अल-फलाह विश्वविद्यालय पर गंभीर संकट!
900 से अधिक छात्रों के भविष्य पर खतरा, एनएमसी की कार्रवाई का डर गहराया
ईडी द्वारा अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद हालात बिगड़े, अभिभावकों में गहरा आक्रोश—संकाय सदस्यों के पलायन और क्लिनिकल रोटेशन पर खतरा
नई दिल्ली, 22 नवम्बर (एजेंसियां)। फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय इन दिनों गहरे संकट में है। विश्वविद्यालय के अध्यक्ष की ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद शैक्षणिक व्यवस्था और मेडिकल शिक्षा की निरंतरता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इसी अनिश्चितता के बीच एमबीबीएस के 50 से अधिक छात्रों के अभिभावक शुक्रवार को विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर इकट्ठा हुए, जहां उन्होंने संस्थान की कार्यप्रणाली पर कड़ा प्रश्न उठाते हुए प्रशासन से तत्काल स्पष्टता की मांग की।
अभिभावकों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विश्वविद्यालय की मान्यता को लेकर समीक्षा या कठोर कदम उठा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो न केवल मौजूदा 50–60 छात्रों बल्कि लगभग 900 मेडिकल छात्रों के भविष्य पर सीधा असर पड़ेगा।
अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद विश्वविद्यालय में अफरा-तफरी
बीते हफ्ते प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अल-फलाह विश्वविद्यालय के अध्यक्ष को वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में हिरासत में लिया था। इसके बाद से विश्वविद्यालय में प्रशासनिक अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। कई संकाय सदस्यों के कथित रूप से संस्थान छोड़ने और कुछ के अनुपस्थित रहने की जानकारी अभिभावकों को लगातार मिल रही है।
चंडीगढ़ से आए एक एमबीबीएस छात्र के पिता और अधिवक्ता खुशपाल सिंह ने बताया,
“अभिभावक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर लगातार संवाद कर रहे हैं। आज हम सुबह 11 बजे सामूहिक रूप से विश्वविद्यालय पहुँचकर यह जानना चाहते थे कि आखिर हमारे बच्चों को पढ़ाएगा कौन? क्लिनिकल रोटेशन कौन कराएगा? प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट संदेश नहीं दिया गया है।”
उन्होंने कहा कि संकाय सदस्यों के अचानक अनुपस्थित होने से छात्रों में भय और असमंजस की स्थिति है।
एनएमसी की संभावित कार्रवाई से दहशत—“अगर मान्यता रद्द हुई तो बच्चे कहाँ जाएँगे?”
दिल्ली के एक अभिभावक ने कहा,
“एनएमसी की कार्रवाई सबसे बड़ा डर है। यदि मान्यता पर कोई नकारात्मक निर्णय हुआ तो चौथे-साल तक पढ़ चुके बच्चों का क्या होगा? यह उनका जीवन और करियर है, जिसे अधर में नहीं छोड़ा जा सकता।”
अभिभावकों के अनुसार, प्रशासन फिलहाल किसी भी विषय पर स्पष्ट जानकारी देने में असमर्थ या अनिच्छुक दिख रहा है। इस वजह से बच्चे अपने भविष्य को लेकर मानसिक तनाव में हैं।
बच्चों की शिक्षा, परीक्षाएँ और अस्पतालों में क्लिनिकल ट्रेनिंग पर संकट
आगरा की एक अभिभाविका ने बताया कि बच्चे कई परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
“क्लिनिकल रोटेशन समय पर न होने से उनकी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग प्रभावित हो रही है। इसके अलावा आने वाली परीक्षाओं का भी कोई शेड्यूल स्पष्ट नहीं है। कई शिक्षक उपलब्ध ही नहीं हैं। ऐसे में अध्ययन कैसे चलेगा?”
छात्रों ने शिकायत की है कि
– विभागीय कार्यालयों में पहुंच कर सूचना लेना अत्यंत कठिन हो गया है।
– कई कक्षाएँ नियमित तरीके से नहीं चल रहीं।
– अस्पताल संबंधित प्रशिक्षण में बाधा आ रही है।
अभिभावकों का आरोप—“मीडिया कार्रवाई की खबरें दिखा रहा, पर छात्रों की चिंता पर चुप्पी”
अभिभावकों ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि ईडी की जांच और कार्रवाई पर तो मीडिया में चर्चा हो रही है, लेकिन छात्रों के भविष्य की कोई बात नहीं कर रहा।
अधिवक्ता सिंह ने कहा,
“मीडिया कवरेज जांच पर केंद्रित है। कोई यह नहीं पूछ रहा कि 900 छात्रों का क्या होगा। उनका भविष्य दांव पर लगा है और यही सबसे गंभीर मसला है।”
सरकारी एजेंसियों की चुप्पी से बढ़ रहा तनाव
अभिभावकों का कहना है कि न तो विश्वविद्यालय प्रशासन और न ही किसी सरकारी एजेंसी ने आधिकारिक रूप से कोई अपडेट जारी किया है।
“जब तक सरकार या एनएमसी स्पष्ट रूप से बयान नहीं देती, तब तक अनिश्चितता बनी रहेगी। हम सिर्फ यह चाहते हैं कि बच्चों की पढ़ाई और करियर सुरक्षित रहे,” एक अभिभावक ने कहा।
अभिभावकों की मांग: तुरंत हस्तक्षेप करे एनएमसी और राज्य सरकार
अभिभावकों ने निम्न प्रमुख मांगें उठाई—
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एनएमसी द्वारा स्थिति की तत्काल समीक्षा और छात्रों को लिखित आश्वासन
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संकाय की स्थिरता और पढ़ाई के नियमित संचालन की गारंटी
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क्लिनिकल रोटेशन और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग बाधित न होने दें
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छात्रों को वैकल्पिक संस्थानों में स्थानांतरित करने पर भी विचार
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सरकारी एजेंसियों द्वारा पारदर्शिता और समयबद्ध updates
अभिभावकों ने कहा कि वे अगले सप्ताह भी विश्वविद्यालय में बैठक करेंगे और यदि आवश्यक हुआ तो उच्च स्तर पर भी मामला उठाएँगे।
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अल-फलाह विश्वविद्यालय संकट: छात्रों के भविष्य पर खतरा, एनएमसी कार्रवाई की आशंका
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अल-फलाह विश्वविद्यालय के अध्यक्ष की ईडी गिरफ्तारी के बाद मेडिकल छात्रों का भविष्य संकट में। संकाय के पलायन, एनएमसी की संभावित कार्रवाई और 900 छात्रों की पढ़ाई रुकने की आशंका से अभिभावक चिंतित।
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