अमेरिकी धमकियों से बेपरवाह हुआ भारत
पीएम मोदी सीधे पहुंचे रामाफोसा के दरबार — ब्रिक्स की ताकत दिखाने का सबसे बड़ा मंच बना G20
अमेरिका को करारा जवाब! जिस नेता को ट्रंप दे रहे थे धमकी, उसी के पास पहुंच गए PM मोदी – दक्षिण अफ्रीका में
नई दिल्ली, 21 नवंबर (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दिखा दिया है कि भारत किसी वैश्विक दबाव में झुकने वाला देश नहीं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप बार-बार दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को धमकियाँ दे रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी बिना किसी हिचक दक्षिण अफ्रीका पहुँच गए। इतना ही नहीं—जोहान्सबर्ग पहुंचते ही प्रधानमंत्री मोदी का ऐसा भव्य स्वागत हुआ कि पूरा अफ्रीका गूंज उठा। सांस्कृतिक कलाकारों ने ज़मीन पर लेटकर पारंपरिक प्रणाम किया, पारंपरिक नृत्य किया और मोदी का स्वागत ऐसे किया गया जैसे किसी महाशक्ति के नेता का आगमन हो।
यह वही दक्षिण अफ्रीका है जिसके राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा, पुतिन और मोदी—तीनों के करीबी हैं। और शायद यही बात पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, को सबसे ज़्यादा खटकती है। ब्रिक्स का बढ़ता प्रभाव अमेरिका और यूरोप दोनों के लिए असहज करने वाला है। इसी बढ़ती ताकत को देखते हुए G20 की इस बैठक को अफ्रीका के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटना माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने शुक्रवार को जोहान्सबर्ग पहुँचे। वे गौतेंग स्थित वाटरलूफ़ वायुसेना अड्डे पर उतरे, जहाँ उनका पारंपरिक और अत्यंत गर्मजोशी से स्वागत किया गया। यह पहली बार है जब अफ्रीकी महाद्वीप की धरती पर दुनिया की 20 सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाएँ एक मंच पर बैठ रही हैं।
भारत की अध्यक्षता के दौरान 2023 में अफ्रीकी संघ को G20 में शामिल किया गया था, और अब पहली बार यह बड़ा समूह अफ्रीका में बैठक कर रहा है। यह कदम भारत की वैश्विक सोच— “वसुधैव कुटुम्बकम” — का प्रमाण है।
शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी कई वैश्विक नेताओं से मुलाकात करेंगे। वे छठे आईबीएसए सम्मेलन (भारत-ब्राज़ील-दक्षिण अफ्रीका) में भी शामिल होंगे। रवाना होने से पहले मोदी ने कहा था कि वे “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” की भावना को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखेंगे।
समिट में तीन बड़े सत्र होंगे, जिनमें आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे विषयों पर चर्चा होगी। भारत इन सभी मुद्दों पर अपने दृढ़ और संतुलित रुख के लिए जाना जाता है, और यह भी अमेरिका-पश्चिमी देशों को खटकता है कि भारत आज उनके प्रभाव में नहीं बल्कि स्वतंत्र वैश्विक धुरी के रूप में खड़ा है।
अब बात करते हैं उस विवाद की जो इस बैठक की पृष्ठभूमि में लगातार गूंज रहा है—डॉनल्ड ट्रंप ने कुछ समय पहले सिरिल रामाफोसा को वाइट हाउस में बुलाकर उनके साथ बदसलूकी की थी। ट्रंप ने शक्ति-प्रदर्शन करते हुए कहा था कि “मोदी मेरे दोस्त हैं… मैंने ही भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रोका।” समझने वाली बात यह है कि वही दक्षिण अफ्रीका आज भारत को सर्वोच्च सम्मान दे रहा है, जबकि अमेरिका की धमकियाँ बेअसर हो चुकी हैं।
अमेरिका हर उभरते हुए देश पर शिकंजा कसना चाहता है। लेकिन जब देश भारत और रूस दोनों का मित्र हो, और ब्रिक्स जैसा मजबूत मंच उसका हिस्सा हो, तो अमेरिका की बेचैनी बढ़ना तय है। यही बेचैनी आज अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका के बीच तनातनी का सबसे बड़ा कारण है।
दक्षिण अफ्रीका और भारत की यह बैठक सिर्फ कूटनीति नहीं—यह शक्ति संतुलन का नया वैश्विक पाठ है।

