अनाथालयों के बच्चों के लिए विशेष आरक्षण: मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| अनाथालयों में रहने वाले बच्चों को बुनियादी दस्तावेज उपलब्ध कराने के अलावा, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने उन्हें एक अलग श्रेणी में रखने और दिव्यांगों की तरह आरक्षण प्रदान करने के लिए कदम उठाने का वादा किया है| विधानसभा में प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान, विधायक नयना मोटाम्मा ने कहा कि राज्य के अनाथालयों में रहने वाले बच्चों के पास जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड सहित कोई भी दस्तावेज नहीं है| उन्हें अपनी जन्मतिथि नहीं पता है और न ही उनके माता-पिता के बारे में जानकारी है|
अनाथ बच्चों और मानव तस्करी में फंसे बच्चों की स्थिति दयनीय है| उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार, केंद्र सरकार के परामर्श से, उन्हें उचित दस्तावेज उपलब्ध कराए, उन्हें एक विशिष्ट जाति में शामिल करे, आरक्षण प्रदान करे और उच्च शिक्षा व विदेश में अध्ययन के लिए सहायता प्रदान करे| मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने उत्तर दिया कि राज्य में ७१२ अनाथालय हैं, जिनमें ३५८ लड़कों के लिए, २८० लड़कियों के लिए और ७४ दत्तक ग्रहण संस्थान हैं| इनमें से १७,४०९ बच्चे, जिनमें ९,१७५ लड़के और २,८७४ लड़कियाँ शामिल हैं, आश्रय ले चुके हैं| मैंने इन बच्चों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के लिए समाज कल्याण विभाग को दो बार पत्र लिखा है|
लेकिन फाइल वापस कर दी गई है| इन बच्चों को सामान्य श्रेणी में माना जा रहा है और उन्हें शिक्षा का अधिकार दिया जा रहा है| उन्होंने कहा कि जाति प्रमाण पत्रों को लेकर व्याप्त भ्रम का स्थायी समाधान निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं| इस पर स्पष्टीकरण देते हुए, नयना मोटाम्मा ने कहा कि यह केवल जाति तक सीमित मुद्दा नहीं है, अन्य प्रमाण पत्रों, जैसे आधार कार्ड न बन पाने, को लेकर भी समस्याएँ हैं|
उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार से पत्र लिखकर स्पष्टीकरण माँगा जाए| कृषि विपणन मंत्री शिवानंद पाटिल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि नयना मोटाम्मा ने एक गंभीर मुद्दा उठाया है| समाज कल्याण मंत्री ने सुझाव दिया कि इस समस्या को एक विशेष मामले के रूप में माना जाना चाहिए और इसका समाधान निकाला जाना चाहिए| समाज कल्याण मंत्री एच.सी. महादेवप्पा ने कहा कि अनाथों, कूड़ा बीनने वालों और देवदासियों के बच्चों को विशेष मामले के रूप में माना जा रहा है और उन्हें शिक्षा का अधिकार दिया जा रहा है| मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने समस्या को फिर से स्पष्ट करते हुए कहा कि अनाथों की जाति निर्धारित करने में समस्याएँ हैं|
१७,००० बच्चों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की अनुमति दी जाए| उनके माता-पिता नहीं हैं| सरकार को माता-पिता की जगह लेते हुए उन्हें विशेष श्रेणी में शामिल करना चाहिए और सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए| वरिष्ठ विधायक पी.एम. नरेंद्रस्वामी ने कहा कि उन्हें अनाथों के प्रति सहानुभूति है, लेकिन राज्य सरकार उन्हें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदाय में शामिल करने का अधिकार नहीं रखती| यह केवल केंद्र सरकार ही कर सकती है| उन्होंने सुझाव दिया कि आपात स्थिति में एक विशेष श्रेणी बनाई जा सकती है और सुविधाएँ प्रदान की जा सकती हैं| मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने कहा कि जब अनाथ बच्चे मिलते हैं, तो चिकित्सा अधिकारियों द्वारा उनकी जाँच की जाती है और उनकी आयु की पहचान करके जन्म प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं|