विंटेज कार-बाइक रैली में त्रिवेणी नगर के संतोष शर्मा की 1960 लैंब्रेटा बनी आकर्षण का केंद्र

विंटेज कार-बाइक रैली में त्रिवेणी नगर के संतोष शर्मा की 1960 लैंब्रेटा बनी आकर्षण का केंद्र

लखनऊ, 18 नवम्बर 2025। राजधानी लखनऊ में आयोजित विंटेज कार और बाइक रैली ने रविवार को पुरानी यादों को एक बार फिर जीवंत कर दिया। शहर के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों ने दशकों पुरानी कारों, स्कूटरों और मोटरसाइकिलों को एक साथ सड़क पर दौड़ते देखा तो मानो समय पीछे लौट गया। इस भव्य रैली में जहां कई दुर्लभ मॉडल की विंटेज गाड़ियाँ शामिल हुईं, वहीं त्रिवेणी नगर निवासी संतोष शर्मा अपनी अनमोल धरोहर 1960 मॉडल की लैंब्रेटा इनोसेंटी मोपेड के साथ सबसे अलग ही छाप छोड़ते नज़र आए।

संतोष शर्मा की यह लैंब्रेटा सिर्फ एक पुराना वाहन नहीं, बल्कि उनके परिवार की विरासत है, जिसे उन्होंने वर्षों की मेहनत से सुरक्षित रखा है। उन्होंने बताया कि यह मोपेड उनके पिता द्वारा 1960 के दशक में खरीदी गई थी। समय के साथ कई पुर्जे खराब हुए, मॉडल बाजार से गायब हो गया, लेकिन संतोष ने इसे फिर से जीवंत बनाने में किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ी। असली पुर्जों को जुटाने से लेकर रंग-रोगन और इंजन को पुराने स्वरूप में वापस तैयार करने तक उन्होंने पूरा ध्यान स्वयं रखा।

रैली में शामिल दर्शकों के लिए संतोष शर्मा की लैंब्रेटा सबसे आकर्षण का केंद्र रही। कई विंटेज प्रेमियों और युवाओं ने इस अनोखे मॉडल को नज़दीक से देखा और तस्वीरें खिंचवाईं। संतोष ने बताया कि लोगों का उत्साह देखकर उन्हें बेहद गर्व महसूस हुआ। उनका कहना था कि नई पीढ़ी को यह दिखाना ज़रूरी है कि कभी इन मशीनों का क्या रुतबा हुआ करता था और किस तरह ये गाड़ियाँ भारतीय सड़कों की शान होती थीं।

रैली का आयोजन राजधानी के एक प्रमुख ऑटो क्लब द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य पुराने ऑटोमोबाइल्स को संरक्षित करने वालों को प्रोत्साहित करना एवं शहर में विंटेज ऑटोमोबाइल संस्कृति को बढ़ावा देना था। सुबह से शुरू हुई यह रैली शहर के ऐतिहासिक इलाकों से गुजरती हुई विविध मार्गों पर घूमी। रास्ते भर लोगों ने इन गाड़ियों का स्वागत किया और तालियों से उत्साह बढ़ाया।

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आयोजकों के अनुसार इस वर्ष की रैली में 1940 से 1980 के बीच के कई दुर्लभ वाहन शामिल हुए। इन गाड़ियों को देखकर एक ओर जहां बुजुर्ग पीढ़ी पुरानी यादों में खो गई, वहीं युवाओं ने इतिहास को प्रत्यक्ष रूप में महसूस किया।

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संतोष शर्मा ने कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ रैली में भाग लेना नहीं, बल्कि लोगों को यह संदेश देना भी था कि पुराने वाहनों को संरक्षित करना एक सांस्कृतिक धरोहर को बचाने जैसा है। उनका मानना है कि विंटेज वाहन किसी युग की तकनीक, कला और जीवनशैली का सजीव दस्तावेज होते हैं। यदि इन्हें संरक्षित नहीं किया जाएगा तो आने वाली पीढ़ियाँ उस युग की झलक कभी नहीं देख पाएंगी।

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रैली के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और स्मृति चिह्न भी प्रदान किए गए। आयोजकों ने संतोष शर्मा की 1960 मॉडल लैंब्रेटा की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे लोग ही विंटेज संस्कृति को जिंदा रखे हुए हैं।

राजधानी की सड़कों पर निकली इस अनोखी रैली ने लोगों को यह एहसास कराया कि मशीनें चाहे कितनी भी आधुनिक क्यों न हो जाएँ, लेकिन पुरानी गाड़ियों की अपनी अलग ही पहचान और भावनात्मक जुड़ाव होता है। संतोष शर्मा जैसे उत्साही नागरिकों के कारण ही ऐसे आयोजन न केवल सफल होते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनते हैं।

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