नवाचार का उभरता हुआ केंद्र आईआईटी जम्मू
पीएम मोदी ने किया आईआईटी जम्मू के दूसरे चरण का श्रीगणेश
पांच नए आईआईटी के क्षमता विस्तार को भी मिली मंजूरी
नई दिल्ली/जम्मू, 28 सितंबर (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वर्चुअल माध्यम से आईआईटी जम्मू के चरण-बी के बुनियादी ढांचे की आधारशिला रखी। यह कदम 2016 में स्थापित तीसरी पीढ़ी के आईआईटी संस्थानों में से एक की क्षमता बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री ने आईआईटी जम्मू को नवाचार और स्टार्ट-अप का एक उभरता हुआ केंद्र बताया।
संस्थान परिसर में आयोजित समारोह में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुए केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने कहा, आईआईटी जम्मू अपनी स्थापना के समय से ही सरकार के लिए एक प्राथमिकता वाला संस्थान बनकर उभरा है, जिसकी परिकल्पना क्षेत्र में एक प्रमुख तकनीकी संस्थान की दीर्घकालिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए की गई थी। उन्होंने बताया कि चरण-ए का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है। इसमें शैक्षणिक ब्लॉक, व्याख्यान कक्ष, छात्रावास, भोजनालय और उपयोगिता भवन शामिल हैं। संस्थान अपने प्रारंभिक वर्षों में तेजी से विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा, 1,398 करोड़ रुपए की लागत से स्वीकृत चरण-बी विस्तार में नए शैक्षणिक और आवासीय बुनियादी ढांचे, प्रयोगशालाएं और एक समर्पित अनुसंधान पार्क शामिल होंगे।
जीतेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि यह अनुसंधान पार्क उत्तर भारत में अपनी तरह का पहला होगा, जो आईआईटी मद्रास की तर्ज पर बनाया गया है। यह उद्योग-अकादमिक संबंधों को मजबूत करेगा, स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगा और प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों के माध्यम से लघु एवं मध्यम उद्यमों को सहायता प्रदान करेगा। आईआईटी जम्मू की निरंतर प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय मंत्री ने बताया कि संस्थान ने 2025 एनआईआरएफ इंजीनियरिंग रैंकिंग में 56वां स्थान हासिल किया है। यह स्थापना के एक दशक से भी कम समय में इसकी प्रगति का संकेत है। उन्होंने आईआईटी जम्मू के स्थान के अनूठे लाभ की ओर भी इशारा किया, जो एम्स, आईआईएम जम्मू और जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों से घिरा हुआ है, जो सहयोगी परियोजनाओं और अंतःविषय अनुसंधान को सक्षम बनाता है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 11,828 करोड़ रुपए के खर्च से पांच नए आईआईटी तिरुपति, भिलाई, धारवाड़, जम्मू और पलक्कड़ में क्षमता विस्तार को मंजूरी दी है। इस निवेश से ये संस्थान आने वाले चार वर्षों में अपने छात्रों की संख्या को सामूहिक रूप से लगभग 12,000 तक बढ़ा पाएंगे, साथ ही संकाय पदों और उन्नत सुविधाओं का सृजन भी होगा। आईआईटी जम्मू की स्थापना की शुरुआती चुनौतियों को याद करते हुए उन्होंने निदेशक मनोज सिंह गौर और उनकी टीम के समर्पण की प्रशंसा की और कहा कि उनके नेतृत्व में संस्थान ने शुरुआती बाधाओं को पार किया और कम समय में ही राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की। केंद्रीय मंत्री ने जम्मू-कश्मीर के विकास पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि आईआईटी जम्मू का विस्तार अनुसंधान, शिक्षा और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनने के भारत के व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर में बाढ़ पीड़ितों के लिए 5,061 घर बनाने के केंद्र सरकार के निर्णय पर जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति गहरा आभार जताया है। उन्होंने कहा कि भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से बेघर हो चुके जम्मू-कश्मीर के लोगों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। आपदा पीड़ितों के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (पीएमजीएस-वाई) के तहत नए 5,061 घरों को मंजूरी दे दी है। इनके निर्माण पर 81 करोड़ 98 लाख 82 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। धन सीधे प्रभावित परिवारों के बैंक खाते में भेजा जाएगा। इसे प्रशासन की निगरानी में खर्च किया जाएगा।
इस मानसून में प्राकृतिक आपदा में प्रदेश में खासकर जम्मू संभाग में लोगों को भारी नुकसान हुआ है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ही नहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जाकर हालात जाने थे। इसके बाद गृह मंत्रालय की टीम ने दौरा कर रिपोर्ट तैयार की और इसे केंद्र को सौंपा है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही जम्मू-कश्मीर को 5,061 घरों की मंजूरी मिली है। प्रदेश सरकार ने भी प्रशासन और राजस्व विभाग की मदद से रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट को भी केंद्र सरकार के साथ साझा किया जा रहा है। भारी आपदा से जूझने वाले प्रदेश को केंद्र की तरफ से मिलने वाली यह पहली मदद होगी और इसमें प्रदेश सरकार की कोई भी भूमिका नहीं है। प्रभावित परिवारों की पहचान केंद्र की टीमें पहले ही कर चुकी हैं। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की मदद से प्रदेश में आपदा से ध्वस्त हो चुके घरों का निर्माण आसान हो जाएगा।
पीएमजीएसवई के तहत प्रत्येक परिवार को 1.50 लाख रुपए घर बनाने के लिए देने का प्रावधान है। 12 हजार रुपए शौचालय निर्माण के लिए अलग से दिए जाते हैं। इसके अलावा मनरेगा के माध्यम से पीड़ित परिवारों को मजदूरी का भुगतान भी किया जाएगा। घर बनाने के लिए धनराशि परिवारों को तीन से चार किस्तों में दी जाएगी। प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने केंद्र सरकार का आभार जताया है। उन्होंने कहा, प्राकृतिक आपदाओं के कारण क्षतिग्रस्त हुए 5,061 घरों के निर्माण को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय ग्रामीण विकास तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति आभारी हूं। पीएमएवाई-जी की विशेष परियोजना के तहत इस मंजूरी से हजारों परिवारों के जीवन में सुरक्षा और स्थिरता लौटेगी। एक नया घर परिवारों को आर्थिक स्थिरता पुनः प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा जिससे परिवार की खुशहाली में उल्लेखनीय सुधार होगा।
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