मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या बोले — “हाई कमांड का फैसला अंतिम, मैं तभी रहूंगा पूरे कार्यकाल तक”

मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या बोले — “हाई कमांड का फैसला अंतिम, मैं तभी रहूंगा पूरे कार्यकाल तक”

बेंगलुरू, 28 अक्टूबर 2025। कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर मुख्यमंत्री परिवर्तन की चर्चा तेज हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या ने सोमवार को मंगालुरु में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यदि कांग्रेस हाई कमांड चाहेगी तो वे अपना पूरा पांच वर्षीय कार्यकाल मुख्यमंत्री के रूप में पूरा करेंगे। इस बयान को प्रदेश की राजनीति में चल रही अंदरूनी खींचतान और सत्ता परिवर्तन की अटकलों के बीच महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या ने कहा, “कर्नाटक में कांग्रेस सरकार जनता के भरोसे बनी है। मैं मुख्यमंत्री के रूप में वही करूंगा जो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा। पार्टी हाई कमांड जो भी निर्णय लेगी, वह अंतिम होगा।”

पिछले कुछ हफ्तों से कांग्रेस के भीतर यह चर्चा गर्म है कि मुख्यमंत्री पद पर डिप्टी सीएम डी. के. शिवकुमार को मौका दिया जा सकता है, क्योंकि गठबंधन-पूर्व समझौते के अनुसार कार्यकाल का आधा समय (2.5 साल) सिद्धारमैय्या और शेष समय शिवकुमार को दिया जाना था। हालांकि, सिद्धारमैय्या खेमे के कई विधायकों और वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि सरकार स्थिर है और किसी तरह के परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है।

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस हाई कमांड ने भी फिलहाल किसी तात्कालिक बदलाव से इनकार किया है। पार्टी का कहना है कि सरकार का प्रदर्शन संतोषजनक है और मुख्यमंत्री विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। वहीं, राज्य के मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा, “हाई कमांड ही तय करेगी कि कब और कौन मुख्यमंत्री रहेगा। हम सब अनुशासन में हैं।”

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राज्य के अंदर यह बयान उस समय आया है जब कांग्रेस वर्ष 2028 के विधानसभा चुनाव की रणनीति पर काम शुरू कर चुकी है। सिद्धारमैय्या का यह बयान पार्टी के भीतर एकता का संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता राज्य में गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार सृजन पर केंद्रित है।

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कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में अगले महीने होने वाली बैठक में कर्नाटक के संगठन और सरकार की कार्यप्रणाली पर समीक्षा की जाएगी। तब तक मुख्यमंत्री परिवर्तन की चर्चा पर किसी भी निर्णय की संभावना नहीं है।

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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सिद्धारमैय्या का यह बयान पार्टी नेतृत्व को यह संकेत देने के लिए भी है कि वे अपने पद को लेकर रक्षात्मक नहीं हैं, लेकिन यदि समर्थन मिला तो पूरे पांच वर्ष कार्यकाल पूरा करेंगे।

कुल मिलाकर, सिद्धारमैय्या का यह वक्तव्य कर्नाटक की सत्ता के समीकरणों में एक नया मोड़ जोड़ गया है — जहां सत्ता का संतुलन हाई कमांड के निर्णय पर निर्भर करता है और राज्य की राजनीति के तापमान को फिर से बढ़ा देता है।