नेता के महिमामंडन में जनता का पैसा खर्च करना अवैध
सुप्रीम कोर्ट ने स्टालिन सरकार को लगाई कड़ी फटकार
सरकारी धन से बनवाना चाहते थे करुणानिधि की मूर्ति
नई दिल्ली, 24 सितंबर (एजेंसियां)। सुप्रीम कोर्ट ने करुणानिधि की मूर्ति को सार्वजनिक पैसों से लगाने की तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज कर दी है। यह प्रतिमा तिरुनेलवेली जिले के वलियूर डेली वेजिटेबल मार्केट के मुख्य द्वार के पास लगाई जानी थी। सरकार ने इसके लिए एक ब्रॉन्ज की मूर्ति और नाम पट्टिका लगाने की अनुमति मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ जस्टिस विक्रम नाथ और प्रशांत कुमार मिश्रा ने सुनवाई के दौरान कहा, यह अनुमति योग्य नहीं है। आप अपने पूर्व नेताओं की महिमा के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग क्यों कर रहे हैं? अदालत ने तमिलनाडु सरकार को अपनी विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) वापस लेने और जरूरत पड़ने पर मद्रास हाईकोर्ट से राहत प्राप्त करने की सलाह दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व आदेश को बरकरार रखा, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमा लगाने की अनुमति देने से इन्कार किया गया था।
मद्रास हाईकोर्ट ने पहले ही यह निर्णय दिया था कि सरकार सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमा लगाने की अनुमति नहीं दे सकती। कोर्ट ने कहा था कि ऐसी प्रतिमाएं अक्सर यातायात जाम और नागरिकों को असुविधा का कारण बनती हैं। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा, सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमा लगाने की अनुमति देने से भारी ट्रैफिक और अन्य समस्याएं होती हैं, जिससे आम जनता को कठिनाई होती है। संविधान के तहत नागरिकों के अधिकारों की रक्षा राज्य का कर्तव्य है।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी सुझाव दिया था कि सरकार को राज्य भर में लीडर्स पार्क की स्थापना करनी चाहिए, जहां नेताओं की प्रतिमाएं लगाई जा सकें और युवाओं को उनके विचारों के बारे में बताया जा सके। हालांकि तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ से यह अनुरोध किया कि क्या वलियूर सब्जी मंडी के प्रवेश द्वार पर प्रस्तावित आर्च (तोरणद्वार) को अनुमति दी जा सकती है क्योंकि इसे लेकर याचिका में विशेष रूप से चुनौती नहीं दी गई थी।
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