सिंधु जल संधि खत्म करने का ऐलान हो
भारत सरकार कान खोलो: जम्मू कश्मीर की मांग सुनो
सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 25 अप्रैल। भारत ने पहलगाम में हुए नरसंहार के बाद सिंधु जल संधि स्थगित करने का ऐलान किया है न कि समाप्त करने का। लेकिन जम्मू कश्मीर की जनता को उम्मीद है कि केंद्र सरकार, पाकिस्तान के साथ की गई सिंधु जल संधि पूरी तरह से समाप्त करेगी। इस संधि के तहत भारत से बहने वाली नदियों का पानी पाकिस्तान को दिया जाता है। इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान पानी के लिए हाहाकार मचाता। इस पर पाकिस्तान सरकार पर पाकिस्तानी आवाम का इतना दबाव बढ़ेगा कि उसे आतंकवाद को पालने-पोसने की नीति छोड़नी पड़ेगी। जल संधि समाप्त होने से जम्मू कश्मीर राज्य की खुशहाली और हरियाली लौटेगी।
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के सैन्य शासक फील्ड मार्शल अय्यूब खान के बीच यह जल संधि हुई थी। इस जलसंधि के तहत तीनों दरियाओं का पानी रोकने का भारत को कोई अधिकार नहीं होगा। यानी, जम्मू कश्मीर के लोगों के शब्दों में, जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू कश्मीर राज्य के लोगों के भविष्य को पाकिस्तान के हाथ में गिरवी रख दिया था। यह कड़वी सच्चाई है। इन तीनों दरियाओं का पानी जम्मू कश्मीर के लोग इस्तेमाल नहीं कर सकते। जबकि यह दरियाएं उन्हीं के इलाके से बहती हैं। इन दरियाओं को बचाने और इस्तेमाल के लिए पहले दिन से प्रयास किए जाने चाहिए थे, लेकिन अब तो नेताओं को भी मानना है कि यह जलसंधि एक ऐतिहासिक भूल थी जो वर्ष 1960 के सितंबर महीने में की जा चुकी थी।
पानी रोकने में लगेंगे बरसों, खर्च होंगे अरबों
जम्मू, 25 अप्रैल (ब्यूरो)। भारत सरकार द्वारा 1960 से जारी सिंधु जल संधि को स्थगित करने की घोषणा से भारतीय जनता में खुशी का माहौल है। लेकिन इस घोषणा के अच्छे पक्ष के साथ यह भी है कि पाकिस्तान को पानी देने से जुड़ी व्यवस्थाओं को समाप्त करने और उसे अपने इस्तेमाल में लाने के लिए भारत सरकार को नई व्यवस्था बनानी होगी, उसमें काफी समय और खर्च लगेगा।
जानकारों के मुताबिक भारत सरकार को पंजाब और जम्मू कश्मीर की तरफ बहने वाली तीन नदियों का पानी पाकिस्तान जाने से रोकने की व्यवस्था बनानी होगी। इस काम में वर्षों का समय लगेगा, अरबों रुपए खर्च होंगे।
दरअसल जब भारत और पाकिस्तान के बीच यह जल संधि हुई थी, उस जलसंधि के तहत तीन नदियों का पानी पाकिस्तान को चला गया और तीन नदियों का पानी रोकने का अधिकार भारत के पास रहा। यानी, जम्मू कश्मीर के लोगों के शब्दों में, जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू कश्मीर राज्य के लोगों के भविष्य को पाकिस्तान के हाथ में गिरवी रख दिया था। यह कड़वी सच्चाई है। इन तीनों दरियाओं का पानी जम्मू कश्मीर के लोग इस्तेमाल नहीं कर सकते। जबकि यह दरियाएं उन्हीं के इलाके से बहती हैं। इन दरियाओं को बचाने और इस्तेमाल के लिए पहले दिन से प्रयास होने चाहिए थे, लेकिन अब तो नेताओं को भी मानना है कि यह जलसंधि एक ऐतिहासिक भूल थी जो वर्ष 1960 के सितंबर महीने में की जा चुकी थी।