बालिकाओं ने सरकारी अस्पतालों में सीखी स्वास्थ्य सुरक्षा की बारीकियां
लखनऊ, 30 सितंबर (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के महत्वाकांक्षी मिशन शक्ति अभियान के तहत प्रदेशभर के सभी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कम्पोजिट विद्यालय और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में बालिकाओं के लिए एक विशेष स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अनूठी पहल के तहत 1,21,103 छात्राओं ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला/सरकारी अस्पतालों का भ्रमण किया।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्राओं को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से प्रत्यक्ष परिचय कराना और स्वास्थ्य प्रक्रियाओं की व्यावहारिक जानकारी प्रदान करना था। स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों के विभिन्न विभागों जैसे ओपीडी, फार्मेसी, टीकाकरण कक्ष और पैथोलॉजी लैब का भ्रमण कर छात्राओं ने स्वास्थ्य सेवाओं की कार्यप्रणाली को करीब से देखा।
बालिकाओं को पंजीकरण काउंटर पर जाकर अपना ओपीडी पर्चा बनवाने का अनुभव कराया गया। इस प्रक्रिया के माध्यम से उन्हें सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने का पहला कदम सीखने को मिला। इसके साथ ही छात्राओं ने बारी-बारी से संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टरों से मुलाकात की और अपने सामान्य स्वास्थ्य प्रश्नों पर परामर्श लिया। यह अनुभव उनकी स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने वाला तो रहा ही, संवाद कौशल और आत्मविश्वास को भी मजबूत करने वाला रहा।
कार्यक्रम में बालिकाओं को विभिन्न जांच जैसे रक्तचाप, हीमोग्लोबिन, रक्त शर्करा आदि की प्रक्रिया और महत्व के बारे में जानकारी दी गई। कई स्थानों पर छात्राओं को इन जांचों के डेमो भी दिखाए गए। इसके अतिरिक्त, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने व्यक्तिगत स्वच्छता, पोषण, एनीमिया से बचाव और महामारी के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। इस कार्यक्रम के माध्यम से बालिकाएं न केवल शिक्षित हुईं, बल्कि स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता की ओर भी अग्रसर हुईं। छात्राओं ने सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली में विश्वास बढ़ाया और समझा कि सही जानकारी और प्रत्यक्ष अनुभव से ही स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्ण लाभ लिया जा सकता है। इतना ही नहीं, मिशन शक्ति का यह चरण बालिकाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य और सशक्तिकरण समाज और राष्ट्र की मजबूत नींव का आधार बना। स्कूल शिक्षा महानिदेशक मोनिका रानी ने कहा, मिशन शक्ति ने बालिकाओं को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का प्रत्यक्ष अनुभव कराया और उन्हें स्वस्थ, जागरूक और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी। यह पहल न केवल उनके विश्वास और आत्मसम्मान को बढ़ाती है, बल्कि समाज में सशक्त नारी की नींव भी मजबूत करती है।
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