बिहार चुनाव और उपचुनावों में होंगे 470 पर्यवेक्षक

देशभर के पर्यवक्षकों के साथ चुनाव आयोग की बैठक 3 को

बिहार चुनाव और उपचुनावों में होंगे 470 पर्यवेक्षक

बिहार जाएगी आयोग की टीम, तभी चुनाव का ऐलान होगा

नई दिल्ली, 28 सितंबर (एजेंसियां)। राष्ट्रीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव और कुछ राज्यों में उपचुनावों के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक (सामान्यपुलिस और व्यय) तैनात करने का फैसला लिया है। विभिन्न राज्यों में सेवाएं दे रहे कुल 470 अधिकारियों को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया जाएगा। इनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 320 अधिकारीभारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 60 अधिकारी और भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 90 अधिकारी शामिल हैं। इसके अलावाआईआरएएसआईसीएएस जैसी सेवाओं से अधिकारी इसमें शामिल हैं। ये सभी अधिकारी बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव और जम्मू-कश्मीरराजस्थानझारखंडतेलंगानापंजाबमिजोरम और ओड़ीशा में होने वाले उपचुनावों के लिए नियुक्त किए जा रहे हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग ने राज्य में 2003 के बाद वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण (एसआईआरकराया है। जल्द ही एसआईआर वाली फाइनल वोटर लिस्ट जारी की जाएगी। चुनाव आयोग द्वारा प्रस्तावित देशव्यापी एसआईआर प्रक्रिया में बिहार पहला राज्य बन जाएगा। चुनाव आयोग ने कहा कि एसआईआर वाली फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद चुनाव आयोग की टीम विधानसभा चुनाव के संबंध में दो दिन का बिहार दौरा करेगी। संभावना है कि चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में चुनावी कार्यक्रम का ऐलान कर सकता है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमारचुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और चुनाव आयुक्त विवेक जोशी चुनावों के लिए नियुक्त पर्यवेक्षकों से 3 अक्टूबर को दिल्ली के द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट (आईआईआईडीईएम) में मिलेंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए 4 और 5 अक्टूबर 2025 को बिहार का दौरा करने की योजना है। 3 अक्टूबर को दिल्ली के द्वारका स्थित आईआईआईडीईएम में बिहार चुनाव के लिए नियुक्त पर्यवेक्षकों (सामान्यपुलिस और व्यय) के साथ भी चुनाव आयोग की बैठक होगी।

आमतौर पर आयोग का चुनावी राज्य का दौरा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से कुछ दिन पहले होता है। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा हैइसलिए चुनाव उस तारीख से पहले पूरे करने होंगे। पिछली बार बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान होने वाले पहले चुनाव थे। इस बार भी बिहार विधानसभा चुनाव पहली बार होंगे क्योंकि यह राज्य जून में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण का आदेश देने वाला पहला राज्य है। चुनाव आयोग ने 24 जून को देश भर में मतदाता सूचियों की एक विशेष पुनरीक्षण रिपोर्ट (एसआईआरका आदेश दिया थाजिसमें मौजूदा सूचियों को संशोधित करने के बजाय नए सिरे से मतदाता सूचिया तैयार की गईं।

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बिहार चुनाव आसन्न देखते हुए चुनाव आयोग ने राज्य में एसआईआर प्रक्रिया शुरू कर दी थी और कहा था कि देश के बाकी हिस्सों के लिए कार्यक्रम की घोषणा समय पर की जाएगी। बिहार में एसआईआर के बाद अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली है। एसआईआर आदेश के अनुसारबिहार के सभी मौजूदा 7.89 करोड़ मतदाताओं को ड्राफ्ट सूची में बने रहने के लिए फॉर्म जमा करने थे। अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट सूची में 7.24 करोड़ मतदाता थे जबकि शेष 65 लाख मतदाता मृतस्थानांतरितपहले से ही कहीं और नामांकित या लापता होने के कारण हटा दिए गए थे। 2003 के बादजब राज्य में अंतिम गहन पुनरीक्षण किया गया थाउन सभी मतदाताओं को अपनी पात्रता साबित करने वाले दस्तावेज़नागरिकता सहितजमा करने थे।

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निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव की निगरानी के लिए चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 और प्रतिनिधित्व अधिनियम1951 की धारा 20बी के तहत केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है। पर्यवेक्षक नियुक्ति से लेकर चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक आयोग की देखरेखनियंत्रण और अनुशासन में कार्य करते हैं। पर्यवेक्षक यह सुनिश्चित करने की महत्वपूर्ण और गंभीर जिम्मेदारी निभाते हैं कि चुनाव निष्पक्षतटस्थ और विश्वसनीय होंजो हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव है। वे आयोग की आंख और कान होते हैं और समय-समय पर रिपोर्ट देते रहते हैं। पर्यवेक्षक आयोग को स्वतंत्रनिष्पक्षपारदर्शी और समावेशी चुनाव कराने में मदद करते हैं और साथ ही मतदाताओं की जागरूकता और भागीदारी बढ़ाने में योगदान देते हैं। पर्यवेक्षकों का मुख्य उद्देश्य उन क्षेत्रों की पहचान कर ठोस सुझाव देना है जिनमें सुधार की जरूरत है। अपनी वरिष्ठता और प्रशासनिक सेवाओं के अनुभव के आधार पर सामान्य और पुलिस पर्यवेक्षक चुनाव के निष्पक्ष संचालन में आयोग की सहायता करते हैं और क्षेत्र स्तर पर चुनाव प्रक्रिया के प्रभावी प्रबंधन की निगरानी करते हैं। व्यय पर्यवेक्षक उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की निगरानी करते हैं।

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चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव और जम्मू-कश्मीर (बडगाम एवं नगरोटा)राजस्थान (अन्ता)झारखंड (घाटशिला)तेलंगाना (जुबली हिल्स)पंजाब (तारण-तारन)मिजोरम (डम्पा) और ओड़ीशा (नोआपाड़ा) में होने वाले उपचुनावों के लिए विभिन्न राज्यों में तैनात 470 अधिकारियों (320 आईएएस60 आईपीएस और 90 अन्य काडर अफसरों को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में तैनात करने का निर्णय लिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि ओड़ीशा की नोआपाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव आगामी बिहार चुनाव के साथ ही होने की संभावना है। नोआपाड़ा विधानसभा क्षेत्र मौजूदा विधायक राजेंद्र ढोलकिया के निधन के चलते खाली हुई है। ढोलकिया नोआपाड़ा सीट से चार बार विधायक रहे। वह 2022 से 2024 तक नवीन पटनायक मंत्रिमंडल में मंत्री रहे।

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