अधिक खतरनाक साबित हो रहे हैं शहरी नक्सली: शाह
31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य
सरेंडर करने वाले नक्सलियों का स्वागत, उनका पुनर्वास होगा
नई दिल्ली, 29 सितंबर (एजेंसियां)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक सशस्त्र नक्सलवाद पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है और इसे हर हाल में हासिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, जो लोग हथियार छोड़ना चाहते हैं, उनके लिए सीजफायर की जरूरत नहीं। आप हथियार डाल दीजिए, पुलिस की ओर से एक भी गोली नहीं चलेगी। बल्कि आपको समाज में पुनर्वासित किया जाएगा।
भारत मंथन 2025: नक्सल मुक्त भारत के समापन सत्र में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि उन शहरी नक्सलियों को भी चिन्हित कर रोकना होगा जो वैचारिक, कानूनी और आर्थिक मदद देकर आंदोलन को जिंदा रख रहे हैं। शहरी नक्सली अधिक घातक जहर की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने सीपीआई (माओवादी) के सीजफायर प्रस्ताव को भ्रामक बताया और वामपंथी दलों पर निशाना साधा कि वे नक्सलियों के साथ क्यों ज्यादा सहानुभूति रखते हैं। अमित शाह ने याद दिलाया कि एक समय रेड कॉरिडोर पशुपति से तिरुपति तक फैलने का सपना था, पर अब नक्सलवाद देश के केवल 17 प्रतिशत हिस्से में सीमित है। संबोधन के दौरान गृह मंत्री ने छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में 2,106 नक्सलियों के आत्मसमर्पण, 1,770 गिरफ्तारी और 560 के मारे जाने का आंकड़ा भी बताया, साथ ही दावा किया कि पिछले दो सरकारों (मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी) के 10-10 साल की तुलना में सुरक्षा बलों की शहादत और नागरिकों की मौतें काफी कम हुई हैं।
अमित शाह ने कहा कि पिछली सरकारों ने नक्सलवाद से लड़ने के लिए बिखरी और प्रतिक्रिया आधारित नीति अपनाई थी, जबकि मोदी सरकार ने एकजुट और कठोर रणनीति पर काम किया। उन्होंने कहा, जो हथियार डाल देंगे, उनका स्वागत रेड कार्पेट बिछाकर किया जाएगा, लेकिन जो निर्दोषों की हत्या करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यह हमारी नो कन्फ्यूजन पॉलिसी है। गृह मंत्री ने बताया कि पिछले दो साल में सुरक्षाबलों ने 108 बड़े नक्सलियों को मार गिराया है। केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त एंटी-नक्सल फोर्स ने नक्सलियों के खिलाफ आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर बड़ी सफलता हासिल की है। इसमें लोकेशन और मोबाइल ट्रैकिंग, फॉरेंसिक जांच, सोशल मीडिया विश्लेषण और हथियारों व फंडिंग की सप्लाई लाइन को काटना शामिल है।
भारत का नक्सलवाद के खिलाफ दशकों पुराना संघर्ष अब अपने सबसे निर्णायक दौर में है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्षों की कार्रवाई के बाद सीपीआई (माओवादी) का शीर्ष नेतृत्व अब सिर्फ 13 लोगों तक सिमट गया है, जिसमें 4 पोलित ब्यूरो और 9 केंद्रीय समिति के सदस्य हैं। हालांकि, खुफिया एजेंसियों की ओर से आशंका जताई गई है कि पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) के कुछ बचे हुए गुट हमला तेज कर सकते हैं। डोजियर के अनुसार, पीएलजीए का मुखिया और मोस्ट वांटेड मदवी हिडमा अब कई शीर्ष नेताओं के संपर्क में नहीं है, जिससे माओवादी संगठन का नेटवर्क और कमजोर हुआ है।
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