भारत में रियल एस्टेट से करोड़ों कमा रहा ट्रंप परिवार
भारत को डेड इकोनॉमी बताने वाले डोनाल्ड ट्रंप की असलियत
द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन का साथ दे रहे अंबानी, लोढा, मेहता एवं अन्य
नई दिल्ली, 06 अगस्त (एजेंसियां)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को डेड इकोनॉमी वाला देश बता रहे हैं। लेकिन ट्रंप के परिवार का व्यापारिक प्रतिष्ठान द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन भारत में करोड़ों रुपए कमा रहा है। अमेरिका से बाहर अमेरिका के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है। भारत के रियल एस्टेट मार्केट में द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन लगातार अपने कारोबार का विस्तार कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप का यह विरोधाभास दुनिया के सामने उजागर होना चाहिए। ट्रंप एक तरफ भारत पर टैरिफ का बोझ बढ़ाते जा रहे हैं तो दूसरी तरफ उनकी कंपनी भारत में लगातार अपना कारोबार बढ़ाती जा रही है।
ट्रंप के अमेरिका में पहली बार राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत में उनकी कंपनी के रियल एस्टेट के कारोबार में तीन गुना बढ़ोतरी हो गई है। आधिकारिक दस्तावेज बताते हैं कि द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन ने भारत में कई बड़े बिल्डर्स के साथ साझेदारी की और मुंबई, पुणे, कोलकाता और गुरुग्राम में 7 प्रोजेक्ट्स से 175 करोड़ रुपए कमाए। 5 नवंबर 2024 को जब ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने, उसके बाद से उनकी कंपनी ने अपने भारतीय पार्टनर ट्रिबेका डेवलपर्स के साथ मिलकर गुरुग्राम, पुणे, हैदराबाद, मुं
द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन की अभी तक भारत में रियल एस्टेट के धंधे से कितनी कमाई हुई है, इसे ट्रंप परिवार की कंपनी ने सार्वजनिक नहीं किया है लेकिन विशेषज्ञों और जानकारों का कहना है कि बिल्डर्स के साथ पार्टनरशिप करने के बाद ट्रंप एंटरप्राइजेज को दुनिया की तेजी से बढ़ती भारतीय इकोनॉमी में अपने पांव फैलाने का मौका मिला है और उसकी आय में भारी इजाफा हुआ है। 2012 में द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन ने भारत में पहले प्रोजेक्ट का ऐलान किया था और जब तक यह प्रोजेक्ट पूरे होंगे तब तक ट्रंप का भारत में कुल रियल एस्टेट कारोबार 3 मिलियन से बढ़कर 11 मिलियन स्क्वायर फुट हो जाएगा। ट्रिबेका डेवलपर्स का कहना है कि ये प्रोजेक्ट्स कम से कम 15,000 करोड़ रुपए तक में बेचे जा सकते हैं। ट्रिबेका डेवलपर्स कल्पेश मेहता के नेतृत्व वाली कंपनी है और यह भारत में द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन की ऑफिशियल पार्टनर है।
दिलचस्प बात यह है कि द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन कंस्ट्रक्शन के काम में सीधे पैसा निवेश नहीं करता। यह सिर्फ अपने ब्रांड का नाम देता है और इसके बदले में वह लाइसेंस फीस या डेवलपमेंट फीस लेता है या फिर प्रोजेक्ट्स की कुल बिक्री में से 3 से 5 प्रतिशत शेयर लेता है। इस तरह की सम्पत्तियां लग्जरी डेवलपमेंट की होती हैं और क्योंकि इसमें ट्रंप का नाम लगा हुआ है इसलिए इन प्रॉपर्टीज की कीमत काफी ज्यादा होती हैं। भारत में इन प्रोजेक्ट पर काम करने वालों में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल), लोढ़ा ग्रुप, एम3एम ग्रुप, पंचशील रियल्टी, आईआरए इंफ्रा और यूनिमार्क जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं।
द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन को डोनाल्ड ट्रंप ने बनाया था। इसके वाइस प्रेसीडेंट उनके बेटे डोनाल्ड जे. ट्रंप जूनियर और एरिक ट्रंप हैं। 2017 तक डोनाल्ड ट्रंप इसके प्रेसीडेंट और सीईओ थे लेकिन अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्होंने इसके मैनेजमेंट से इस्तीफा दे दिया था। एक ट्रस्ट के जरिए उनके पास द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन की मेजॉरिटी ओनरशिप है और 2021 के बाद से वह इसके चेयरमैन हैं। 14 नवंबर 2024 को दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत में चार कंपनियां शुरू की गई। यह कंपनियां हैं डीटी मार्क्स नोएडा 94 एलएलसी, डीटी मार्क्स गुरुग्राम 111 एलएलसी, डीटी मार्क्स गुरुग्राम 69 एलएलसी और डीटी मार्क्स पुणे मुंधवा एलएलसी।
वर्ष 2024 में द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन को भारत से 12 मिलियन डॉलर मिले। इसमें से 10 मिलियन डॉलर रिलायंस 4आईआर रियल्टी से डेवलपमेंट फीस के रूप में आया। बचा हुआ 2.2 मिलियन डॉलर ट्राइबेका, एम3एम लोढ़ा, यूनिमार्क और आरडीबी ग्रुप ने लाइसेंस और रॉयल्टी फीस के रूप में गुरुग्राम, मुंबई और कोलकाता की प्रॉपर्टीज के लिए दिया। वर्ष 2017 में जब ट्रंप पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो उस समय द ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन ने कोलकाता और गुरुग्राम में दो रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में काम शुरू किया। इससे पहले इसने पुणे (2012) और मुंबई (2013) में एक-एक प्रोजेक्ट को अपना नाम दिया था। आंकड़ों के मुताबिक, 2012-2019 के बीच भारत के चार प्रोजेक्ट्स से इस कंपनी ने लगभग 11.3 मिलियन डॉलर कमाए। भारत में ट्रंप ब्रांड वाले 13 प्रोजेक्ट्स में से दो पूरे हो चुके हैं, दो पूरे होने वाले हैं, तीन अपने शुरुआती फेज में हैं और तीन अभी लॉन्च का इंतजार कर रहे हैं। दो प्रोजेक्ट्स पर काम रुका हुआ है और रिलायंस 4आईआर रियल्टी के एक प्रोजेक्ट को लेकर ऐलान किया जाना बाकी है।
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