ऐसे संस्थान बने देश की मेडिकल शिक्षा के दुश्मन

अल-फलाह विश्वविद्यालय पर ताले लगाने की जरूरत! छात्रों का भविष्य खतरे में,

 ऐसे संस्थान बने देश की मेडिकल शिक्षा के दुश्मन

मां–बाप का फूटा गुस्सा: “ऐसे यूनिवर्सिटी बंद करो, बच्चों को दूसरे कॉलेजों में भेजो—काबिलियत से नहीं, कुकृत्यों से चल रहा है विश्वविद्यालय”

नई दिल्ली, 22 नवम्बर (एजेंसियां)।फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों के केंद्र में है, लेकिन इस बार मामला सिर्फ प्रशासनिक नहीं है—यह देश की मेडिकल शिक्षा की विश्वसनीयता पर सीधा हमला है। ईडी द्वारा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष की गिरफ्तारी, फैकल्टी के अचानक गायब होने, और एनएमसी की संभावित कार्रवाई के बाद अभिभावकों का धैर्य पूरी तरह टूट चुका है।

अभिभावकों ने पहली बार इतनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ऐसे विश्वविद्यालयों को तुरंत बंद कर देना चाहिए और छात्रों को मान्यता प्राप्त, स्थिर और जिम्मेदार मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया जाए।

“यह शिक्षा का मंदिर नहीं, एक झूठा ढांचा है”—अभिभावक भड़के

अभिभावकों ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर एकत्र होकर तीखी नाराजगी जाहिर की।
चंडीगढ़ के एक अभिभावक ने कहा:
“हमने अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने के लिए भेजा था, किसी संदिग्ध प्रयोगशाला में नहीं। अगर प्रशासन और सरकार ऐसे संस्थानों को नहीं रोक पाती, तो देश में मेडिकल शिक्षा का क्या भविष्य बचेगा?”

दिल्ली के एक अन्य अभिभावक ने कहा:
“एनएमसी को तुरंत नोटिस देकर इस विश्वविद्यालय पर ताला लगाना चाहिए। हमारा सीधा सुझाव है—विश्वविद्यालय बंद करो और बच्चों को दूसरे कॉलेजों में एडजस्ट करो।”

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यह आवाज़ अब केवल कुछ माता–पिता तक सीमित नहीं है। सोशल मीडिया, पैरेंट समूहों और छात्र समुदाय में यह भावना तेज़ी से फैल रही है कि यदि अल-फलाह जैसे संस्थानों पर “मौका” दिया जाता रहा, तो देश की मेडिकल शिक्षा की साख पूरी तरह खत्म हो जाएगी।

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एनएमसी की समीक्षा पर डेरा गया खतरा—900 छात्रों पर संकट

अल-फलाह विश्वविद्यालय के मेडिकल कॉलेज में इस समय लगभग 900 छात्र पढ़ रहे हैं। लेकिन स्थिति ऐसी है कि—

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  • न नियमित क्लासें चल रही हैं

  • न फैकल्टी स्थिर है

  • न क्लिनिकल रोटेशन की गारंटी

  • न परीक्षाओं का स्पष्ट शेड्यूल

  • और न प्रशासन में कोई पारदर्शिता

ऐसे में प्रश्न उठता है—क्या यह संस्था छात्रों को डॉक्टर बनाने के योग्य भी है?

अभिभावकों का कहना है कि यह केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि शैक्षणिक अपराध है।


🔥 बॉक्स: अल-फलाह विश्वविद्यालय के कुकृत्यों की सूची — क्यों लगे ताला?

कुकृत्य / आरोप विवरण
1. वित्तीय अनियमितता विश्वविद्यालय अध्यक्ष ईडी द्वारा संदिग्ध लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार
2. संकाय सदस्यों का पलायन कई वरिष्ठ प्रोफेसर अचानक संस्थान छोड़ गए, छात्रों के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं
3. क्लिनिकल रोटेशन बाधित छात्रों को अस्पतालों में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग नहीं मिल रही, जिससे उनकी स्किल प्रभावित
4. प्रशासनिक अराजकता कोई स्पष्ट बयान, निर्देश, या अकादमिक कैलेंडर नहीं—पूरा कैंपस अनिश्चितता में
5. एनएमसी मानकों का उल्लंघन फैकल्टी की कमी, इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्याएँ, और अधूरे रिकॉर्ड
6. छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ चौथे और अंतिम वर्ष के छात्रों को डॉक्टर की डिग्री की राह में भारी जोखिम

अभिभावकों की मांग—“ऐसे विश्वविद्यालय सिर्फ बंद नहीं होने चाहिए, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई भी हो”

अभिभावकों ने स्पष्ट कहा है कि—

  1. यह संस्थान बंद हो या न हो, छात्रों को तुरंत अन्य कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाए।

  2. एनएमसी को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी निजी विश्वविद्यालय मेडिकल शिक्षा को व्यापार की तरह न चलाए।

  3. ईडी और सरकार को जांच तेज करनी चाहिए ताकि जिम्मेदार लोगों को सजा मिले।

  4. मेडिकल शिक्षा की राष्ट्रीय विश्वसनीयता की रक्षा की जाए।

“हम अपने बच्चों को प्रयोगशाला के चूहों की तरह इस्तेमाल नहीं होने देंगे”

आगरा की एक माँ ने बेहद आक्रोशित स्वर में कहा:
“हमारे बच्चे डॉक्टर बनने आए थे, किसी भ्रष्ट व्यवस्था के शिकार बनने नहीं। हम सरकार से मांग करते हैं—या यह विश्वविद्यालय बंद करो, या इसे संभालने के लिए प्रशासनिक कमेटी बैठाओ, लेकिन अनिश्चितता बिल्कुल स्वीकार नहीं।”