निठारी की दहशत फिर जगी: डिस्कवरी की विस्फोटक डॉक्यूमेंट्री ने खोले ‘सिस्टम’ के काले राज़
– पंढेर का पहली बार कैमरे पर बयान, कोली की सज़ा पलटने के बाद उठे नए सवाल
मुंबई, 21 नवंबर (एजेंसियां)। देश को झकझोर देने वाले निठारी कांड की दहशत एक बार फिर लौट आई है। वॉर्नर ब्रदर्स, डिस्कवरी और त्रिनेत्र प्रोडक्शन्स ने एक ऐसी विस्फोटक इन्वेस्टिगेटिव डॉक्यू-सीरीज़ रिलीज की है जिसने पूरे सिस्टम की नींद उड़ा दी है।
‘निठारी: ट्रुथ, लाइज़ एंड मर्डर’ नाम की यह सीरीज़ न सिर्फ 2006 के खौफनाक नरसंहार को नई दृष्टि से खोलती है, बल्कि उन कड़ियों को भी जोड़ती है जिन्हें लगभग दो दशक तक नज़रअंदाज़ किया गया।
यह डॉक्यूमेंट्री ऐसे समय में सामने आई है जब सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी सुरिंदर कोली की अंतिम बची सज़ा पलट दी, और देश में यह बहस फिर से तेज हो गई कि क्या निठारी के “गुनहगार” वास्तव में गुनहगार थे या किसी गहरे खेल के मोहरे।
पहली बार कैमरे पर मोनिंदर सिंह पंढेर की कहानी — सिस्टम पर सीधा वार
इस तीन घंटे की सीरीज़ में सबसे बड़ा धमाका वह हिस्सा है जिसमें दूसरे आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर पहली बार कैमरे के सामने अपनी पूरी कहानी रखते हैं।
उनकी यह स्वीकारोक्ति, तर्क और सिस्टम पर सवाल पूरे केस की दिशा को चुनौती देते हैं।
डॉक्यूमेंट्री के दौरान टीम को ऐसे फुटेज, पुलिस डायरी और कन्फेशन टेप मिले जिन्हें पहले कभी लोगों ने नहीं देखा। कई सवालों के जवाब इन दस्तावेज़ों में छिपे थे, जिन्हें अब दुनिया पहली बार देखेगी।
जांचकर्ताओं, पत्रकारों और पीड़ित परिवारों की पुकार — “हमें सच चाहिए!”
निठारी कांड के दौरान जिन परिवारों के बच्चे गायब हुए, जिन घरों में मौत का साया मंडराया—वे आज भी एक ही सवाल पूछ रहे हैं:
“कौन असली गुनहगार था?”
डॉक्यूमेंट्री इन परिवारों की आवाज़ को बेहद कड़ाई से सामने लाती है।
जांचकर्ता, फोरेंसिक विशेषज्ञ और पत्रकार, सभी इस बात पर जोर देते हैं कि केस की शुरुआती जांच में कई भयंकर चूकें हुईं, जिन्हें जानबूझकर अनदेखा किया गया।
डायरेक्टर दीपक चतुर्वेदी का बड़ा खुलासा: 'कहानी बदली गई, सच दबाया गया'
सीरीज़ के निर्देशक दीपक चतुर्वेदी बताते हैं कि उन्होंने कई साल गोपनीय दस्तावेजों की जांच में बिताए।
उनका साफ कहना है कि यह डॉक्यूमेंट्री सिर्फ खून-खराबे की कहानी नहीं है, बल्कि जवाबदेही की लड़ाई है।
उन्होंने कहा:
“हमने सबूतों को अंदाज़ों से अलग किया। यह केस जैसा दिखाई देता है वैसा बिल्कुल नहीं है। कई कड़ियाँ ऐसे सच की ओर ले जाती हैं जिसे वर्षों से दबाया गया।”
क्या पंढेर और कोली बलि के बकरे थे? सीरीज़ ने खड़े किए चौंकाने वाले सवाल
डॉक्यूमेंट्री यह सवाल उठाती है कि क्या निठारी के शांत इलाके में हुई सीरियल किलिंग वास्तव में वही थी जैसा सिस्टम ने बताया था?
या फिर दो लोगों—पंढेर और कोली—को hurried investigation का शिकार बनाकर गहरी साजिश पर पर्दा डाल दिया गया?
सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले ने इस शक को और बल दिया है, और डॉक्यू-सीरीज़ उन्हीं छिपे पहलुओं को सर्जिकल तरीके से उजागर करती है।
डिस्कवरी की दूर तक चुभने वाली चोट: सिस्टम की नाकामी उजागर
वॉर्नर ब्रदर्स डिस्कवरी के साई अभिषेक ने साफ कहा:
“निठारी केस भारत की सबसे उलझी और दर्दनाक जांचों में से एक था। यह सीरीज़ नए सबूतों और दुर्लभ आवाज़ों के साथ उस सच की परतें उठाती है जिसे जानना लोगों का हक है।”
डॉक्यूमेंट्री मुश्किल सवालों से डरती नहीं—बल्कि सीधे निशाने पर रखती है:
क्या असली राक्षस कभी सामने आए ही नहीं?
क्या न्याय व्यवस्था ने अपनी जिम्मेदारी निभाई या गलती छिपाने की कोशिश की?
क्या सच आज भी हमारे सामने है लेकिन फाइलों के नीचे दबा हुआ?
‘निठारी: ट्रुथ, लाइज़ एंड मर्डर’ इन सवालों को इतने तीखे तरीके से उठाती है कि पूरा सिस्टम जवाब देने पर मजबूर हो जाए।

