आरएसएस की गतिविधियों पर रोक नहीं लगेगी
कर्नाटक सरकार को हाईकोर्ट ने दिया करारा झटका
बेंगलुरु, 28 अक्टूबर (एजेंसियां)। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को झटका देते हुए उसके एक आदेश पर रोक लगा दी है। कर्नाटक सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर अंकुश लगाने के बहाने आरएसएस एवं कई संगठनों को सरकारी परिसरों और सार्वजनिक जगहों, सड़कों आदि पर कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने से पहले प्रशासन की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था। कर्नाटक सरकार के इस आदेश को सीधे तौर पर आरएसएस की गतिविधियों को राज्य में बाधित करने के तौर पर देखा जा रहा था। कर्नाटक उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने कर्नाटक सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी है।
राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ पुनशचैतन्य सेवा समस्थे नामक संगठन ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई 17 नवंबर तक टाल दी है। याचिका दाखिल करने वाले संगठन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अशोक हरनहल्ली ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार का आदेश संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा है। वकील ने कहा कि सरकार का आदेश है कि 10 से ज्यादा लोगों को भी इकट्ठा होने के लिए सरकार की मंजरी लेनी होगी। यह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा है। यहां तक कि अगर किसी पार्क में कोई समारोह होता है तो सरकार के इस आदेश के अनुसार, वह भी अवैध होगा।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जब पुलिस कानून लागू है तो फिर ऐसे आदेश की जरूरत क्यों पड़ी? सरकार इस तरह के प्रशासनिक आदेश जारी नहीं कर सकती। इस पर राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने जवाब देने के लिए एक दिन का समय मांगा। इस पर उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। पीठ ने कहा कि इस आदेश से कर्नाटक सरकार संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) और 19 (1)(बी) के तहत मिले अधिकारों को छीन रही है।
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