अब नाम जोड़ने, हटाने में गड़बड़ नहीं होगी

चुनाव आयोग ने पेश किया ई-साइन फीचर

 अब नाम जोड़ने, हटाने में गड़बड़ नहीं होगी

नई दिल्ली, 24 सितंबर (एजेंसियां)। राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने अपने ईसीआईनेट पोर्टल और ऐप पर एक नया ई-साइन फीचर शुरू किया हैजिसके तहत मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने या नाम हटाने या सुधार के लिए आवेदन करने वालों को अपने आधार से जुड़े फोन नंबरों का उपयोग करके अपनी पहचान सत्यापित करनी होगी। चुनाव आयोग का यह कदम विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र में 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले चुनावी धोखाधड़ी पर अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ऑनलाइन मतदाता विलोपन फॉर्म के दुरुपयोग का आरोप लगाने के एक हफ्ते से भी कम समय बाद आया है।

इससे पहले आवेदक अपने फोन नंबर को मौजूदा मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर से जोड़कर चुनाव आयोग के ऐप और पोर्टल पर फॉर्म जमा कर सकते थेबिना यह सत्यापित किए कि विवरण वास्तव में उनका है या नहीं। ई-साइन फीचरजो सोमवार तक उपलब्ध नहीं थामंगलवार को चुनाव आयोग के ईसीआईनेट पोर्टल पर फॉर्म जमा करते समय देखा जा सकता था।

ईसीआईनेट पोर्टल पर फॉर्म 6 (नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए)फॉर्म 7 (मौजूदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने/हटाने के प्रस्ताव पर आपत्ति करने के लिए)या फॉर्म 8 (प्रविष्टियों में सुधार के लिए) भरने वाले आवेदक को अब ई-साइन की आवश्यकता पूरी करनी होगी। इसका अर्थ है कि पोर्टल आवेदक को यह सुनिश्चित करने के लिए चेतावनी देता है कि जिस मतदाता पहचान पत्र का वे आवेदन कर रहे हैंउसमें उनका नाम उनके आधार कार्ड पर दिए गए नाम के समान ही होऔर वे जिस मोबाइल नंबर का उपयोग कर रहे हैंवह भी आधार से जुड़ा हो।

आपत्ति या नाम हटाने के लिए आवेदन करने हेतु प्रयुक्त फॉर्म 7 में कोई बदलाव नहीं किया गया हैजिसमें उस व्यक्ति का पूरा विवरण साझा करना आवश्यक होता हैजिसका नाम हटाया जाना है या जिस पर आपत्ति की जानी है (कारण: मृत्युस्थानांतरणभारतीय नागरिक न होने के कारण अयोग्य या 18 वर्ष से कम आयु हो सकते हैं)। आवेदक द्वारा फॉर्म भरने के बादउन्हें सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सीडीएसी) द्वारा होस्ट किए गए एक बाहरी ई-साइन पोर्टल पर ले जाया जाता हैजो केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन संचालित होता है। सीडीएसी पोर्टल पर आवेदक को अपना आधार नंबर दर्ज करना होगा और फिर एक आधार ओटीपी जनरेट करना होगाजो उस आधार नंबर से जुड़े फोन नंबर पर भेजा जाता है।

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इसके बाद आवेदक को आधार-आधारित प्रमाणीकरण के लिए सहमति देनी होगी और सत्यापन पूरा करना होगा। इसके पूरा होने के बाद ही आवेदक को फॉर्म जमा करने के लिए ईसीआईनेट पोर्टल पर फिर से भेजा जाता है। 18 सितंबर को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा था कि किसी ने ऑनलाइन आवेदनों के माध्यम से आलंद के मतदान केंद्रों से लगभग 6,000 मतदाताओं के नाम हटाने की कोशिश की थीऔर ज्यादातर मामलों में आवेदन पत्र जमा करने के लिए वास्तविक मतदाताओं की पहचान का दुरुपयोग किया गया था। फॉर्म जमा करने के लिए ओटीपी प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किए गए फोन नंबर भी उन मतदाताओं के नहीं पाए गए जिनके नाम पर फॉर्म भरे गए थे। फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने आलंद के लिए नाम हटाने के आवेदनों का सत्यापन किया और मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की।

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इस साल की शुरुआत में लॉन्च किया गया ईसीआईनेटएक पोर्टल और ऐप है जो मतदाताओं और अधिकारियों के लिए चुनाव आयोग के लगभग 40 पुराने ऐप और पोर्टलों को एक साथ जोड़ता हैजिनमें ईआरओनेट भी शामिल है। चुनाव आयोग ने 2018 में निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओके लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल के रूप में ईआरओनेट लॉन्च किया था। ईसीआईनेट के माध्यम सेमतदाता फॉर्म जमा कर सकते हैं और चुनाव अधिकारी उन पर कार्रवाई कर सकते हैं। प्रत्येक मामले मेंसंबंधित बूथ स्तरीय अधिकारी और ईआरओ को जांच करनी होती है। गांधी के आरोपों के जवाब मेंचुनाव आयोग ने एक बयान में कहा था: किसी भी वोट को आम आदमी ऑनलाइन नहीं हटा सकता हैजैसा कि श्री राहुल गांधी ने गलत धारणा बना ली है। प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिए बिना कोई भी वोट हटाया नहीं जा सकता। 2023 मेंआलंद विधानसभा क्षेत्र में नाम हटाने के कुछ असफल प्रयास किए गए थे और मामले की जांच के लिए चुनाव आयोग के ही प्राधिकार द्वारा एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि आलंद में जिन 6,018 नामों को हटाने की मांग की गई थीउनके भौतिक सत्यापन में केवल 24 आवेदन ही सही पाए गए। शेष 5,994 लोगों के आवेदनों पर कार्रवाई नहीं की गईक्योंकि पाया गया कि वे अभी भी उसी स्थान पर रह रहे हैं।

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