बड़ी वजह इन्हें आने वाले समय में एंटी-नक्सली अभियान में लगाना बता रहे हैं।

नक्सलियों में दो फाड़

वैसे, अभी कुछ रोज पहले नक्सलियों की तरफ से एक पत्र जारी करके सरकार से एक महीने के लिए सीजफायर करने की मंशा जाहिर की गई थी। जिसमें नक्सलियों ने हथियार छोड़कर समाज की मुख्य धारा में आने की बात कही थी। लेकिन इसके दो दिन बाद ही नक्सलियों के दूसरे ग्रुप से एक और पत्र जारी करके कहा गया कि पहला जो पत्र जारी किया गया था। वह सभी नक्सली कैडर को विश्वास में लेकर नहीं किया गया था। हम सरकार के सामने सरेंडर करने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में नक्सलियों में ही दो फाड़ सामने आ रही है।

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