10 दिन में साबित करनी होगी नागरिकता
असम सरकार ने जारी की मानक संचालन प्रक्रिया
फेल हुए तो डिपोर्टेशन का आदेश जारी होगा
30,000 से अधिक घुसपैठिए बाहर किए गए
गुवाहाटी, 10 सितंबर (एजेंसियां)। असम सरकार ने प्रदेश में नई मानक संचालन प्रक्रिया (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर -एसओपी) जारी की है। इस एसओपी के मुताबिक किसी के संदिग्ध घुसपैठिया होने की दशा में उसे अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया जाएगा। इसमें असफल होने पर जिला प्रशासन 24 घंटे के भीतर उसके लिए डिपोर्टेशन का आदेश जारी कर देगा।
इस नए एसओपी से स्पष्ट है कि असम में घुसपैठिया होने के शक में पकड़े जाने पर अब सिर्फ 10 दिन में अपनी नागरिकता का प्रमाण देना होगा। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने गुवाहाटी में असम कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि राज्य ने अब तक 30,128 घुसपैठियों को वापस बांग्लादेश भेजा है। इसके साथ ही असम सरकार ने एक नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) लागू करने पर मुहर लगाई है। असम में घुसपैठिययों को डिपोर्ट करने के लिए सरकार लगातार कमर कस कर काम कर रही है। ऑपरेशन पुशबैक समेत हर तरह से सरकार घुसपैठियों को राज्य और देश से बाहर निकालने पर काम कर रही है। इसी में अब राज्य में अवैध घुसपैठियों की समस्या से निपटने के लिए बड़ा कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने असम की कैबिनेट बैठक में कई अहम निर्णय लिए। इन फैसलों का मूल उद्देश्य असम राज्य की सांस्कृतिक पहचान और जनसांख्यिकीय संतुलन को सुरक्षित रखना है। बैठक में 1950 के प्रवासी निष्कासन अधिनियम के तहत एक नया स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) मंजूर किया गया। इसके तहत स्थानीय प्रशासन को सीधे कार्रवाई का अधिकार मिलेगा। नए एसओपी पर सीएम सरमा ने कहा, अब हमें हर बार अदालत जाने की जरूरत नहीं है। जिला आयुक्त अब सीधे घुसपैठियों की पहचान कर डिपोर्टेशन या निष्कासन का आदेश जारी कर सकते हैं।
असम में लागू किए गए नए एसओपी के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति संदिग्ध घुसपैठिया पाया जाता है, तो उसे अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया जाएगा। अगर 10 दिन में वह अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाता तो जिला प्रशासन 24 घंटे के भीतर उसके लिए डिपोर्टेशन का आदेश जारी कर सकता है। इसके बाद व्यक्ति को या तो होल्डिंग सेंटर में भेजा जाएगा या सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की मदद से देश से बाहर खदेड़ दिया जाएगा। यह प्रक्रिया अब विदेशी न्यायाधिकरणों को दरकिनार कर सीधे प्रशासनिक स्तर पर की जा सकेगी।
मुख्यमंत्री सरमा ने इस फैसले को ऐतिहासिक और निर्णायक बताया। उन्होंने कहा, हमारे न्यायाधिकरणों में 82,000 से अधिक मामले लंबित हैं और यह एसओपी उस प्रणाली को दरकिनार करता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह एसओपी उन लोगों पर भी लागू होगा जिनका नाम एनआरसी में शामिल होने के बाद भी उनकी नागरिकता पर संदेह हो।
असम कैबिनेट ने यह भी तय किया है कि सभी चिन्हित व्यक्तियों के बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय विवरण को फॉरेनर्स आइडेंटिफिकेशन पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा। इससे भविष्य में निगरानी और प्रवर्तन सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति सीमा पार करते हुए 12 घंटे के भीतर पकड़ा जाता है, तो उसे बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया के तुरंत वापस भेजा जा सकता है। यह एसओपी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा अक्टूबर 2024 में दिए गए उस निर्णय के बाद लागू किया गया है जिसमें कहा गया था कि असम सरकार को 1950 के कानून का उपयोग करने की पूरी आजादी है। इस फैसले को असम में दशकों से चली आ रही घुसपैठ की समस्या से निपटने में एक निर्णायक बदलाव माना जा सकता है।
सीएम हिमंत ने यह भी साफ किया कि विदेशी न्यायाधिकरणों में लंबित 42,000 मामलों की सुनवाई जारी रहेगी। नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) का उपयोग उन घुसपैठियों के मामलों में किया जाएगा जिनके खिलाफ न्यायाधिकरणों में कोई मामला लंबित नहीं है। पुराने आंकड़ों के अनुसार, विदेशी न्यायाधिकरणों में कुल 1,68,000 मामले दर्ज थे। हालांकि इनमें से कई घुसपैठिए गायब हो चुके हैं, जिनके मामले अभी तक निपटाए नहीं गए हैं। ऐसे में यह स्थिति प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है।
#असम, #नागरिकता, #SOP, #Deportation, #घुसपैठ, #IllegalImmigrants, #AssamNews, #NRC, #Citizenship