एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के खिलाफ फैला रहे अफवाह
विकास कार्यों में बाधा डाल रहा भारत विरोधी गिरोह
ऊर्जा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनेगा भारत : गडकरी
एथेनॉल से किसानों की कमाई हुई 1.14 लाख करोड़
नई दिल्ली, 09 अगस्त (एजेंसियां)। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश के अंदर भारत विरोधी शक्तियां सक्रिय हैं और अलग-अलग क्षेत्रों में हो रहे विकास के काम में बाधा पहुंचा रही हैं। गडकरी ने एथेनॉल मिक्स्ड पेट्रोल को लेकर अफवाहें फैलाए जाने की गतिविधियों के लिए एंटी-इंडिया गिरोह को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल का बेहतर परिणाम सामने आ रहा है और इससे एक भी गाड़ी खराब नहीं हुई है। एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल से गाड़ी खराब होने की बातें राष्ट्र-विरोधी अफवाहें हैं। उल्लेखनीय है कि भारत में प्रीमियम पेट्रोल सबसे शुद्ध होता है। जब शुद्ध पेट्रोल में एथेनॉल डालते हैं तो ये एथेनॉल पेट्रोल कहलाता है। इसके इस्तेमाल से पेट्रोल की बचत के साथ-साथ ग्राहकों और किसानों का भी फायदा है। देश में पेट्रोल की खपत को देखते हुए यह ऊर्जा बचाने का सबसे सरल तरीका है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, देश में फ्यूल के आयात पर 22 लाख करोड़ रुपए खर्च होते हैं। एथेनॉल के इस्तेमाल से इसमें कमी आ रही है। इससे सरकार को करीब 1 लाख करोड़ रुपए की बचत हुई है। एथेनॉल बनाने के लिए मक्के का इस्तेमाल हो रहा है, इसका फायदा किसानों को मिल रहा है। किसानों को करीब 1.14 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई है। नितिन गडकरी ने कहा, रूस से कच्चे तेल आयात से खफा अमेरिका ने 50 फीसदी टैरिफ भारत पर लगा दिया है। ऐसे में ऊर्जा उत्पादक देश बनना भारत की प्राथमिकता है। हमें ऊर्जा आयात करने वाला नहीं, बल्कि ऊर्जा निर्यात करने वाला देश बनना चाहिए। इससे पेट्रोल-डीजल से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि पेट्रोल में अभी 20 फीसदी एथेनॉल मिलाया जाता है। लेकिन इसे 27 फीसदी करने को लेकर सरकार की योजना चल रही है, हालांकि ये अभी फाइनल नहीं हुआ है। एआरएआई के ट्रायल के बाद पेट्रोलियम मंत्रालय ये तय करेगा कि 27 फीसदी एथेनॉल मिलाना सही है या नहीं। गडकरी के मुताबिक इंडियन ऑयल के एथेनॉल युक्त पेट्रोल के 350 पेट्रोल पंप चल रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ऑटो सेक्टर में आ रहे बदलाव पर बात करते हुए पेट्रोलियम लॉबी की चर्चा की। उन्होंने कहा कि एथेनॉल युक्त पेट्रोल के इस्तेमाल से गाड़ियों पर कोई असर नहीं पड़ता है। इससे माइलेज कम देने की बातों को गडकरी ने अफवाह बताया और कहा कि पेट्रोलियम लॉबी वाले इसे पॉलिटिकली मैनिपुलेट करने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि एथेनॉल एक ऐसा अल्कोहल है जो गन्ने और मक्के से मिलकर बनाया जाता है। इसे पेट्रोल में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। ई-10, ई-20, ई-27 एथेनॉल पेट्रोल के कटेगरी हैं। ई-10 का मतलब है ऐसा पेट्रोल जिसमें 10 फीसदी एथेनॉल है। ई-20 का मतलब है ऐसा पेट्रोल जिसमें 20 फीसदी एथेनॉल है और ई-27 का मतलब है ऐसा पेट्रोल जिसमें 27 फीसदी एथेनॉल है। ई-20 एक बायोफ्यूल है जिससे प्रदूषण कम फैलता है। इसलिए इसका इस्तेमाल ज्यादातर देशों में हो रहा है। भारत में तो अभी पेट्रोल में ही एथेनॉल मिलाया जा रहा है लेकिन कई देशों ने डीजल में भी एथेनॉल का इस्तेमाल शुरू कर दिया है क्योंकि ज्यादातर बड़ी एसयूवी गाड़ियां डीजल से चलती हैं।
नितिन गडकरी ने कहा, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर इस तरह के दावे किए जाते हैं कि ऐसे पेट्रोल के इस्तेमाल से इंजन खराब होते हैं, गाड़ियों में गड़बड़ियां आ जाती है और माइलेज पर असर पड़ता है। इन सब बातों को खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, इससे गाड़ियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता। पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल डालने से किसी भी गाड़ी में कोई दिक्कत नहीं आती है। इस मुद्दे पर ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) और सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (एसआईएएम) ने पहले ही साफ कर दिया है। अभी तक एक भी वाहन में इससे दिक्कत नहीं आई है।
रूसी तकनीक की सहायता से एथेनॉल को क्षमता बेहतर बनाने की कोशिश सरकार कर रही है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय इसकी टेस्टिंग कर रहा है। इससे पेट्रोल के बराबर एथेनॉल की क्षमता हो जाएगी। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने साफ कर दिया कि देशहित सर्वोपरि है। हम किसी भी लॉबी के दबाव में नहीं आएंगे और न राष्ट्र विरोधी ताकतों का षडयंत्र चलने देंगे। किसानों का फायदा, पेट्रोल आयात, लागत और प्रदूषण को ध्यान में रखकर सरकार कदम उठाएगी। एथेनॉल गन्ने और मक्के से बनता है इसलिए गन्ना किसानों और मक्का पैदा करने वाले किसानों को इससे सीधा फायदा हो रहा है। गन्ना के मिल मालिक को भी इससे फायदा हो रहा है साथ ही मक्का उत्पादन करने वाले किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं। साथ ही देश को भी इसका फायदा मिल रहा है। भारत सबसे ज्यादा आयात पेट्रोलियम पदार्थों का करता है। एथेनॉल के इस्तेमाल से इसमें कमी आएगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि सरकार ग्राहकों को फ्लेक्स फ्यूल और इलेक्ट्रिक वाहनों को बराबर महत्व देगी। उन्होंने कहा कि अब तक जितने भी नियम बनाए गए हैं वो इलेक्ट्रिक वाहनों को सपोर्ट कर रहे हैं। अप्रैल 2027 से कारपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी 3 (सीएएफई-3)लागू किया जाएगा जिसमें दोनों वाहनों को बराबर वरीयता मिलेगी। सीएएफई-3 ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने के लिए चर्चाओं का दौर जारी है। सड़क परिवहन मंत्रालय, बिजली मंत्रालय और पीएम के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने 6 अगस्त 2025 को बैठक की है। इसमें चर्चा की गई है कि छोटी और बड़ी कारों के नियम अलग बनाए जाएं या नहीं। सीएएफई नॉर्म्स यानि कारपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी सालभर वाहन निर्माताओं द्वारा बेची गई वाहनों का औसत कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को तय करता है। ये नियम कंपनियों को ज्यादा फ्यूल एफिशिएंट वाहनों को बनाने के लिए मजबूर करती हैं। फिलहाल सीएएफई 2 नियम लागू है जो 2027 तक मान्य है।
भारत में प्रीमियम पेट्रोल सबसे शुद्ध माना जाता है। इस पेट्रोल में मिलावट नहीं होती। जब इस पेट्रोल में एथेनॉल मिला दिया जाता है तो ये एथेनॉल पेट्रोल कहलाता है। पीएम मोदी ने 2023 में 20 फीसदी एथेनॉल युक्त पेट्रोल को लॉन्च किया था। इसके तहत एक लीटर फ्यूल में 800 मिलीलीटर पेट्रोल और 200 मिलीलीटर एथेनॉल डाला जाता है। अब एथेनॉल युक्त पेट्रोल हर जगह उपलब्ध है।
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